बॉम्बे हाई कोर्ट: कुणाल कामरा को गिरफ्तार नहीं कर सकते, बदलापुर मामले में सरकार की खिंचाई, सोलापुर के शिक्षकों की बहाली का आदेश

कुणाल कामरा को गिरफ्तार नहीं कर सकते, बदलापुर मामले में सरकार की खिंचाई, सोलापुर के शिक्षकों की बहाली का आदेश
  • मुंबई पुलिस को कुणाल कामरा को गिरफ्तार नहीं करने का दिया निर्देश
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश के बावजूद आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करने पर राज्य सरकार की खिंचाई की
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोलापुर के जिला परिषद को तीन शिक्षकों को 2 मई से पहले बहाली का दिया आदेश

Mumbai News. बॉम्बे हाईकोर्ट ने उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर कथित टिप्पणी के मामले में मुंबई पुलिस को कॉमेडियन कुणाल कामरा को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया है। हालांकि अदालत ने कामरा के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कामरा पर राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित तौर पर व्यंग्यात्मक वीडियो बनाने और उसमें गद्दार कहने का आरोप है। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति श्रीराम मोडक की पीठ ने कहा कि अगर एजेंसी को कामरा के बयान दर्ज करने हैं, तो उसे चेन्नई (विल्लुपुरम के पास जहां कामरा रहते हैं) जाना चाहिए और उसे स्थानीय पुलिस की मदद लेनी चाहिए। पीठ ने कहा कि अगर इस याचिका के लंबित रहने के दौरान चार्जशीट दाखिल की जाती है, तो संबंधित अदालत को इसका संज्ञान नहीं लेना चाहिए। पीठ ने 16 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें पीठ ने कामरा को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था, जबकि यह भी कहा था कि पुलिस ने धारा 35 (3) बीएनएसएस के तहत उन्हें समन जारी किया था, जो विशेष रूप से उस नोटिस को संदर्भित करता है, जहां व्यक्ति की गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं होती है। कामरा के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता नवरोज सीरवई ने दलील दिया था कि विचाराधीन कॉमेडी क्लिप संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आती है। कामरा के खिलाफ एफआईआर एक राजनीतिक दल के इशारे पर राज्य सरकार द्वारा दर्ज करा कर एक कलाकार को परेशान करने का प्रयास है। यह एक व्यंग्यकार और स्टैंड अप कॉमेडियन है। विशेष सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने दलील दी थी कि कॉमेडी शो की सामग्री राजनीतिक व्यंग्य नहीं थी, बल्कि दुर्भावनापूर्ण निशाना थी और इस प्रकार संविधान का अनुच्छेद 19 तब लागू नहीं होता, जब कोई संज्ञेय अपराध बनता है। कामरा एक व्यक्ति को निशाना बना रहे थे और इसलिए यह हास्य आलोचना के दायरे में नहीं आता। यह दुर्भावनापूर्ण निशाना है। शिवसेना विधायक मुरजी पटेल द्वारा धारा 353(1) (बी), 353(2) (सार्वजनिक उपद्रव) और 356(2) मानहानि बीएनएस के तहत कामरा के खिलाफ अंधेरी के एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न आरोपी से मुठभेड़ का मामला, अदालत ने कहा कि वह इस बात से हैरान है कि उसके आदेश का पालन नहीं किया गया

