Mumbai News: मंत्रियों को ई-कैबिनेट के लिए आईपैड देने एक करोड़ 16 लाख रुपए खर्च करेगी सरकार, कैंसर निदान और उपचार के लिए भी बनेगी कार्य प्रणाली

मंत्रियों को ई-कैबिनेट के लिए आईपैड देने एक करोड़ 16 लाख रुपए खर्च करेगी सरकार, कैंसर निदान और उपचार के लिए भी बनेगी कार्य प्रणाली
  • ई-कैबिनेट के लिए आईपैड की राज्य सामान्य प्रशासन विभाग ने दी मंजूरी
  • कैंसर निदान और उपचार के लिए भी बनेगी कार्य प्रणाली
  • महाराष्ट्र के सभी विभागों को बाह्य ऋण के लिए लेनी होगी मुख्यमंत्री की मंजूरी

Mumbai News. प्रदेश की महायुति सरकार के कैबिनेट और राज्य मंत्री जल्द ही राज्य मंत्रिमंडल की बैठकों में आईपैड से लैस नजर आएंगे। राज्य सरकार ने ई-कैबिनेट के लिए मंत्रियों को आईपैड उपलब्ध कराने को लेकर एक करोड़ 16 लाख 65 हजार रुपए के खर्च के प्रस्ताव को प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरी प्रदान की है। बुधवार को राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। इससे अब राज्य मंत्रिपरिषद के सभी मंत्रियों और आवश्यक अधिकारियों के लिए कुल 50 एप्पल आईपैड खरीदे जाएंगे। आईपैड और अन्य संलग्न सामग्री की खरीदी ई-टेंडर के माध्यम से की जाएगी। बीते 2 अप्रैल को आईपैड खरीदने के प्रस्ताव को परियोजना क्रियान्वयन समिति ने मान्यता दी थी। इसके पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2 जनवरी 2025 को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ई-कैबिनेट प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य में अभी ई-ऑफिस की व्यवस्था शुरू है। सरकारी विभागों में फाइलों की आवाजाही डिजिटल पद्धति से की जाती है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के जमाने में ई-कैबिनेट की व्यवस्था शुरू करने का फैसला लिया गया है। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्ताव मंजूर कराने के लिए विभिन्न विभागों की ओर से फाइल तैयार की जाती है। मंत्रिमंडल के मसौदे के लिए अलग-अलग फाइलें तैयार की जाती हैं। इससे काफी कागज खर्च होते हैं। लेकिन ई-कैबिनेट शुरू होने पर मंत्रियों को आईपैड पर ही प्रस्ताव मिल सकेगा। इससे धीरे-धीरे कागज का इस्तेमाल बंद हो जाएगा। राज्य मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनों उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार को मिलाकर 35 कैबिनेट मंत्री और 6 राज्य मंत्री हैं। इससे मंत्रिपरिषद में कुल 41 मंत्री हैं। मंत्रिपरिषद में अधिकतम 43 कुल मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। इससे फिलहाल दो पद रिक्त है। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सप्ताह में एक बार मंगलवार को होती है। मंत्रिमंडल की बैठक में केवल कैबिनेट मंत्री ही शामिल होते हैं। जबकि राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के समय राज्य मंत्रियों को भी बुलाया जाता है।

कैंसर निदान और उपचार के लिए बनेगी कार्य प्रणाली, मुख्यमंत्री फडणवीस ने दिए निर्देश

उधर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कैंसर उपचार नीति लागू की है। इसी के तर्ज पर अब राज्य में कैंसर के निदान और उपचार के लिए संदर्भ सेवा (रेफरल) को लेकर कार्य प्रणाली बनाई जाए। इस बारे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संबंधित अफसरों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर के इलाज में कीमोथैरेपी, रेडिएशन थैरेपी जैसी पद्धतियों को शामिल किया जाए और उसके लिए निर्धारित समय सीमा में कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। बुधवार को मुख्यमंत्री ने एशियाई विकास बैंक (एबीडी) के सहयोग से चलाई जा रही राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग की परियोजनाओं की समीक्षा बैठक की। राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में आयोजित बैठक में राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य उपकेंद्रों से लेकर संदर्भ सेवा अस्पतालों तक की विभिन्न संस्थाओं को मजबूत करने के लिए विस्तृत परियोजना तैयार करें। इस परियोजना के लिए एबीडी के सहयोग से ‘मिशन’ के रूप में क्रियान्वित किया जाए।

जे जे अस्पताल के लिए उपकरण खरीदी

राज्य में एबीडी के सहयोग से सर जे जे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, सातारा और चंद्रपुर सरकारी अस्पताल के लिए उपकरण खरीदा जा रहा है। अलिबाग और सिंधुदुर्ग में सरकारी सामान्य अस्पताल का निर्माण कार्य चल रहा है। अमरावती, वाशिम और धाराशिव के अस्पताल का काम टेंडर स्तर पर हैं।

महाराष्ट्र के सभी विभागों को बाह्य ऋण के लिए लेनी होगी मुख्यमंत्री की मंजूरी

आदेश मुंबई, नौ अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने सभी विभागों को बहुपक्षीय, द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण एजेंसियों से बाह्य सहायता ऋण लेने की मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री को एक प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। महाराष्ट्र के वित्त विभाग की तरफ से जारी एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक, बाह्य ऋणों को वित्तीय जरूरतें पूरा करने के स्रोत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे राजकोषीय घाटे की सीमा के भीतर हों। इस आदेश में कहा गया है कि बाह्य ऋण को लेकर एजेंसियों से बातचीत और ऋण समझौता राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी से ही किया जाना चाहिए। सरकारी आदेश कहता है, ‘‘बाह्य सहायता ऋण जुटाते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि राजकोषीय घाटा एफआरबीएम अधिनियम की सीमाओं के भीतर और केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित शुद्ध उधारी सीमा की सीमाओं के भीतर रहेगा।’’ राजकोषीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम के मुताबिक, राज्य सरकार को राजकोषीय घाटा, सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के तीन प्रतिशत तक सीमित रखना होता है। वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में राज्य राजकोषीय घाटे को 2.7 प्रतिशत पर रखने की बात कही गई, जो पिछले वित्त वर्ष के 2.9 प्रतिशत से थोड़ा कम है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि बाहरी ऋणों को वित्तीय जरूरत पूरी करने के स्रोत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसके पहले महाराष्ट्र परिवर्तन संस्थान (मित्रा) की सहायता से तैयार एक प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जानी चाहिए और फिर अनुमोदन के बाद उस रिपोर्ट को केंद्र सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए। आदेश में कहा गया है कि डीईए की जांच समिति का अनुमोदन मिलने के बाद एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) केंद्र सरकार और विभिन्न बुनियादी ढांचे और सामाजिक रूप से प्रासंगिक परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण एजेंसियों के समक्ष रखी जाएगी।

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Created On :   9 April 2025 9:53 PM IST

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