Mumbai News: नाम में क्या रखा है, अगर काम गलत हो तो करवाई करनी चाहिए - बॉम्बे हाईकोर्ट

नाम में क्या रखा है, अगर काम गलत हो तो करवाई करनी चाहिए - बॉम्बे हाईकोर्ट
  • अदालत ने राज्य चैरिटी कमिश्नर के सामाजिक संस्था के खिलाफ जारी परिपत्र को किया रद्द
  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा - अगर काम गलत हो तो करवाई करनी चाहिए

Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र चैरिटी कमिश्नर के एक आदेश को रद्द करते हुए टिप्पणी की कि नाम में क्या रखा है, काम देखना चाहिए। अगर काम गलत हो, तो करवाई करनी चाहिए। चैरिटी कमिश्नर ने एक धर्मार्थ संगठन को लेकर आदेश दिया था कि धर्मार्थ संगठन ‘मानवी हक्का संरक्षण और जागृति ट्रस्ट’ को अपने शीर्षकों में ‘भ्रष्टाचार निर्मूलन महासंघट, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, "भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ या "मानवाधिकार’ जैसे शब्दों का उपयोग न करें। न्यायमूर्ति एम.एस.सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की पीठ ने मानवी हक्का संरक्षण और जागृति ट्रस्ट की दायर याचिका पर अपने फैसले में कहा कि संगठन के नाम के बजाय उसके काम पर ध्यान दिया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई या मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए लड़ना "सामान्य सार्वजनिक उपयोगिता की वस्तु" की परिभाषा में आता है। इसके लिए एक धर्मार्थ ट्रस्ट या संगठन स्थापित किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि हम यह कहकर समाप्त कर सकते हैं कि "नाम में क्या रखा है, काम देखना चाहिए। अगर काम गलत हो तो सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि यह दावा करना कि भ्रष्टाचार विरोधी प्रयास किसी धर्मार्थ संगठन का लक्ष्य नहीं हो सकता है, यह कानूनी परिभाषाओं का खंडन करेगा। यह कैंसर बन गया है, जो जन कल्याण को कमजोर कर रहा है। आर्थिक विकास और सरकारी दक्षता में बाधा डाल रहा है। ऐसी कोई प्रथा प्रचलित या प्रोत्साहित नहीं की जानी चाहिए। भ्रष्टाचार और मानवाधिकार एक दूसरे से बहुत निकट से जुड़े हुए हैं। भ्रष्टाचार मानव कल्याण के सभी क्षेत्रों और पहलुओं, विशेष रूप से मानवाधिकारों के लिए हानिकारक है।

चैरिटी कमिश्नर ने जुलाई 2018 परिपत्र जारी किया, जिसमें कहा गया कि धर्मार्थ संगठन मानवी हक्का संरक्षण और जागृति ट्रस्ट अपने शीर्षकों में ‘भ्रष्टाचार निर्मूलन महासंघटक, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, भ्रष्टाचार मुक्त भारत या मानवाधिकार' जैसे शब्दों का उपयोग न करें, क्योंकि उनका तर्क था कि भ्रष्टाचार का उन्मूलन एक सरकारी जिम्मेदारी है, न कि निजी संस्थाओं की। धर्मार्थ संगठन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चैरिटी कमिश्नर के जारी परिपत्र को चुनौती दी थी।

Created On :   6 Dec 2024 9:09 PM IST

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