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न आरोपी से मुठभेड़ का मामले में आदेश के बावजूद पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करने पर राज्य सरकार की खिंचाई की। अदालत ने चेतावनी दी कि अगर उसके आदेश का पालन नहीं किया गया, तो वह राज्य सरकार के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करेगी। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने कहा कि उसके पिछले आदेश का बेशर्मी से उल्लंघन किया गया और यह आपराधिक अवमानना के बराबर है। पीठ ने सरकार पर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि हम स्तब्ध हैं। यह हमारे आदेश का खुला उल्लंघन है। राज्य सरकार हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का पालन कैसे नहीं कर सकती? अगर मामले के कागजात आज ही हस्तांतरित नहीं किए गए, तो आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करनी होगी। अगर सरकार ने शुक्रवार को ही 7 अप्रैल के आदेश को लागू करने के लिए कदम नहीं उठाए, तो वह आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने पर विचार करेगी। पीठ ने 7 अप्रैल को अपने आदेश में कहा था कि जब प्रथम दृष्टया अपराध का खुलासा होता है, तो जांच आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने ललिता कुमारी के फैसले में निर्धारित किया है। इसके बाद अदालत ने संयुक्त पुलिस आयुक्त (क्राइम ब्रांच) लखमी गौतम की देखरेख में एक विशेष जांच दल के गठन का आदेश दिया था। सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने अदालत को बताया कि 9 अप्रैल को सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका पर सुनवाई 5 मई को होने की उम्मीद है। पीठ ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो सरकार इसका पालन करने के लिए बाध्य है। हाई कोर्ट ने 7 अप्रैल को ही सरकार की रोक की प्रार्थना को खारिज कर दिया था।

क्या है पूरा मामला

बदलापुर में एक स्कूल में दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी अक्षय शिंदे की 23 सितंबर 2024 को एक अन्य मामले में जांच के लिए तलोजा जेल से कल्याण ले जाते समय पुलिस वैन के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस टीम ने दावा किया कि उन्होंने उसे आत्मरक्षा में गोली मारी, क्योंकि उसने एक अधिकारी की बंदूक छीन ली और गोली चला दी। हालांकि उसके माता-पिता ने आरोप लगाया कि उसे एक फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोलापुर के जिला परिषद को तीन शिक्षकों को 2 मई से पहले बहाली का दिया आदेश

इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोलापुर के जिला परिषद को तीन शिक्षकों को 2 मई से पहले बहाली और उनके बकाया वेतन का 60 दिनों के अंदर भुगतान करने का निर्देश दिया है। तीनों शिक्षकों ने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) को उत्तीर्ण करने से पहले 2019 की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) परीक्षा में भी भाग लिया था। टीईटी परीक्षा परिणाम में घोटाले उजागर होने के बाद शिक्षकों को सहायक शिक्षक के पद से सटा दिया गया था, क्योंकि उनका नाम घोटाले की लिस्ट में शामिल 7500 छात्रों की लिस्ट में नाम आया था। न्यायमूर्ति रविन्द्र घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे ने शिक्षकों की वरिष्ठ वकील डॉ. उदय वरुंजिकर और वकील सुमित काटे की दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए अपने फैसले में कहा कि यदि उम्मीदवार सीटीईटी या स्नातक के साथ बी.एड. योग्यता के आधार पर नियुक्त किए जाते हैं, तो उनकी नियुक्तियों को संरक्षित किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं को उनकी सीटीईटी योग्यता के आधार पर चयनित और नियुक्त किया गया था। 14 अक्टूबर 2023 को उनकी सामान्य सेवा समाप्ति का आदेश केवल इस कारण से जारी किया गया था कि उनका नाम उन 7500 उम्मीदवारों में शामिल है, जिनके टीईटी परिणाम घोटाले विवाद को देखते हुए रद्द कर दिए गए हैं। उनके खिलाफ जांच जारी है। पीठ ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि इन याचिकाकर्ताओं को सीटीईटी उत्तीर्ण करने पर नियुक्त किया गया था, न कि उनके टीईटी परिणामों के आधार पर। पीठ ने जिला परिषद को 2 मई से पहले याचिकाकर्ता शिक्षकों को बहाल करने और 60 दिनों के भीतर बकाया वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया है।हालांकि पीठ ने कहा कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि यदि याचिकाकर्ताओं को टीईटी घोटाले से लाभ उठाने का दोषी पाया जाता है और यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि वे इस तरह के घोटाले के लाभार्थी थे, तो जिला परिषद के लिए न्यायालय द्वारा दिए गए ऐसे निर्णय के आलोक में याचिकाकर्ताओं की नियुक्तियों की समीक्षा करना खुला होगा।

Created On :   25 April 2025 9:31 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story