बॉम्बे हाईकोर्ट: अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन ने हत्या का मामला बंद करने से इनकार को दी चुनौती

अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन ने हत्या का मामला बंद करने से इनकार को दी चुनौती
  • अदालत ने सीबीआई को जारी किया नोटिस
  • नवी मुंबई के नेरुल में मार्च 2005 हुई थी संजय गुप्ता की हत्या
  • सीबीआई की विशेष अदालत में पेश क्लोजर रिपोर्ट में राजन को किया गया था बरी
  • 10 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन ने नवी मुंबई के नेरुल में मार्च 2005 में हुई संजय गुप्ता की हत्या के मामला को बंद करने से विशेष सीबीआई अदालत के इनकार करने को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी है। अदालत ने शुक्रवार को इस मामले में सीबीआई समेत सभी पार्टियों को नोटिस जारी किया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), की विशेष अदालत में पेश क्लोजर रिपोर्ट में राजन को बरी किया गया था। 10 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी।

न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की एकलपीठ के समक्ष छोटा राजन की ओर से वकील अशोक पांडे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील अशोक पांडे ने दलील कि छोटा राजन के खिलाफ 71 मामले दर्ज हैं। सारे मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। सीबीआई ने विशेष अदालत में मार्च 2005 में हुई संजय गुप्ता हत्या के मामले में क्लोजर रिपोर्ट पेश किया था, जिसमें छोटा राजन को बरी कर दिया गया था। सीबीआई ने रिपोर्ट में गुप्ता की हत्या के मामले में गवाहों के मुकर जाने की बात कही थी। याचिका में विशेष सीबीआई अदालत की फैसले को रद्द करने और सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट तो स्वीकार करने का अनुरोध किया गया है।

विशेष अदालत ने छोटा राजन के खिलाफ हत्या के मामले को बंद करने की मांग करने वाली सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा था कि मामले में अलग-अलग मुकदमों के दौरान गवाहों द्वारा अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकर जाना गैंगस्टर के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इस मामले में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सामग्री है। गवाहों के बयान स्पष्ट रूप से आरोपी राजेंद्र सदाशिव निकालजे उर्फ छोटा राजन, प्रदीप मडगांवकर उर्फ बंड्या मामा, सुनील कदम और अन्य की अपराध में संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं।

अभियोजन पक्ष की ओर से पेश सरकारी वकील प्रदीप घरात ने कहा था कि हमलावरों ने मार्च 2005 में संजय गुप्ता की दुकान में घुसकर उस पर गोलियां चलाईं थी। बाद में गोली लगने से पीड़ित की मौत हो गई थी। सीबीआई जांच अधिकारी ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करते हुए दावा किया था कि पीड़ित के भाई और पत्नी जैसे महत्वपूर्ण गवाह और कुछ अन्य प्रमुख गवाह विश्वसनीय और भरोसेमंद नहीं थे। केवल व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता को हत्या करने का मजबूत मकसद नहीं माना जा सकता था।

Created On :   23 Aug 2024 3:44 PM GMT

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