- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- अनुपयोगी मवेशियों के वध के लिए...
बॉम्बे हाई कोर्ट: अनुपयोगी मवेशियों के वध के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने का निर्देश, अवैध लाउडस्पीकर मामले में हलफनामा दाखिल, हवाई अड्डे की सुविधा जांच के लिए समिति

- राज्य सरकार द्वारा गठित समिति को महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम के तहत अनुपयोगी मवेशियों के वध के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने का दिया निर्देश
- बॉम्बे हाई कोर्ट में राज्य के गृह विभाग के प्रमुख सचिव एवं पुलिस महानिदेशक के हलफनामा दाखिल किया हलफनामा
Mumbai News. राज्य सरकार ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम के तहत अनुपयोगी पशुओं के वध के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने के लिए हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित किए जाने की जानकारी दी। अदालत ने समिति को इसको लेकर 4 महीने के भीतर दिशा-निर्देश को अंतिम रूप देेने का निर्देश दिया। महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य दूध देने (दूध उत्पादन), प्रजनन, कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोगी गायों, बैलों और सांडों के वध पर रोक लगाना और उन उद्देश्यों के लिए उपयुक्त अन्य पशुओं के संरक्षण के लिए वध को प्रतिबंधित करना है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम.एस.कार्णिक की पीठ के समक्ष अल-कुरैश ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार के वकील ने बताया कि महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम के तहत अनुपयोगी मवेशियों के वध के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने के लिए हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। पीठ ने समिति को 4 महीने के भीतर पशुओं के वध के लिए दिशा-निर्देश पर अंतिम रूप देने का निर्देश दिया। जनहित याचिका में राज्य सरकार से महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम की व्याख्या करने का अनुरोध किया गया था। याचिकाकर्ता पशुपालन विभाग के प्रधान सचिव द्वारा पारित एक आदेश से व्यथित थे, जिसमें महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम के तहत दुधारू, प्रजनन और कृषि प्रयोजनों के लिए अनुपयोगी पशुओं को परिभाषित करने के उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया था। याचिकाकर्ता ने आवेदन में राज्य सरकार से अधिनियम की व्याख्या करके वध के लिए उपलब्ध बैलों और मवेशियों की आयु निर्धारित करने की मांग की गई थी। पीठ ने कहा कि अधिनियम के तहत अनुपयोगी पशुओं की परिभाषा नहीं दी गई है और इसलिए दिशा निर्देश निर्धारित करना आवश्यक है। पीठ ने समिति को आदेश प्राप्त होने के 4 महीने के भीतर उचित दिशा निर्देश निर्धारित करने का निर्देश दिया। साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता को उस समिति के समक्ष अपने विचार रखने की स्वतंत्रता भी प्रदान की।
धार्मिक स्थलों से अवैध लाउडस्पीकर हटाने को लेकर गृह विभाग के प्रमुख सचिव एवं पुलिस महानिदेशक के हलफनामा दाखिल किया हलफनामा
इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट में धार्मिक स्थलों से अवैध लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई को लेकर राज्य के गृह विभाग के प्रमुख सचिव एवं पुलिस महानिदेश के हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें दावा किया गया है कि अदालत ने इस साल 14 जनवरी के आदेश के बाद राज्य भर में धार्मिक स्थलों से 2 हजार 940 अवैध लाउडस्पीकर को हटाने की कार्रवाई की गई है। याचिकाकर्ता के वकील दीनदयाल धनुरे ने मंगलवार को पुलिस की राज्य भर में अवैध लाउडस्पीकर के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज भी बड़े पैमाने पर धार्मिक स्थलों पर अवैध लाउडस्पीकर लगे हुए हैं और उनसे ध्यनि प्रदूषण हो रहा है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम.एस.कार्णिक की पीठ के समक्ष संतोष श्रीकृष्ण पचलग की दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील ओ.ए.चांदुरकर ने पीठ को बताया कि अदालत के आदेश पर राज्य के गृह विभाग के प्रमुख सचिव अनुप कुमार सिंह और पुलिस महानिदेशक रश्मी शुक्ला ने हलफनामा दाखिल किया है। शुक्ला ने अपने हलफनामा में कहा है कि राज्य भर के सभी पुलिस स्टेशनों से धार्मिक स्थलों के अवैध लाउडस्पीकर के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जानकारी ली गई है। इसके मुताबिक राज्य में धार्मिक स्थलों से 2 हजार 940 अवैध लाउडस्पीकर हटाए गए हैं। इसमें अकेले नवी मुंबई से 343 अवैध लाउडस्पीकर हटाए गए हैं, जबकि धार्मिक स्थलों पर लगे 831 लाउडस्पीकर को इजाजत दी गई है। याचिकाकर्ता के वकील दीनदयाल धनुरे ने दलील दी कि धार्मिक स्थलों पर अवैध लाउडस्पीकर लगे हुए हैं, जिनसे ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। यह 14 जनवरी के अदालत के आदेश की अवमानना है। इसके बाद पीठ ने याचिकाकर्ता को गृह विभाग के प्रमुख सचिव और पुलिस महानिदेशक के हलफनामे पर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए हवाई अड्डे की सुविधाओं की जांच के लिए तीन सदस्यों की समिति की गठित
इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए हवाई अड्डे की सुविधाओं की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति से यात्रियों सहित वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरामदायक यात्रा को सक्षम करने के लिए मानदंडों की सिफारिश करने की उम्मीद है। 30 जून को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है। न्यायमूर्ति जी.एस.कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेथना की पीठ ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गोडा रघुराम को तीन सदस्यों की समिति का प्रमुख नियुक्त किया है। इसमें नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे। इस दौरान डीजीसीए की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह पेश हुए। पीठ ने उनसे कहा कि हम एक समिति का गठन कर रहे हैं। हमें नहीं लगता कि इसमें कुछ भी प्रतिकूल है। यह डीजीसीए के लिए उपयोगी होने जा रहा है। इस पर डीजीसीए ने भी सहमति व्यक्त की कि समिति का काम मददगार होगा। सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष उठाई गई चिंताओं पर समिति विचार-विमर्श करेगी। समिति याचिकाकर्ताओं और यात्रियों से परामर्श करेगी। वरिष्ठ नागरिकों और व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लिए आरामदायक यात्रा को सक्षम करने के लिए आवश्यक मानदंडों की सिफारिश करेगी। मामले की अगली सुनवाई 30 जून रखी गई है। पीठ के समक्ष दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिसमें एक 81 वर्षीय महिला और उसकी बेटी द्वारा दायर की गई थी। सितंबर 2023 में मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अपर्याप्त व्हीलचेयर सहायता के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। बुजुर्ग महिला को अपनी बेटी के लिए व्हीलचेयर छोड़नी पड़ी, जो गंभीर गठिया से पीड़ित है, क्योंकि आने पर केवल एक गतिशीलता सहायता प्रदान की गई थी।
Created On :   22 April 2025 9:50 PM IST