मंत्रिमंडल फैसले और मंजूरी: मत्स्य पालन को कृषि के समकक्ष दर्जा देने का फैसला, तलेगांव-चाकन- शिक्रापूर के राजमार्ग को मंजूरी, हिंदी अनिवार्य भाषा वाला फैसला वापस

मत्स्य पालन को कृषि के समकक्ष दर्जा देने का फैसला, तलेगांव-चाकन- शिक्रापूर के राजमार्ग को मंजूरी, हिंदी अनिवार्य भाषा वाला फैसला वापस
  • क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले का 142 करोड़ में सातारा में बनेगा भव्य स्मारक
  • गोसीखुर्द परियोजना के लिए 25 हजार करोड़ रुपए की प्रशासनिक मंजूरी

Mumbai News. महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के मछुआरों, मछली पालने वालों और मछली का व्यवसाय करने वालों को बड़ी सौगात दी है। मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य सरकार ने मत्स्य पालन को कृषि के समकक्ष दर्जा देने का फैसला लिया है। इस फैसले से राज्य में लाखों मछुआरों, मछली पालन और उसका व्यवसाय करने वालों को कृषि क्षेत्र के समान बुनियादी सुविधाएं और रियायतें मिल सकेंगी। इससे इस व्यवसाय वालों को बिजली आपूर्ति, किसान क्रेडिट कार्ड, बैंक ऋण सुविधा, कम दरों पर बीमा कवर और सौर ऊर्जा योजना का लाभ मिल सकेगा। इससे महाराष्ट्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और मछली उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल सकेगी। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मत्स्य मंत्री नितेश राणे ने कहा कि पिछले काफी समय से वह राज्य के मछुआरों और मछली का पालन करने वालों को कृषि के समकक्ष लाने के लिए प्रयासरत थे। राणे ने कहा कि महाराष्ट्र एक कृषि प्रधान राज्य है और इसकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन और फल एवं सब्जी उत्पादन जैसे क्षेत्रों पर निर्भर है। देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करने तथा प्रोटीन युक्त भोजन की आवश्यकता को पूरा करने वाले मत्स्य उद्योग का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। राज्य की तटरेखा 720 किलोमीटर लंबी है। साथ ही भूजल क्षेत्र में यह 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करता है, जिसमें जलाशय, झील और सिंचाई विभाग की मालगुजारी झीलें शामिल हैं। कृषि क्षेत्र से समानता के बावजूद, मछुआरों और मछली पालने वालों को बिजली सब्सिडी, ऋण, बीमा और उपकरणों पर सब्सिडी जैसी सुविधाएं नहीं मिल पाती थीं, क्योंकि मछली पकड़ने के उद्योग को कृषि के समकक्ष दर्जा प्राप्त नहीं था। हालांकि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और कर्नाटक जैसे राज्यों ने इस क्षेत्र को कृषि का दर्जा दिया है, जिसके कारण उनके मछली उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले का 142 करोड़ में सातारा में बनेगा भव्य स्मारक

महिला शिक्षा की मशाल जलाने वाली अग्रणी क्रांतिकारी सावित्रीबाई फुले की जन्मस्थली सातारा जिले के खंडाला तहसील के नायगांव में भव्य स्मारक और महिला प्रशिक्षण केंद्र बनाने को मंजूरी दे दी गई है। यह फैसला मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। इस स्मारक के लिए 142 करोड़ 60 लाख रुपए तथा महिला प्रशिक्षण केन्द्र के लिए 67 लाख 17 हजार रुपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने क्रांतिकारी सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उनके स्मारक बनाने की घोषणा की थी। तदनुसार मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर मुहर लगाई गई। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि फुले के स्मारक बनने से व महिला प्रशिक्षण केंद्र महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए मार्गदर्शक का काम करेगा। महिला प्रशिक्षण केंद्र के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दीर्घकालिक प्रबंधन, प्रशासन और कार्यान्वयन के लिए जिलाधिकारी सातारा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।

तलेगांव-चाकन- शिक्रापूर के 53 किमी राजमार्ग को मंजूरी

पुणे के तलेगांव-चाकन-शिक्रापूर के 53 किलोमीटर लंबे राजमार्ग पर तलेगांव से चाकन तक चार लेन की एलिवेटेड सड़क और चाकन से शिक्रापूर तक छह लेन की सड़क के विकास को मंजूरी दी गई है। इसके लिए 4 हजार 206 करोड़ 88 लाख रुपये का प्रावधान किया गया। तलेगांव-चाकन- शिक्रापूर सड़क मुंबई-पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग 48 पर तलेगांव से शुरू होती है और चाकन और फिर पुणे-अहिल्यानगर राजमार्ग से जुड़ती है। इस मार्ग से कई स्थानों पर यातायात की भीड़भाड़ समाप्त हो जाएगी। इससे क्षेत्र में औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। इस मार्ग में आवश्यक स्थानों पर फ्लाईओवर का निर्माण भी शामिल होगा।

