Mumbai News: प्रशांत महासागर के तापमान में उछाल और ग्लोबल वॉर्मिंग से बिगड़ी स्थिति

प्रशांत महासागर के तापमान में उछाल और ग्लोबल वॉर्मिंग से बिगड़ी स्थिति
  • ग्रीष्मकालीन हवाओं के उत्तर की ओर बढ़ने से बढ़ रही गर्मी की लहर
  • आईआईटी मुंबई के अध्ययन में खुलासा
  • उत्तर के राज्यों में बदल रहा है मौसम का पैटर्न

Mumbai News उत्तर मध्य भारत में लगातार बढ़ रही गर्मी की वजह ग्रीष्मकालीन हवाओं का उत्तर की ओर बढ़ना है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई के जलवायु अध्ययन केंद्र ने शोध के बाद यह खुलासा किया है। अध्ययन से पता चला है कि साल 1998 के बाद हवाओं के रुख में बदलाव ही क्षेत्र में हीटवेव, गर्मी की अवधि बढ़ने और ज्यादा गर्मी जैसे बदलावों के लिए जिम्मेदार हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक हवा के पैटर्न में बदलाव प्रशांत महासागर के तापमान में उछाल के चलते हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते स्थिति और खराब हो रही है।

जलवायु में प्राकृतिक परिवर्तन और मानव-जनित ग्लोबल वार्मिंग दोनों मिलकर मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर रहे हैं। शोध टीम में शामिल आईआईटी मुंबई के पीएचडी छात्र रोशन झा ने कहा कि शोध के दौरान हमने पाया कि 1998 से उत्तर-मध्य भारत में मॉनसून से पहले का तापमान 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। ऐसा लगता है कि यह वृद्धि उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट के रूप में जानी जाने वाली ऊपरी क्षोभमंडलीय हवाओं के बैंड के उत्तर की ओर बढ़ने के चलते हुआ है। हीटवेव के दौरान गर्मी संचय दोगुनी से अधिक है जो बड़ी आबादी वाले इलाके के लिए चिंता का विषय है। झा ने कहा कि हम लगातार देख रहे हैं कि उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में बरसात, गर्मी और ठंड का पैटर्न बदल रहा है।

पड़ोसी देशों पर भी असर : शोध से जुड़ी आईआईटी मुंबई की एसोसिएट प्रोफेसर अर्पिता मोंडल ने कहा कि यह परिवर्तन सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों को भी प्रभावित कर रहा है। शोध से साफ पता चलता है कि हवा के पैटर्न में बदलाव हीटवेव को बदतर बना रहे हैं। शोध के लिए भारत मौसम विभाग, यूरोपीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान (ईसीएमडब्ल्यूएफ) का साल 1973 से 2022 तक का डेटा समेत कई तरह के आंकड़ों का अध्ययन किया गया। मोंडल ने कहा कि शोध में जो पैटर्न मिले हैं उन्हें कंप्यूटर-आधारित जलवायु मॉडल में इस्तेमाल कर हीटवेव की ज्यादा सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। साथ ही इससे निपटने के लिए रणनीति भी तैयार की जा सकती है।

45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान : मौसम विभाग के मुताबिक मैदानी इलाकों में 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान को हीटवेव माना जाता है। आंकड़ों के मुताबिक मार्च से मई के बीच कई इलाकों में 48 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान दर्ज किया गया। झा ने कहा कि अगर तापमान का बढ़ना जारी रहा तो हम सिर्फ गर्मी का सामना नहीं करेंगे बल्कि कई इलाकों के जलवायु में बड़े बदलाव हो सकते हैं। गुजरात और राजस्थान जैसे राज्य में ज्यादा बरसात इसी बदलाव का असर है। यह जरूरी है कि सरकारें ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए तुरंत कदम उठाएं हालांकि इसका बड़ा असर होने में कम से कम 20 साल लगेंगे।

Created On :   19 Oct 2024 8:04 PM IST

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