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Mumbai News: पवार बोले - संख्या बल भले ही कम है पर सरकार को घेरेंगे, उद्धव ने भी नेताओं को दी जिम्मेदारी

- राकांपा (शरद) प्रदेशाध्यक्ष पाटील का दावा
- संख्या बल भले ही कम है पर सरकार को घेरेंगे
- पार्टी में नाराजगी दूर करने के लिए उद्धव ठाकरे ने उप नेताओं को दी जिम्मेदारी
Mumbai News. राकांपा (शरद) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने कहा है कि विधानसभा में भले ही विपक्षी विधायकों का संख्या बल कम है पर बजट सत्र के दौरान सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। दो दिन पहले पाटील ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व राजस्व मंत्री चंद्रशेखऱ बावनकुले ने मुसाकात की थी। इसके बाद उनके पाला बदलने की चर्चा शुरु हुई थी। पाटील ने गुरुवार को कहा कि सदन में संख्या बल मायने नहीं रखता। विपक्ष विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान ‘महायुति’ सरकार को ‘‘कठघरे में खड़ा करेगा, क्योंकि राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।’ राज्य के पूर्व वित्तमंत्री पाटिल ने कहा कि राज्य के वित्त मंत्री अजित पवार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘लाडकी बहिन’ का पूरा खर्च नहीं दिखा पाएंगे, जिसके तहत 2.5 लाख रुपये से कम वार्षिक पारिवारिक आय वाली महिलाओं को 1500 रुपये मासिक सहायता दी जाती है। उन्होंने कहा कि घाटा बहुत बड़ा है और राज्य की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। महायुति सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। महाविकास आघाडी के देवेंद्र फडणवीस सरकार बनने के बाद से कई मुद्दों को उजागर करने का अवसर है। पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने, योजनाओं के क्रियान्वयन, किसानों से जुड़े मुद्दों पर बुरी तरह विफल रही है।
बजट सत्र में नेता विपक्ष के पद पर करेंगे दावा
रणनीति बनाने के लिए आघाडी मार्च के पहले सप्ताह में बैठक करेगी। हमने विपक्ष के नेता पद के लिए दावा पेश करने वाला पत्र नहीं सौंपा है, जो हम सौंपेंगे। नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में ‘महायुति’ ने 230 सीटें जीतीं, जिसमें भाजपा को 132, एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को 41 सीट मिलीं। महा आघाडी प्रदर्शन खराब रहा, जिसमें शिवसेना (उद्धव) को 20 सीट, कांग्रेस को 16 और राकांपा (शरद) को 10 सीटें मिलीं। समाजवादी पार्टी ने दो सीट जीतीं, जबकि निर्दलीय और अन्य 10 सीटों पर विजयी हुए। अभी तक विधानसभा में विपक्ष के नेता पद पर नियुक्ति नहीं हो सकी है। क्योंकि किसी भी विपक्षी दल के पास इसके लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है। विपक्ष में शिवसेना (उद्धव) के पास सबसे ज्यादा विधायक हैं। विधान परिषद में विपक्ष के नेता का पद उद्धव गुट के पास है। इस लिए कांग्रेस विधानसभा में विपक्ष का नेता पद चाहती है। पर इस बारे में अंतिम फैसला सरकार का होगा। 90 के दशक बाद राज्य में इस समय सबसे कमजोर विपक्ष है।
पार्टी में नाराजगी दूर करने के लिए उद्धव ठाकरे ने उप नेताओं को दी जिम्मेदारी
शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी के नेताओं की नाराजगी दूर करने के लिए पहल तेज कर दी है। सूत्रों का कहना है कि ठाकरे ने राज्य की सभी विधानसभा क्षेत्रों में नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं की लिस्ट मांगी है। इसके साथ ही ठाकरे ने इन नेताओं की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी के उप नेताओं को जिम्मेदारी दी है। ये नेता प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में जाकर नाराज पार्टी पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का हल निकालेंगे। ठाकरे ने यह फैसला लगातार पार्टी छोड़ रहे नेताओं के चलते लिया है।
शिवसेना (उद्धव) के एक वरिष्ठ नेता ने 'दैनिक भास्कर' को बताया कि पिछले काफी समय से हमारे नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। दरअसल ऐसा विधानसभा चुनाव में पदाधिकारियों में हुए मतभेद के चलते हो रहा है। इस नेता ने यह भी कहा कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राज्य के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के दौरान पार्टी पदाधिकारियों में हुए मतभेद को दूर करने की जिम्मेदारी पार्टी के उप नेताओं को दी गई है। यह सभी नेता हर विधानसभा क्षेत्र में जाकर नाराज पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे और उनकी समस्या का हल निकालने की कोशिश करेंगे।
नाराज पदाधिकारियों को कैसे मनाया जाएगा?
शिवसेना (उद्धव) के उप नेता राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्र में जाकर जिलाध्यक्ष और तहसील स्तर के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे। ये नेता उनसे विधानसभा चुनाव में पार्टी के हित में काम नहीं करने वाले कार्यकर्ताओं की सूची मांगेंगे। जिस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के दौरान मतभेद खुलकर सामने आए थे, उन नेताओं की सूची बनाई जाएगी। जिसे पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को भेजा जाएगा। ये नेता विवाद को विधानसभा क्षेत्र में ही सुलझाने की कोशिश करेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर इन्हें उद्धव ठाकरे के समक्ष बुलाया जाएगा और उनकी नाराजगी खत्म कराने की कोशिश की जाएगी।
हातकणंगले में उद्धव ठाकरे को लगा एक और झटका
उद्धव ठाकरे को हातकणंगले में बड़ा झटका लगा है। यहां के पूर्व विधायक सुजीत मिणचेकर ठाकरे का साथ छोड़कर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिंदे गुट में शामिल हो गए। इस मौके पर सैकड़ों कार्यकर्ता भी शिंदे गुट में शामिल हुए। इससे पहले भी उद्धव गुट के कई पूर्व विधायक शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं।
Created On :   27 Feb 2025 9:49 PM IST