गोसीखुर्द परियोजना के लिए 25 हजार करोड़ रुपए की प्रशासनिक मंजूरी

भंडारा की गोसीखुर्द राष्ट्रीय परियोजना के कामों के लिए 25 हजार 972 करोड़ 69 लाख रुपए खर्च के लिए चौथी संशोधित प्रशासनिक मंजूरी राज्य मंत्रिमंडल ने दी है। इस परियोजना से नागपुर, चंद्रपुर और भंडारा जिले में 1 लाख 96 हजार 600 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित हो सकेगा। गोसीखुर्द परियोजना का काम नागपुर के विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल के माध्यम से किया जा रहा है। भंडारा की पवनी तहसील में वैनगंगा नदी पर गौसीखुर्द परियोजना को साकार किया जा रहा है। इस परियोजना में सिंचाई, पीने का पानी, औद्योगिक इस्तेमाल के लिए पानी, मत्स्यव्यवसाय और जलविद्युत का समावेश है। इस परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में शामिल किया गया है। पूर्व विदर्भ की इस राष्ट्रीय परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए खर्च को चौथी संशोधित प्रशासनिक मंजूरी दी गई है।

महाराष्ट्र श्रम संहिता नियम को मंजूरी

केंद्रीय श्रम संहिता के अनुरूप बनाए गए महाराष्ट्र वेतन संहिता नियम- 2025 और महाराष्ट्र औद्योगिक संबंध संहिता नियम- 2025 को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इन नियमों के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए अब केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केंद्र सरकार ने वर्ष 1999 में पूर्व श्रम मंत्री रवींद्र वर्मा की अध्यक्षता में दूसरा श्रम आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने देश के 29 श्रम कानूनों को मिलाकर केवल चार श्रम संहिताएं बनाने की सिफारिश की थी। इसके आधार पर केंद्र ने चार संहिताएं बनाई हैं। जिसमें वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम की स्थिति संहिता का समावेश है। ये सभी अधिनियम संसद में पारित हो गए हैं। इसके अनुरूप अब राज्य ने भी नियम तैयार किए हैं।

विधि अधिकारियों को मिलेगा 50 हजार रुपए मानधन

राज्य के छह विभागीय आयुक्त कार्यालय और जिलाधिकारी कार्यालय में ठेके पर कार्यरत विधि अधिकारी के मानधन में बढ़ोतरी को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इससे ठेका विधि अधिकारियों को प्रति महीने अब 35 हजार रुपए के बजाय 50 हजार रुपए मानधन मिल सकेगा। इसमें मानधन के अलावा फोन और यात्रा खर्च का भी समावेश होगा।

बैकफुट पर फडणवीस सरकार, हिंदी अनिवार्य भाषा वाला फैसला वापस

राज्य के सभी स्कूलों में कक्षा 1 से लेकर 5 तक हिंदी को अनिवार्य भाषा के रूप में जरूरी करने के फैसले पर हुए बवाल के बाद आखिरकार सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए स्पष्ट कर दिया है कि स्कूलों में अब हिंदी भाषा अनिवार्य नहीं होगी। स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने मंगलवार को मंत्रालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार ने जो फैसला लिया था उसमें हिंदी भाषा के इस्तेमाल के लिए 'अनिवार्य' शब्द का प्रयोग किया गया था। ऐसे में सरकार इस शब्द को वापस ले रही है। इसका मतलब अब स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक हिंदी भाषा अनिवार्य नहीं होगी। भुसे ने कहा कि 16 अप्रैल को जारी सरकारी आदेश के मुताबिक मराठी भाषा को प्राथमिकता दी जाती रहेगी। अंग्रेजी दूसरा विषय होगा। जबकि तीसरे विषय के रूप में हिंदी को अनिवार्य विषय नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई हिंदी भाषा या अन्य भाषा सीखने का फैसला लेता है तो फिर उसे शिक्षक बदलना होगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल हम हिंदी को वैकल्पिक विषय के रूप में रखेंगे। हिंदी में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों को मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी भी पढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द सरकार फैसला लेगी।

हिंदी को लेकर क्या था सरकार का फैसला?

कुछ दिनों पहले ही राज्य सरकार ने कक्षा 1 से 5 तक के सभी विद्यार्थियों को हिंदी पढ़ना जरूरी कर दिया था। इस आदेश के अनुसार मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों के लिए मराठी और अंग्रेजी के साथ-साथ तीसरी भाषा के रूप में हिन्दी को अनिवार्य कर दिया था। सरकार के इस फैसले का राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर विरोध हुआ था। राज्य के सभी विपक्षी दलों ने हिंदी को अनिवार्य किए जाने पर राज्य की महायुति सरकार पर निशाना साधा था और इसे राज्य के लोगों पर जबरन थोपने का आरोप लगाया था। सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी हिंदी की अनिवार्यता के फैसले पर नरमी दिखाई थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने मंगलवार को हिंदी की अनिवार्यता के फैसले को वापस ले लिया।

Created On :   22 April 2025 10:00 PM IST

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