बॉम्बे हाई कोर्ट: पीएचडी के इच्छुक छात्र को राहत, अवैध निर्माण पर फटकार, पोर्नोग्राफिक फिल्म रैकेट मामले में अदालत पहुंचे कुंद्रा

पीएचडी के इच्छुक छात्र को राहत, अवैध निर्माण पर फटकार, पोर्नोग्राफिक फिल्म रैकेट मामले में अदालत पहुंचे कुंद्रा
  • मुंबई विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के इच्छुक छात्र को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली बड़ी राहत
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने वसई में अवैध निर्माण को लेकर वसई विरार शहर महानगरपालिका और जिला अधिकारी को लगाई फटकार
  • न्यायाधीशों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पर महिला को एक सप्ताह की कारावास की सुनाई सजा
  • पोर्नोग्राफिक फिल्म रैकेट मामले में एलओसी रद्द करने के लिए व्यवसायी राज कुंद्रा पहुंचे बॉम्बे हाई कोर्ट

Mumbai News. मुंबई विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के इच्छुक छात्र भूषण मिलिंद घोंगाडे को बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने कहा कि छात्र के पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद यदि प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई, तो वह एक शैक्षणिक वर्ष खो देगा। हम इन तथ्यों में उसे रियायत देने पर विचार कर सकता है। अदालत ने मुंबई विश्वविद्यालय के विधि विभाग को छात्र के आवेदन स्वीकार करने और उसकी पात्रता की जांच के लिए समिति गठित करने का निर्देश दिया है। इससे पहले विश्वविद्यालय ने छात्र के एडमिशन के लिए समय पर गुगल फॉर्म नहीं भरने पर उसके आवेदन को स्वीकार करने से मना कर दिया था। न्यायमूर्ति ए.एस.चंदुरकर और न्यायमूर्ति एम.एम.साठे की पीठ ने कहा कि हमने छात्र रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजी सामग्री पर विचार किया है। हम पाते हैं कि याचिकाकर्ता विधि पाठ्यक्रम में पीएचडी के लिए प्रवेश लेने के योग्य है, लेकिन 10 जनवरी 2025 के नोटिस का जवाब न देने के कारण वह मौका चूक गया है। याचिकाकर्ता इस तथ्य को स्वीकार करता है और इसलिए उसने 20 जनवरी से तुरंत कदम उठाए। उसने शिकायत समिति से भी संपर्क किया, जिसने 12 मार्च को मामले पर विचार किया। हालांकि इसके द्वारा लिए गए निर्णय के बारे में याचिकाकर्ता को सूचित नहीं किया गया। पीठ ने कहा कि पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रक्रिया वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। यदि याचिकाकर्ता पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद इसमें भाग लेने में असमर्थ है, तो उसे एक शैक्षणिक वर्ष का नुकसान होगा। हम याचिकाकर्ता के पक्ष में विवेक का प्रयोग करने के लिए इच्छुक हैं, जिससे वह पात्र पाए जाने पर प्रवेश प्रक्रिया में भाग ले सके। छात्र को 24 अप्रैल तक विश्वविद्यालय में अपना आवेदन पत्र ऑफलाइन जमा करने की अनुमति है। पीठ ने यह भी कहा कि वह (विश्वविद्यालय) याचिकाकर्ता के आवेदन की जांच करने के लिए एक जांच समिति का गठन करे। हम जांच समिति के गठन के संबंध में विश्वविद्यालय को यह विचार करने के लिए स्वतंत्र छोड़ते हैं कि इसे किस तरह से गठित किया जा सकता है और उसके आवेदन की जांच किए जाने और योग्य पाए जाने के पर उसे पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए साक्षात्कार देने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने वसई में अवैध निर्माण को लेकर वसई विरार शहर महानगरपालिका और जिला अधिकारी को लगाई फटकार

इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को वसई में अवैध निर्माण को लेकर वसई विरार शहर महानगरपालिका और पालघर के जिला अधिकारी को फटकार लगाई। अदालत ने उन्हें चार महीने के अंदर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इससे पहले अदालत ने श्री गणेश सेवा संस्था की ओर से वकील अटल दुबे की दायर जनहित याचिका पर दो बार महानगरपालिका और जिला अधिकारी को अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम.एस.कार्णिक की पीठ के समक्ष श्री गणेश सेवा संस्था की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील अटल दुबे ने दलील दी कि पालघर जिले नालासोपारा (पूर्व) स्थित वसई तहसील के अचोले विलेज में औद्योगिक उद्देश्य के लिए आवंटित भूमि पर अवैध रूप से चार मंजिला इमारत का निर्माण किया गया है। इसकी शिकायत वसई विरार शहर महानगरपालिका, वसई के तहसीलदार और पालघर के जिला अधिकारी से की गई, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसको लेकर दायर जनहित याचिका पर अदालत ने 25 फरवरी 2022 को वसई के तहसीलदार को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए अवैध निर्माण को हटाने का आदेश दिया था। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस पर पीठ ने वसई विरार शहर महानगरपालिका, वसई के तहसीलदार और पालघर के जिला अधिकारी को फटकार लगाते हुए आदेश दिया कि याचिका में उल्लेख किए गए अवैध निर्माण के खिलाफ चार महीने में कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश किया जाए। अदालत ने याचिकाकर्ता को अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर अवमानना याचिका दायर करने की स्वतंत्रता देते हुए जनहित याचिका का निपटारा कर दिया।

पोर्नोग्राफिक फिल्म रैकेट मामले में एलओसी रद्द करने के लिए व्यवसायी राज कुंद्रा पहुंचे बॉम्बे हाई कोर्ट

उधर अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति और व्यवसायी राज कुंद्रा ने पोर्नोग्राफिक फिल्म रैकेट मामले में अपनी कथित भूमिका के खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट पहुंचे हैं। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि हर बार जब वह भारत से बाहर यात्रा करते हैं, तो उन्हें अनावश्यक कठिनाई और जांच से गुजरना पड़ता है। उन्हें इमिग्रेशन के कार्यालय में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति एस.एम.मोडक की पीठ ने बुधवार को राज कुंद्रा की याचिका पर अपने रजिस्ट्री को रोस्टर के अनुसार मामले को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। याचिका में कुंद्रा ने 2021 से उनके खिलाफ लंबित एलओसी को रद्द करने के लिए अदालत से अनुरोध किया है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि अदालत के आदेशों के बावजूद विदेश जाने के लिए हर बार जांच में देरी होती है, क्योंकि उनकी गिरफ्तारी से पहले जारी किया गया एलओसी अभी भी लागू है। कुंद्रा पर आईपीसी की धारा 354 (सी) (दृश्यरतिकता), 292 (अश्लील सामग्री की बिक्री), 420 (धोखाधड़ी) और आईटी अधिनियम की धारा 67, 67 ए (यौन रूप से स्पष्ट सामग्री का प्रसारण) और महिलाओं का अभद्र चित्रण (निषेध) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने दावा किया था कि वह इस रैकेट में एक मुख्य साजिशकर्ता है और उन्हें लंदन में एक विदेशी आईपी पते से अश्लील सामग्री अपलोड करने वाली कंपनी के साथ उसकी कंपनी के कई विदेशी लेनदेन मिले हैं। कुंद्रा के पास 'हॉटशॉट' नामक एक ऐप है, जो अश्लील सामग्री बनाता है।

न्यायाधीशों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पर महिला को एक सप्ताह की कारावास की सुनाई सजा

इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को न्यायाधीशों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाली महिला को एक सप्ताह की कारावास की सजा सुनाई है। उसने न्यायालयों को कुत्ते माफिया कहा था और उनके खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। महिला ने यह टिप्पणी न्यायाधीशों द्वारा नवी मुंबई स्थित एक सोसायटी तथा डॉग फीडर्स के बीच विवाद के मामले में डॉग फीडर्स के पक्ष में दिए गए उनके आदेश पर की थी। न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और अद्वैत सेथना की पीठ ने कहा कि हम मगरमच्छ के आंसू और सामान्य तौर पर ऐसे मामलों में अवमानना करने वालों द्वारा किए जाने वाले माफीनामे को स्वीकार नहीं करेंगे। पीठ ने कहा कि उन्हें कहां से यह समझ में आया कि आप (अदालतें) एक कुत्ता माफिया हैं। ये विचार किसी पढ़े-लिखे व्यक्ति के दिमाग में नहीं आते हैं। पीठ ने महिला को एक सप्ताह के कारावास और 2 हजार रुपए की सजा सुनाई। पीठ ने नवी मुंबई स्थित आलीशान सीवुड्स एस्टेट सोसायटी की निवासी विनीता श्रीनंदन को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उसने एक पत्र जारी किया था, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। पीठ ने सोसायटी के खिलाफ आदेश पारित किया था, जिसमें सोसायटी के निवासियों में से एक की घरेलू सहायिका को सोसायटी में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी, क्योंकि वह सोसायटी परिसर में आवारा कुत्तों को खाना खिलाती थी।




Created On :   23 April 2025 9:19 PM IST

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