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बॉम्बे हाईकोर्ट में मामले: निलंबन शिक्षा अधिकारी की जगह कोई नियुक्ति नहीं, कमजोर वर्ग के लिए सस्ते घर का रास्ता साफ, ममेरी बहन के हत्यारे को राहत नहीं
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को ठाणे के निलंबन शिक्षा अधिकारी बालासाहेब रक्षे की जगह कोई नियुक्ति नहीं करने का दिया निर्देश
- पीसीएमसी के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए सस्ते घर बनाने का बॉम्बे हाई कोर्ट से रास्ता साफ
- एकतरफा प्यार में ममेरी बहन की हत्या करने वाले दोषी को आजीवन कारावास की सजा से बॉम्बे हाई कोर्ट ने रखा बरकरार
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ठाणे के निलंबन शिक्षा अधिकारी बालासाहेब रक्षे की जगह कोई नियुक्ति नहीं करने का निर्देश दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उनका निलंबन आदेश "राजनीति से प्रेरित" था और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया था। बदलापुर के एक स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों पर दुराचार का के बाद ठाणे से शिक्षा अधिकारी रक्षे को निलंबित कर दिया गया था। न्यायमूर्ति ए.एस.चंदुरकर और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ के समक्ष निलंबन शिक्षा अधिकारी बालासाहेब रक्षे की याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार निलंबित अधिकारी की जगह किसी शिक्षा अधिकारी नियुक्त न करे। हालांकि पीठ ने याचिकाकर्ता को निलंबन के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत के पिछले निर्देशों के पालन करते हुए राज्य सरकार ने हलफनामा दाखिल कर दावा किया था कि उपलब्ध सामग्री के अवलोकन के बाद रक्षे को निलंबित कर दिया गया है। उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। याचिकाकर्ता स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है और उसे प्रस्तावित विभागीय जांच से गुजरना होगा।
पीसीएमसी के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए सस्ते घर बनाने का बॉम्बे हाई कोर्ट से रास्ता साफ
उधर पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (पीसीएमसी) के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए सस्ते घर बनाने का बॉम्बे हाई कोर्ट से रास्ता साफ हो गया है। अदालत ने पिंपरी-चिंचवड के जिला अधिकारी के योजना के लिए पीसीएमसी को भूमि आवंटित करने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दी है।मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष संतोष मधुकर भोंडवे की ओर से वकील सुगंध बी.देशमुख की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के पत्र का यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता है कि इसमें राज्य सरकार की ओर से कोई ऐसा आदेश था, जिसके कारण जिलाधिकारी को अपना विवेकाधिकार त्यागना पड़ा। पीसीएमसी के पक्ष में भूमि आवंटित करने के लिए जिलाधिकारी द्वारा पारित 18 जून 2018 के आवंटन आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने दलील दी कि पुणे के जिलाधिकारी ने एक आदेश पारित कर 18 जून 2018 के पुणे के हवेली तहसील के अंतर्गत आने वाली एक भूमि को पिंपरी चिंचवड महानगरपालिका (पीसीएमसी) को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सस्ते घर की योजना के विकास के लिए आवंटित किया। यह भूमि क्षेत्र तलाठी के कार्यालय और निवास के लिए आरक्षित की गई थी। राज्य के राजस्व एवं वन विभाग ने 26 अप्रैल 2018 के पत्र के माध्यम से जिलाधिकारी को सूचित किया कि सरकार से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए पीएमएवाई के तहत आवास के लिए पीसीएमसी को संबंधित भूमि हस्तांतरित करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। जिलाधिकारी