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Mumbai News: गुजरात के कारण महाराष्ट्र में बढ़ रहा प्रदूषण, बोर्ड के अध्यक्ष का आरोप

- गुजरात के कारण महाराष्ट्र में बढ़ रहा प्रदूषण - कदम
- अपशिष्ट जल उपचार ही एकमात्र समाधान है
Mumbai News सुरेश ठमके। एकल-उपयोग प्लास्टिक महाराष्ट्र में गंभीर प्रदूषण का कारण बन रहा है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसको लेकर लगातार कार्रवाई कर रही है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धेश कदम का कहना है कि प्रदूषण का बड़ा कारण बन रही प्रतिबंधित प्लास्टिक का निर्माण करने वाली अधिकतर कंपनियां गुजरात की हैं और उनके जरिए महाराष्ट्र में आने वाले प्लास्टिक के कारण राज्य में प्रदूषण बढ़ रहा है। विश्व वंसुधरा दिवस की पूर्व संध्या पर दैनिक भास्कर से खास बातचीत में कदम ने कहा कि महाराष्ट्र और विशेषकर मुंबई में प्रदूषण की मुख्य समस्या एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक है। हाल ही में पुणे में पांच टन प्लास्टिक जब्त किया गया था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरे राज्य में यह अभियान चला रहा है। सब्जी विक्रेता से पांच हजार रुपए का जुर्माना वसूलने के बजाय हम यह पता लगाकर कार्रवाई कर रहे हैं कि यह प्लास्टिक उसे कहां से मिली। यह प्लास्टिक बनी कहा थी। हालांकि, इस कार्रवाई में सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि प्लास्टिक थैलियां बनाने वाली कंपनियां पड़ोसी राज्य गुजरात में हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि हम गुजरात से रेल मार्ग से आने वाले प्लास्टिक पर नजर रख रहे हैं और इसके खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मुंबई में मीठी नदी की सफाई के लिए अभियान चलाया है। कदम ने कहा कि मीठी नदी को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने के लिए हमारे प्रयास जारी हैं
आर एंड सी संयंत्र बंद किया जाएगा
हमने सड़कों या अन्य निर्माण के लिए तैयार कंक्रीट बनाने वाली कंपनियों के आर एंड सी संयंत्रों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है, यदि वे नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और प्रदूषण बढ़ा रहे हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। श्री कदम ने कहा कि हम उन कंपनियों के प्लांट बंद करने की कार्रवाई कर रहे हैं, जिन्होंने तीन महीने का नोटिस दिए जाने के बावजूद अभी तक कानून का पालन नहीं किया है।
श्मसान भूमि की चिमनियों को अद्यतन किया जाएगा
मुंबई के शहरीक्षेत्र में अधिकांश श्मशान भूमि हैं। चूंकि श्मशान पुराने हैं, इसलिए उनकी चिमनियां कम ऊंचाई की हैं, जबकि उनके चारों ओर उंची-उंची इमारतें खड़ी हो गई हैं। इसलिए, श्मशान भूमि की चिमनियों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए हम चिमनियों की ऊंचाई बढ़ाने, उन पर फिल्टर लगाने या उन्हें गैस आधारित बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
अपशिष्ट जल उपचार ही एकमात्र समाधान है
कई शहरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और अपशिष्ट जल को सीधे नदियों या समुद्र में छोड़ दिया जाता है। इसका प्रसंस्करण न होने के कारण जल प्रदूषण काफी बढ़ रहा है। कदम ने कहा कि मुंबई में समुद्र का पानी भी काला दिखता है और इसका सबसे बड़ा कारण सीवेज पानी है। इसे रोकने के लिए हम अब मुंबई, नागपुर, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर, पुणे और कोल्हापुर महानगर पालिका क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपने अपशिष्ट जल को सीधे नदी-समुद्र में छोड़ने के बजाय उसे प्रक्रिया करके छोड़ें। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस संबंध में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ बैठक की जाएगी।
Created On :   21 April 2025 9:34 PM IST