बॉम्बे हाईकोर्ट: आरोपी को गिरफ्तारी के विषय लिखित बताने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अमल हो

आरोपी को गिरफ्तारी के विषय लिखित बताने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अमल हो
  • पुलिस अधिकारियों को हिदायत
  • अदालत ने धोखाधड़ी के आरोपी को दी जमानत
  • सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अमल हो

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी को सभी मामले में आरोपी की गिरफ्तारी करने से पहले उसे लिखित में गिरफ्तारी के आधार बताने चाहिए और उसके बाद ही उसकी गिरफ्तारी करनी चाहिए। यही देश का कानून है। सर्वोच्च न्यायालय ने इसे निर्धारित किया है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ के समक्ष पांडुरंग नाइक की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी के बारे में केवल याचिकाकर्ता की मां को ही सूचित किया गया था। पुलिस द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया स्पष्ट रूप से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 के उप-खंड (1) का उल्लंघन है। किसी भी गिरफ्तारी में गिरफ्तारी के आधार को लिखित रूप में शीघ्रता से इंगित करके पालन सुनिश्चित करना चाहिए। जांच अधिकारी के हाथ में ऐसे सभी विवरण शामिल होने चाहिए, जिसके कारण आरोपी की गिरफ्तारी आवश्यक हो। पीठ ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी को अमान्य घोषित कर उसे रिहा करने का आदेश दिया।

अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में नहीं बताए गए थे। गिरफ्तारी फॉर्म में वह कॉलम भी नहीं भरा गया था, जिसमें गिरफ्तारी करने वाले अधिकारी को यह विवरण भरना होता है कि हिरासत में लिए जाने से पहले गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के आधार और कानूनी अधिकारों के बारे में सूचित किया गया था या नहीं।

पीठ ने सरकारी वकील हितेन वेनेगावकर को इस निर्णय की एक प्रति पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को देने के लिए कहा है। वह (डीजीपी) प्रति सभी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकों(एडीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) को प्रसारित करेंगे, जिससे इसे पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षक के माध्यम से अपने अधिकार क्षेत्र में गिरफ्तारी की शक्ति का प्रयोग करने वाले सभी पुलिस अधिकारियों को प्रसारित किया जा सके। निर्णय की प्रति राज्य के पुलिस विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड की जानी चाहिए।

याचिका में दावा किया गया कि मालाड पुलिस ने 22 फरवरी को शाम 6 बजे याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी सूचना केवल उसकी मां को दी गई थी। उसे अगले दिन रिमांड के लिए अदालत में पेश किया गया। उसके बाद उसके खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया गया था।

Created On :   21 July 2024 9:20 PM IST

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