बॉम्बे हाईकोर्ट: समय सीमा के भीतर प्रवेश फॉर्म जमा करने में विफल छात्र को सहानुभूति के आधार पर नहीं दी जा सकती राहत

समय सीमा के भीतर प्रवेश फॉर्म जमा करने में विफल छात्र को सहानुभूति के आधार पर नहीं दी जा सकती राहत
  • अदालत ने छात्र की याचिका को किया खारिज
  • सहानुभूति के आधार पर नहीं दी जा सकती राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई. एक विज्ञान संस्थान में प्रवेश के लिए समय सीमा के भीतर फॉर्म जमा करने में विफल रहने वाले मेधावी छात्र को हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली। अदालत ने कहा कि छात्र को केवल सहानुभूति के आधार पर राहत नहीं दी जा सकती है। ऐसी कोई भी राहत अन्य छात्रों के साथ अन्याय होगी। छात्र सिद्धांत राणे ने अपनी याचिका में बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में चार वर्षीय बैचलर ऑफ साइंस (रिसर्च) प्रवेश के लिए उनके आवेदन पत्र को स्वीकार करने का अदालत से निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

न्यायमूर्ति ए.एस.चंदुरकर और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने कहा कि छात्र के केवल इसलिए प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि उसने अच्छी रैंक हासिल की है। उसने अपना आवेदन पत्र 9 जून को जमा किया था, जो निर्धारित अंतिम तिथि से बहुत बाद का था। यह सच है कि याचिकाकर्ता (राणे) ने अखिल भारतीय स्तर पर अच्छी रैंक हासिल की है, लेकिन केवल इसी आधार पर उसे प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

संस्थान के वकील ने दलील दी कि फॉर्म 1 अप्रैल से 7 मई 2024 तक ऑनलाइन जमा किए जाने थे और फिर तारीख 14 मई तक बढ़ा दी गई थी। राणे ने 9 जून को फॉर्म जमा किया। इसलिए उन्हें प्रवेश प्रक्रिया के लिए अयोग्य ठहराया गया है।आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि तक उन्हें (संस्थान) लगभग 11180 फॉर्म प्राप्त हुए थे। छात्र ने कहा कि आईआईएसईआर एप्टीट्यूड टेस्ट (आईएटी) में उनकी अखिल भारतीय रैंक 10 थी और इसलिए वे निर्धारित कट ऑफ अंकों के अनुसार प्रवेश पाने के योग्य थे। उनकी रैंकिंग के आधार पर उन्हें प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेने और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने की अनुमति दी जानी चाहिए। पीठ ने छात्र की याचिका को खारिज कर दिया।


अनुसूचित जाति आयोग का हाई कोर्ट को नोटिस

उधर नागपुर में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने बांबे हाईकोर्ट में मागासवर्गियों के आरक्षण पर अमल नहीं होने के मामले में मुंबई उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी करके जवाब देने को कहा है। अंकीत थुल ने 22 अगस्त 2023 को आरटीआई के तहत बांबे हाई कोर्ट में आवेदन कर उच्च न्यायालय में मंजूर पदों की संख्या व एससी, एसटी व आेबीसी के लिए आरक्षण लागू है क्या, इस बारे में जानकारी मांगी थी। हाई कोर्ट ने मंजूर पदों की जानकारी दी थी, लेकिन जातिनिहाय आरक्षण के अमल के संबंध मार्गदर्शक तत्व उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी थी। यानी मागासवर्गियों के आरक्षण के संबंध में जानकारी नहीं मिल सकी थी। अंकित थुल ने मागासवर्गियों के आरक्षण पर बांबे हाई कोर्ट में अमल नहीं होने की शिकायत 31 अक्टूबर 2023 को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से की थी। आयोग ने 12 जून 2024 को बांबे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर इससंबंध में जवाब देने को कहा है। जवाब नहीं देने पर व्यक्तिगत रुप से उपस्थित रहने के लिए समन किया जा सकता है। एससी, एसटी वेल्फेयर आर्गनायजेशन के अध्यक्ष संजय थुल ने कहा कि शासकीय विभागों की तरह बांबे हाई कोर्ट में भी एससी, एसटी व आेबीसी को आरक्षण लागू होना चाहिए। हम पिछले कई वर्षों से इसके लिए संघर्ष कर रहे है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने नोटिस जारी करने के बाद इस बारे में ठोस कदम उठाए जा सकते है।

Created On :   15 July 2024 8:55 PM IST

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