को पीएमएवाई के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और निम्न आय वर्ग के लाभार्थियों के लिए आवास निर्माण के प्रयोजनों के लिए पीसीएमसी को शर्तों और नियमों पर भूमि प्रदान करने के लिए उचित निर्णय लेना चाहिए। इसी के आधार पर जिलाधिकारी ने भूमि सीपीएमसी को आवंटित कर दी। अंतुरकर ने कहा कि जिलाधिकारी ने अपने विवेकाधिकार का परित्याग कर दिया है और राजस्व एवं वन विभाग में राज्य सरकार के आदेश पर कार्य किया है। जिलाधिकारी द्वारा निहित विवेकाधिकार का प्रयोग भूमि आबंटन करने के लिए तथ्यों एवं परिस्थितियों के साथ-साथ कानून के प्रति अपने स्वतंत्र विचार को लागू करके नहीं किया गया है। धारा 22 ए(1) के तहत गोचर भूमि के उपयोग के आवंटन पर प्रतिबंध है, जिसके अनुसार गांव के मवेशियों के मुफ्त चरागाह के लिए अलग रखी गई भूमि को किसी अन्य उपयोग के लिए आवंटित नहीं की जा सकती है।
एकतरफा प्यार में ममेरी बहन की हत्या करने वाले दोषी को आजीवन कारावास की सजा से बॉम्बे हाई कोर्ट ने रखा बरकरार
वहीं एकतरफा प्यार में ममेरी बहन की हत्या करने वाले दोषी 25 वर्षीय योगेश रामदास बछाव की आजीवन कारावास की सजा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सभी तथ्यों, परिस्थितियों और साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा याचिकाकर्ता को दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा के आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ के समक्ष योगेश बछाव की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से दावा किया गया कि ज्योत्सना की दादी के शरीर पर कुछ सफेद दाग थे और इसलिए मृतक ज्योत्सना के साथ याचिकाकर्ता का विवाह टूट गया था। किसी ने ज्योत्सना पर हमला किया था। जब उसने हस्तक्षेप किया, तो उसे भी चोटें आईं। जहां तक उसकी सहेली साधना को लगी चोटों का सवाल है, उन्हें चोटें स्कूटर की दुर्घटना के कारण लगी थीं। नासिक की निवासी ज्योत्सना पुणे के डॉ.डी.वाई.पाटिल इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग (कंप्यूटर साइंस) के तीसरे वर्ष में पढ़ाई कर रही थी। साधना उसकी सहेली और सहपाठी थी। वे रूममेट भी थे। याचिकाकर्ता ज्योत्सना से एकतरफा प्यार करता था। वह उसे और उसके माता-पिता को धमकाया था और उनसे शादी करने के लिए कहता था। 3 सितंबर 2010 को सुबह 7.45 बजे ज्योत्सना अपनी सहेली के साथ स्कूटी से कॉलेज जा रही थी। इस दौरान कॉलेज के रास्ते में एक मेस था, इसलिए वे मेस के पास रुक गए। उसकी सहेली साधना मेस की ओर चली गई। जब वह मेस के दरवाजे के पास पहुंची, तो याचिकाकर्ता मोटरसाइकिल पर वहां आया। उसने हंसिया और चाकू से ज्योत्सना की गर्दन और पीठ पर वार करना शुरू कर दिया। साधना ने मदद के लिए चिल्लाया और याचिकाकर्ता से हमला नहीं करने के लिए कहा। फिर भी याचिकाकर्ता ने ज्योत्सना गंभीर रूप से घायल होकर जमीन पर गिरने के बाद भी हमला जारी रखा। जब साधना ने ज्योत्सना को उठाने की कोशिश की, तो याचिकाकर्ता ने उसके बाएं पैर पर चाकू मार दिया और फिर दोबारा ज्योत्सना पर छह से सात बार चाकू से वार किया. उसकी मौके पर ही मौत नहीं हो गई। बाद में उसने खुद को चाकू मार कर आत्महत्या करने की कोशिश की। पुणे के चिंचवड़ पुलिस स्टेशन में योगेश बछाव के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने ज्योत्सना की सहेली साधना के बयान और घटनास्थल से प्राप्त सबूतों को ट्रायल कोर्ट में पेश किया, जिसके आधार पर ट्रायल कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बचाव पक्ष द्वारा उसकी (साधना) की गवाही का खंडन करने का निरर्थक प्रयास किया गया है। पीठ ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा
Created On :   13 Sept 2024 10:17 PM IST