- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- डंपिंग ग्राउंड को लेकर सतारा जिला...
Mumbai News: डंपिंग ग्राउंड को लेकर सतारा जिला कलेक्टर से मांगा जवाब, अपहरण कर रेप करने वाले की सजा भी बरकरार

- डंपिंग ग्राउंड के लिए आवंटित को लेकर सतारा के जिला कलेक्टर से मांगा जवाब
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने दहिसर में 4 वर्षीय बच्ची का अपहरण कर दुराचार करने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा को रखी बरकरार
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई के डिप्टी कलेक्टर को भारत में 60 साल से रह रही महिला की नागरिकता के लिए आवेदन पर फैसला लेने का दिया निर्देश
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने महिला की शिकायत पर कार्रवाई में देरी को लेकर मुंबई पुलिस को लगाई फटकार
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने सतारा में गैरन भूमि (मवेशियों के चरने की भूमि) को डंपिंग ग्राउंड के लिए आवंटित करने को लेकर जिला कलेक्टर से जवाब मांगा है। अदालत ने तीन सप्ताह में जिला कलेक्टर को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका गैरन भूमि को डंपिंग ग्राउंड के लिए आवंटित के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम.एस.कार्निक की पीठ के समक्ष जयदीप शिवाजीराव शिंदे की ओर से वकील पृथ्वीराज गोले की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील संदेश पाटिल ने दलील दी कि राज्य सरकार ने 17 जुलाई 2017 को जीआर जारी कर सतारा के जौली जिला स्थित सोनगांव में मवेशियों के चरने की गैरन भूमि को डंपिंग ग्राउंड के लिए आवंटित कर दी गई। गांव में काफी आबादी है। ग्रामीण मुख्य रूप से कृषि कार्य करते हैं। इन ग्रामीणों की कृषि भूमि गांव के निकट स्थित है। गांव के पास एक मात्र गैरन भूमि है। इस भूमि का दूसरे कार्यों के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है। ऐसे में गैरन भूमि के डंपिंग ग्राउंड के लिए आवंटित किए जाने के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। पीठ ने सतारा के जिला कलेक्टर को तीन सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने दहिसर में 4 वर्षीय बच्ची का अपहरण कर दुराचार करने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा को रखी बरकरार
उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2012 में दहिसर में 4 वर्षीय बच्ची का अपहरण कर उसके साथ दुराचार करने वाले व्यक्ति के कारावास की सजा बरकरार रखा है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीड़ित बच्ची के आंसुओं को उनकी असली कीमत के लिए समझा जाना चाहिए। इस चुप्पी से दोषी को कोई लाभ नहीं हो सकता। यहां चुप्पी एक बच्चे की है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और नीला गोखले की पीठ ने दोषी व्यक्ति के खिलाफ मुंबई सेशन कोर्ट के आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि यह स्थापित कानून है कि किसी आरोपी को केवल पीड़िता के साक्ष्य के आधार पर दोषी ठहराया जा सकता है, बशर्ते कि यह विश्वास पैदा करे और पुष्टि अनिवार्य नहीं है। पीठ ने पाया कि बच्ची की माता-पिता की गवाही ने घटनाओं का एक सुसंगत क्रम प्रदान किया। पीड़िता ने चार साल की उम्र में हुई घटना के बारे में गवाही देते समय केवल आठ साल की उम्र होने के बावजूद पूरी घटना का विस्तृत विवरण दिया। उसने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी गवाही के दौरान बिना किसी हिचकिचाहट के आरोपी की पहचान की। डीएनए टेस्ट रिपोर्ट से भी पीड़िता के साथ दुराचार होने की पुष्टि हुई है। दोषी व्यक्ति ने फुटपाथ पर रहने वाली नाबालिग बच्ची का अपहरण तब किया, जब वह रात को साढ़े नौ बजे चॉकलेट खरीदने गई थी। नशे में धुत आरोपी ने उसे रात करीब साढ़े इग्यारह बजे उसके माता-पिता को लौटा दिया और दावा किया कि उसने उसे बस स्टॉप पर रोते हुए पाया था। बच्ची के गुप्तांग से खून बह रहा था और मेडिकल जांच में दुराचार की पुष्टि हुई। जांच के बाद बच्ची द्वारा अपनी मां को बताए जाने के बाद उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया। सेशन कोर्ट ने 8 नवंबर 2017 को व्यक्ति को दोषी पाया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद उसने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई के डिप्टी कलेक्टर को भारत में 60 साल से रह रही महिला की नागरिकता के लिए आवेदन पर फैसला लेने का दिया निर्देश
उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई के डिप्टी कलेक्टर को भारत में 60 साल से रह रही 70 वर्षीय महिला की भारतीय नागरिकता को लेकर किए गए आवेदन पर फैसला लेने का निर्देश दिया। महिला के आवेदन पर अधिकारियों ने उन्हें अवैध प्रवासी करार दिया था, जिसे उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति डॉ.नीला गोखले की पीठ ने कहा कि हम मामले को मुंबई के डिप्टी कलेक्टर (सामान्य) को वापस भेजते हैं, जिससे वे याचिकाकर्ता के नागरिकता के आवेदन पर कानून के अनुसार नए सिरे से विचार कर सकें। संबंधित प्राधिकरण से अनुरोध है कि वह 31 दिसंबर 2019 को पारित आदेश से प्रभावित हुए बिना तीन सप्ताह की अवधि के भीतर मामले पर निर्णय लें। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल को रखी है। पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता इला पोपट का जन्म सितंबर 1955 में हुआ था। वह 15 फरवरी 1966 को 10 साल की उम्र में अपने युगांडा के राष्ट्रीय माता-पिता के साथ भारत आई थीं। हालांकि बाद में उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई और तब से वह भारत में ही रह रही हैं। याचिकाकर्ता एक भारतीय व्यक्ति से शादी करके यहीं बस गई, उनके दो बच्चे हैं। भारतीय नागरिकता के लिए उनकी याचिका पर अधिकारियों ने उन्हें अवैध प्रवासी देते हुए भारतीय नागरिकता देने से इनकार कर दिया। इला पोपट की वकील सुमेध रुइकर ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता ने 3 अप्रैल 1997 और 14 मई 2008 को भारतीय पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। हालांकि अधिकारियों ने उसे यह सत्यापित करने के लिए यात्रा दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा कि वह भारत में कैसे आई? उन्होंने अपनी मां का पासपोर्ट प्रस्तुत किया। इस पर अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने 17 मई 2012 को तीसरा आवेदन किया गया, जिस पर अधिकारियों ने याचिकाकर्ता को पहले खुद को भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत करने की सलाह दी, जिसके बिना पासपोर्ट के लिए उसके अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा। उन्होंने भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए संबंधित अधिकारियों को 15 मार्च 2019 को एक ऑनलाइन आवेदन किया। उसने अपने आवेदन के समर्थन में आवश्यक दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। हालांकि अधिकारियों ने उसके आवेदन का निपटारा करते हुए कहा कि वह एक राज्यविहीन नागरिक थी और उसने अपने वीजा की वैधता के बारे में गलत विवरण दिया था। याचिकाकर्ता के वकील की दलील को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को अवैध प्रवासी या राज्य विहीन व्यक्ति नहीं कहा जा सकता है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने महिला की शिकायत पर कार्रवाई में देरी को लेकर मुंबई पुलिस को लगाई फटकार
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक महिला के 75 लाख रुपए के शेयर की धोखाधड़ी की शिकायत पर कार्रवाई में देरी के लिए मुंबई पुलिस को फटकार लगाई। अदालत ने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि धोखाधड़ी किसी अंदरूनी व्यक्ति का काम प्रतीत होती है और संबंधित बैंक स्टाफ के सदस्यों को तुरंत गिरफ्तार नहीं करना शर्मनाक है। अदालत ने कफ परेड पुलिस स्टेशन के अधिकारियों को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। 15 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और नीला के गोखले की पीठ के समक्ष मुलुंड की रहने वाली विप्रो लिमिटेड में पूर्व सिस्टम मैनेजर विलासिनी साईनाथ की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), आईडीबीआई बैंक और कफ परेड के आईडीबीआई कैपिटल मार्केट्स एंड सिक्योरिटीज लिमिटेड की भूमिका की गहन जांच करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इसके साथ ही आईडीबीआई कैपिटल मार्केट्स से ब्याज सहित संबंधित शेयरों के मूल्य की प्रतिपूर्ति और धोखाधड़ी और लापरवाही के कारण उसे हुए परेशानी के लिए बैंक से 25 लाख रुपए का मुआवजा भी देने का अनुरोध किया गया है। आईडीबीआई बैंक में डीमैट खाते से 2019 में उसके मंजूरी के बिना विप्रो इंडिया लिमिटेड के 75 लाख रुपए से अधिक मूल्य के 31690 शेयर ट्रांसफर किए गए थे। याचिकाकर्ता ने पीठ को बताया कि दो साल पहले की गई उसकी शिकायत के बावजूद कफ परेड पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पीठ ने कहा कि धोखाधड़ी में अंदरूनी व्यक्ति का काम प्रतीत होता है। पीठ ने इस मामले में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। पीठ ने आईडीबीआई बैंक को भी दो साल तक केवल जांच करने के लिए फटकार लगाई और याचिकाकर्ता को राशि वापस करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता जुलाई 2022 को आईडीबीआई की बेंगलुरु शाखा में गई और पाया कि उनके शेयर को उनकी सहमति के बिना ट्रांसफर कर दिए गए हैं। बाद में उन्हें पता चला कि भूपेंद्र गोयल नामक एक व्यक्ति ने उनके डीमैट खाते में धोखाधड़ी दिसंबर 2019 में 16 लाख 62 हजार रुपए के 7000 शेयर और 58 लाख 75 हजार रुपए के 24,690 शेयर बेचे थे। वह बैंक और पुलिस से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे व्यथित होकर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
Created On :   6 April 2025 9:55 PM IST