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विधायकों की अयोग्यता का मामला: निर्णय लेने में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष की कि जमकर खिंचाई
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश को टाल नहीं सकते स्पीकर
- 17 अक्टूबर को अगली सुनवाई
- मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे स्पीकर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शिवसेना पार्टी के बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही पर निर्णय लेने में देरी के लिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की जमकर खिंचाई की। शीर्ष अदालत ने चेतावनी भरे शब्दों में विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि यदि 17 अक्टूबर तक कार्यवाही समाप्त करने के लिए कोई उचित समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई तो वह स्वयं एक समय-सीमा निर्धारित करेगी।
देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने आज शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और शरद पवार गुट की याचिका पर एकत्रित सुनवाई की। सुनवाई के दौरान पीठ ने स्पीकर के रवैये पर नारजगी जताई। सीजेआई ने कहा कि अगले चुनाव से काफी पहले निर्णय लेना होगा। इसमें देरी नहीं की जा सकती वरना यह मामला निष्प्रभावी हो जाएगा। हम समय सीमा तय नहीं कर सकते क्योंकि हम उम्मीद करते है कि स्पीकर जिम्मेदारी से काम करेंगे।
स्पीकर बताएं कब तक फैसला ले रहे है,अन्यथा कोर्ट पारित करेगी आदेश
सीजेआई ने अध्यक्ष द्वारा निर्धारित शेड्यूल को मानने से इंकार करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और महाराष्ट्र के महाधिवक्ता डॉ बीरेंद्र सराफ से कहा कि वो स्पीकर से बात कर हमें मंगलवार को बताएं कि विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता कार्रवाई पर कब तक फैसला ले रहे है। अन्यथा कोर्ट आदेश पारित करने को मजबूर होगी। वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को टाल नहीं सकते। सीजेआई ने कहा कि वह किस प्रकार की समय-सारणी निर्धारित कर रहे है? शेड्यूल का विचार सुनवाई में देरी करना नहीं हो सकता। शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी तब आई जब शिवसेना (उद्धव गुट) के वकील कपिल सिब्बल ने कार्यवाही पर निर्णय लेने के लिए स्पीकर द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाया।
मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे स्पीकर
उठाई गई चिंताओं को गंभीरता से लेते हुए सीजेआई ने कहा कि स्पीकर को कम से कम यह आभास तो देना ही चाहिए कि वह मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। यह एक दिखावा नहीं हो सकता। सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमने मामले में जुलाई में नोटिस जारी किया और सितंबर में सुनवाई की। इतने दिनों में स्पीकर दिन प्रतिदिन सुनवाई कर कम से कम समय से इस मुद्दे को निपटा सकते थे। 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में हमें मजबूरी में कहना पड़ेगा कि स्पीकर को दो महीने में फैसला लेना होगा।
Created On :   13 Oct 2023 8:12 PM IST