सुविधाएं: शिक्षा से वंचित झुग्गी बस्ती के 500 बच्चों के लिए चेंबूर में शुरू किए गए तीन शिक्षा केंद्र

शिक्षा से वंचित झुग्गी बस्ती के 500 बच्चों के लिए चेंबूर में शुरू किए गए तीन शिक्षा केंद्र
  • सीएमए सीजीएम फाउंडेशन और क्राई की पहल
  • 115 बच्चों को पहले चरण में मिला दाखिला
  • 8 करोड़ बच्चों का झुग्गी में निवास

डिजिटल डेस्क, मुंबई. महानगर के चेंबूर इलाके की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने के लिए सीएमए सीजीएम फाउंडेशन और चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) ने मिलकर तीन शिक्षा केंद्र शुरू किए हैं। यहां 500 ऐसे बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी जो किसी वजह से स्कूल नहीं जा पाते। फिलहाल यहां 115 बच्चों को दाखिला दिया जा चुका है।

केंद्र में शिक्षा देने के साथ बच्चों को सरकारी स्कूलों में भी दाखिला दिलाया जाएगा। जिससे वे परीक्षा देकर डिग्री भी हासिल कर सकें। केंद्र शिक्षा के लिए जरूरी कंप्यूटर, लाइब्रेरी, डिजिटल बोर्ड जैसी तमाम सुविधाओं से लैस हैं। यह शिक्षा केंद्र 1500 वर्ग फीट में बना हुआ है।

बच्चों के समग्र विकास पर जोर

सीएमए सीजीएम फाउंडेशन की अध्यक्ष तान्या साडे जेनी ने कहा कि क्राई के साथ मिलकर हमने सुविधाओं से वंचित इलाकों में तीन बाल एवं किशोर संसाधन केंद्र विकसित किए हैं, जहां चेंबूर इलाके के 6 से 18 साल की आयुवाले बच्चों की शैक्षणिक जरूरतों को पूरा किया जाएगा। बच्चों को उनकी आयु के मुताबिक शिक्षा तो दी ही जाएगी। यहां उन्हें फुटबॉल खेलने और नाटकों में हिस्सा लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा। यहां होने वाली गतिविधियों में संगठन के कर्मचारी भी हिस्सा लेंगे।

8 करोड़ बच्चों का झुग्गी में निवास

जेनी ने कहा कि भारत में 8 करोड़ बच्चे झुग्गी बस्तियों में रहते हैं और उनके पास शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। बड़ी संख्या में बच्चे शोषण और दुर्व्यवहार के भी शिकार होते हैं। इन्हीं बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए हमने इस साल मार्च में क्राई से हाथ मिलाया है। क्राई पश्चिम के क्षेत्रीय निदेशक क्रिएन रबाडी ने कहा कि साल 1979 से हम बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं और हम अब तक 19 राज्यों के 30 लाख बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला चुके हैं। यहां आने वाले बच्चों के लिए एक सुरक्षित माहौल भी उपलब्ध कराया जाएगा। हम इस पहल को तब सफल मानेंगे जब स्कूल छोड़ चुके बच्चों में इतना आत्मविश्वास पैदा हो कि वे स्कूल में फिर दाखिला लें और पूरी शिक्षा ग्रहण करें।

Created On :   3 Dec 2023 8:53 PM IST

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