बॉम्बे हाईकोर्ट: भायखला महिला जेल में जेल वार्डन की हत्या की मुख्य आरोपी को मिली जमानत

भायखला महिला जेल में जेल वार्डन की हत्या की मुख्य आरोपी को मिली जमानत
  • याचिकाकर्ता पर कैदियों को अंडे बांटते समय दो अंडे कम पड़ने पर जेल वार्डन पर जानलेवा हमला कर हत्या करने का आरोप
  • बच्चों के स्वास्थ्य की अनदेखी कर स्कूल के पास डंपिंग ग्राउंड की अनुमति नहीं दी जा सकती
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने स्टाफ की कमी को भरने के लिए जल्द निर्णय नहीं लिए जाने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2017 में भायखला महिला जेल में जेल वार्डन की हत्या की मुख्य आरोपी बिंदु नायकोडे को जमानत दे दी। अदालत ने 7 साल से अधिक समय से जेल में रहने का हवाला देते हुए उसे जमानत पर रिहा किया। उस पर कैदियों को अंडे बांटते समय दो अंडे कम पड़ने पर जेल वार्डन मंजुला शेट्टे पर जानलेवा हमला कर हत्या करने का आरोप है। न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे की एकलपीठ के समक्ष बिंदु नायकोडे की ओर से वकील वैभव बागड़े और वकील अमन कोठारी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता पर सह आरोपियों के साथ भायखला महिला जेल की जेल वार्डन पर जानलेवा हमला करने का आरोप है। इस मामले में जेल वार्डन की मौत हो गई थी। याचिकाकर्ता के साथ जिन सह-आरोपियों के विरुद्ध हत्या का आरोप लगाए गए हैं, उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है। ऐसे में याचिकाकर्ता समानता के सिद्धांत पर जमानत की हकदार है। उसकी याचिका को स्वीकार किया जाना चाहिए। सरकारी वकील प्रसन्ना मालशे ने नायकोडे की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने सह-आरोपियों ने बिना किसी उचित आधार के जेल वार्डन पर बेरहमी से हमला किया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। याचिकाकर्ता की इस हत्या में महत्वपूर्ण भूमिका रही। यदि उसे जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह फरार हो सकती है और वह साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकती है। इसलिए उसकी याचिका को खारिज की जानी चाहिए। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता 7 वर्ष से अधिक समय से जेल में है। उसकी सह आरोपियों को पहले ही जमानत मिल गई है। ऐसे में वह समानता के सिद्धांत पर जमानत की हकदार है। पीठ ने 50 हजार के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के बांड पर आरोपी बिंदु नायकोडे को जमानत दे दी।

बच्चों के स्वास्थ्य की अनदेखी कर स्कूल के पास डंपिंग ग्राउंड की अनुमति नहीं दी जा सकती

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य की अनदेखी कर स्कूल के पास डंपिंग ग्राउंड की अनुमति नहीं दी जा सकती है। याचिकाएं 2010 से लंबित हैं और नगर पालिका को अब तक वैकल्पिक स्थान ढूंढ लेना चाहिए था। अदालत ने इसको लेकर इगतपुरी नगर पालिका को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। 24 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की पीठ के समक्ष नासिक जिले के इगतपुरी तहसील के अवलखेड़ा गांव के एक स्कूल और ग्राम पंचायत द्वारा 2011 में दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान इगतपुरी नगर पालिका के वकील ने कहा कि शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने सभी पक्षों की बात सुनी और उपचार संयंत्र को अधिकृत करने का आदेश दिया है। हालांकि याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि प्रधान सचिव ने अपने आदेश में कोई कारण नहीं बताया। इस पर पीठ ने नगर पालिका के वकील से पूछा कि स्कूल के पास डंपिंग ग्राउंड कैसे हो सकता है? बच्चों को स्वस्थ वातावरण का अधिकार है। आप इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि स्कूल के बगल में डंपिंग ग्राउंड होना चाहिए। बच्चे समाज का भविष्य हैं। समाज का दायित्व है कि उन्हें डंपिंग ग्राउंड नहीं, बल्कि स्वस्थ वातावरण प्रदान करे। पीठ ने मगर पालिका के वकील से यह भी कहा कि पूरी ईमानदारी से आप को यह कहना चाहिए था कि हम निर्णय की समीक्षा करेंगे। हम स्कूल के बगल में डंपिंग ग्राउंड की अनुमति नहीं देंगे। यदि आपका बेटा या बेटी किसी ऐसे स्कूल में पढ़ रहा है, जिसके पास डंपिंग ग्राउंड है, तो क्या आप उन्हें भेजेंगे? इसके बाद नगर पालिका के वकील ने कहा कि प्रस्तावित स्थल डंपिंग ग्राउंड के लिए नहीं, बल्कि प्रोसेसिंग प्लांट के लिए होगा। पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे की जांच करेगा। आश्चर्य की बात यह है कि 2010 से ये याचिकाएं लंबित हैं। आप की जगह कोई भी व्यक्ति वैकल्पिक स्थान ढूंढ़ लेता। पीठ ने नगर पालिका को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। 24 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई होगी।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने स्टाफ की कमी को भरने के लिए जल्द निर्णय नहीं लिए जाने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई

इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने स्टाफ की कमी को भरने के लिए जल्द निर्णय नहीं लिए जाने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई। पिछले दिनों राज्य सरकार को हाई कोर्ट में स्टाफ की आवश्यकताओं के संबंध में रजिस्ट्री द्वारा दिए गए प्रस्तावों पर जल्द निर्णय लेने का निर्देश दिया। अदालत ने शुक्रवार को मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है। हाई कोर्ट के मूल पक्ष में 453 व्यक्तियों और अपीलीय पक्ष में 792 व्यक्तियों की कमी है। न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ ने स्वत: संज्ञान (सुमोटो) याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील से पूछा कि हाई कोर्ट में स्टाफ की कमी को कब तक पूरा किया जाएगा। यह एक निश्चित समय में होना चाहिए। पीठ ने इसको लेकर मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। पिछले दिनों पीठ ने कहा था कि हम इसमें देरी नहीं देखना चाहते हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस पर तेजी से काम हो। हाई कोर्ट रजिस्ट्री ने स्टाफ की आवश्यकता का विवरण का प्रस्ताव दिसंबर 2024 में राज्य सरकार को भेजा था। इस साल 20 फरवरी को एक और प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें अगले 15 वर्षों के लिए स्टाफ की आवश्यकता का अनुमान लगाया गया था। अतिरिक्त सरकारी वकील अभय पटकी ने न्यायालय को आश्वासन दिया था कि सरकार रजिस्ट्री के प्रस्तावों पर विचार करेगी। उस समय पीठ ने एजीपी अभय पटकी को इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए विधि एवं न्याय विभाग के प्रमुख सचिव के साथ बैठक करने का सुझाव दिया था।

Created On :   4 April 2025 9:19 PM IST

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