जमीन-जायदाद: रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में अब बिल्डरों की नहीं चलेगी चालाकी, पारदर्शिता की पहल

रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में अब बिल्डरों की नहीं चलेगी चालाकी, पारदर्शिता की पहल
  • 15 अप्रैल तक मांगे सुझाव-आपत्तियां
  • घर खरीदारों-निवेशकों के हित सुरक्षित होंगे
  • बिल्डरों की जवाबदेही बढ़ेगी
  • बिल्डरों को खोलने होंगे अब प्रोजेक्ट से संबंधित तीन खाते

डिजिटल डेस्क, मुंबई, सुजीत गुप्ता। रियल एस्टेट प्रोजेक्ट से संबंधित धन राशि में होने वाली धांधली रोकने के लिए महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (महारेरा) की ओर से नई पहल की गई है। इसके अनुसार प्रोजेक्ट के लिए बिल्डर को बैंक में तीन खाते खोलने होंगे। इनमें से एक खाते में प्रोजेक्ट से संबंधित पूरी रकम जमा करनी होगी। दूसरे खाते में प्रोजेक्ट की कुल लागत का 70 प्रतिशत हिस्सा जमा करना होगा। तीसरे खाते में घर खरीदारों से संबंधित लेन-देन के लिए 30 प्रतिशत रकम रखी जाएगी। महारेरा की ओर से इस बारे में 15 अप्रैल तक सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं। महारेरा अधिकारियों का कहना है कि उक्त उपाय से आवास परियोजना के वित्तीय मामलों में अनुशासन सुनिश्चित होगा। इससे घर खरीदारों का हित सुरक्षित होगा। बिल्डरों की जवाबदेही बढ़ेगी। रियल एस्टेट कारोबार में पारदर्शिता बढ़ेगी। नियामक का यह प्रस्ताव महारेरा की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ज्यादातर बिल्डर इससे असहमत हैं।

बिल्डर-प्रोजेक्ट के नाम खुलेंगे खाते

महारेरा के अनुसार प्रोजेक्ट से संबंधित खाते अनुसूचित बैंक में खोलने होंगे। ये खाते बिल्डर या प्रोजेक्ट के नाम पर होंगे। खाता खोलते समय बैंक को महारेरा की वेबसाइट से इन विवरणों को सत्यापित करना होगा। संबंधित परियोजना पूरी होने की तारीख के बाद इन खातों में लेन-देन नहीं होंगे।

परियोजना विस्तार के बाद अनुमति

इन खातों का इस्तेमाल तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि महारेरा से परियोजना विस्तार की अनुमति नहीं मिल जाती। नियामक पूर्व अनुमति के बिना बिल्डर बैंक खाता नहीं बदल सकता।

यह है असल वजह

बिल्डर कई चरणों में घर खरीदारों से रकम लेते हैं और अलग-अलग बैंक खातों में जमा करते हैं। इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन इस नए प्रस्ताव में केवल सरकारी टैक्स, शुल्क को छोड़ कर बाकी रकम (पार्किंग-सुविधा) संबंधित खातों में जमा करनी होगी। इसके अलावा बिक्री समझौते में उक्त बैंक खाते का उल्लेख करना अनिवार्य है।

यह है प्रावधान

अचल संपत्ति अधिनियम, 2016 की धारा (4), (2), (आई), (डी) के प्रावधानों के अनुसार परियोजना की भूमि और निर्माण लागत के न्यूनतम 70% के लिए एक अलग खाता रखा जाएगा। महारेरा ने सुझाव दिया है कि इस खाते से चेक, ऑनलाइन बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या किसी अन्य तरीके से पैसे नहीं निकाले जा सकते हैं। घर खरीदारों को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट देते समय, खरीदारी का एग्रीमेंट बनाते समय अलग खाते में रकम का जिक्र करना अनिवार्य है।

अजोय मेहता, अध्यक्ष, महारेरा के मुताबिक किसी भी आवासीय परियोजना को पूरी करने के लिए वित्तीय अनुशासन और नियंत्रण बहुत जरूरी है। रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और विश्वसनीयता के लिए यह आवश्यक है। इसलिए महारेरा ने वित्तीय लेन-देन की निगरानी के लिए एक ही बैंक में तीन खाता खोलने का प्रस्ताव दिया है।


Created On :   19 March 2024 9:47 PM IST

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