बॉम्बे हाईकोर्ट: कोल्हापुर और सोलापुर सहित फ्रांसीसी कंपनी सिस्ट्रा की याचिकाओं पर सुनवाई

कोल्हापुर और सोलापुर सहित फ्रांसीसी कंपनी सिस्ट्रा की याचिकाओं पर सुनवाई
  • सोलापुर में लेबर और इंडस्ट्रियल कोर्ट के लिए जमीन मांगने वाली जनहित याचिका पर राज्य सरकार से मांगा जवाब
  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरबीआई को कोल्हापुर निवासियों के आयकर विभाग द्वारा जब्त पुराने बंद नोटों को स्वीकार करने का दिया निर्देश
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने फ्रांसीसी कंपनी सिस्ट्रा को एमएमआरडीए के खिलाफ दायर याचिका को वापस लेने की दी अनुमति

Mumbai News. बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोलापुर में लेबर और इंडस्ट्रियल कोर्ट के लिए जमीन मांगने वाली जनिहत याचिका पर नोटिस जारी कर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि लेबर और इंडस्ट्रियल कोर्ट किराए की बिल्डिंग की तीसरी और चौथी मंजिल पर चल रहा है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ के समक्ष सोलापुर के लेबर लॉ प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल काकड़े की ओर से वकील बालाजी येणगे की दायर जनहित याचिका सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील वकील बालाजी ये‌णगे ने अदालत से सोलापुर जिला कलेक्टर को नए लेबर और इंडस्ट्रियल कोर्ट के निर्माण के लिए सरकारी जमीन आवंटित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। उन्होंने दलील दी कि सोलापुर में मौजूदा लेबर और इंडस्ट्रियल कोर्ट किराए की बिल्डिंग की तीसरी और चौथी मंजिल पर चल रहा है। यहां लिफ्ट, महिलाओं के लिए शौचालय और पर्याप्त पार्किंग की सुविधा का अभाव है। इससे सबसे अधिक दिव्यांग वादियों और वकीलों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। याचिकाकर्ता का दावा है कि उन्होंने पिछले कई वर्षों से अधिकारियों को बार ज्ञापन देकर श्रम और औद्योगिक न्यायालय के निर्माण के लिए सरकारी भूमि आवंटित करने का अनुरोध किया, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। 1972 से मौजूदा किराए की इमारत का उपयोग हो रहा है, जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। इस इमारत में चार पहिया और दो पहिया वाहनों के लिए पार्किंग की जगह की कमी के कारण वकीलों और वादियों को सार्वजनिक सड़कों पर पार्क करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसलिए अदालत को सोलापुर के जिला अधिकारियों को नए न्यायालय भवन के निर्माण के लिए कई चिन्हित सरकारी भूमि में से एक आवंटित करने के निर्देश जारी करने चाहिए। सुझाई गई भूमि सोलापुर में नए कलेक्टर कार्यालय, सहकारी दुग्ध योजना और अन्य खाली भूखंडों के पास स्थित है। ये भूखंड 7.5 एकड़ में हैं। इस पर एक आधुनिक, सुलभ और पर्याप्त रूप से सुसज्जित श्रम और औद्योगिक न्यायालय का निर्माण किया जा सकता है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरबीआई को कोल्हापुर निवासियों के आयकर विभाग द्वारा जब्त पुराने बंद नोटों को स्वीकार करने का दिया निर्देश

उधर दूसरे मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरबीआई को दिसंबर 2016 में आयकर विभाग द्वारा की गई छापेमारी के दौरान कोल्हापुर निवासियों के जब्त किए गए पुराने बंद नोटों में 20 लाख रुपए को स्वीकार करने का निर्देश दिया गया। याचिकाकर्ताओं को आरबीआई की कट-ऑफ तिथि के बाद बंद नोटों को जमा करने में समस्या आ रही थी।न्यायमूर्ति ए.एस.चंदुरकर और न्यायमूर्ति एम.एम.सथाये की पीठ के समक्ष कोल्हापुर निवासियों की ओर से वकील उदय शंकर समुद्रला की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता समय सीमा को पूरा नहीं करने के लिए दोषी नहीं थे। पीठ ने उन्हें आरबीआई के पास 20 लाख रुपए जमा करने की अनुमति दी और शीर्ष बैंक को नोटों को सत्यापित करने और समकक्ष विनिमय राशि प्रदान करने का निर्देश दिया। आयकर विभाग ने 26 दिसंबर 2016 को कोल्हापुर के निवासियों पर छापेमारी की थी, जिसमें बंद हो चुके 500 और 1000 रुपए के नोटों को जमा करने की सरकार की 31 दिसंबर 2016 की समय सीमा से कुछ दिन पहले हुई थी। याचिकाकर्ताओं को उनकी जब्त की गई धनराशि आरबीआई की कट-ऑफ तिथि के बाद 17 जनवरी 2017 को वापस मिल गई और इसके बाद उन्हें बैंकों में नोट जमा करने में समस्याओं का सामना करना पड़ा। आरबीआई ने उनकी अपील को अस्वीकार कर दिया गया, क्योंकि वे निर्धारित समय सीमा से चूक गए थे। याचिकाकर्ताओं के वकील उदय शंकर समुद्रला ने दलील दी कि देरी उनकी गलती नहीं हुई थी, क्योंकि महत्वपूर्ण अवधि के दौरान मुद्रा सरकारी हिरासत में थी। पीठ ने याचिकाकर्ताओं की दुर्दशा को स्वीकार करते हुए कहा कि उनके नियंत्रण से परे परिस्थितियों के लिए उन्हें दंडित करना अन्यायपूर्ण पाया।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने फ्रांसीसी कंपनी सिस्ट्रा को एमएमआरडीए के खिलाफ दायर याचिका को वापस लेने की दी अनुमति

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने फ्रांसीसी कंपनी सिस्ट्रा को मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के खिलाफ दायर याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी। विदेशी कंपनी ने सोमवार को अदालत में राज्य सरकार और एमएमआरडीए से विवाद को सुलझा लेने के लिए बातचीत होने की बात कही। सिस्ट्रा ने मुंबई मेट्रो के लिए एमएमआरडीए के साथ एक परामर्श समझौते पर हस्ताक्षर किया है। वह मुंबई की मेट्रो लाइन 5, 6, 7 (ए), 9, 10 और 12 के लिए एक सामान्य सलाहकार के रूप में और लाइन 2(ए), 7 और संबंधित डिपो के लिए एक विस्तृत डिजाइन प्रदाता के रूप में काम कर रही है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ के समक्ष सिस्ट्रा ने एक याचिका दायर किया, जिसमें दावा किया कि एमएमआरडीए ने एकतरफा रूप से उनका अनुबंध रद्द कर दिया। पीठ ने पिछले महीने उस याचिका पर कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान कंपनी की ओर से पेश हुए वकील वेंकटेश धोंड ने कहा कि कंपनी ने याचिका वापस लेने का फैसला किया है। सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि हमने उन्हें याचिका वापस लेने के लिए नहीं कहा है। तब वकील धोंड ने तब स्पष्ट किया कि हम ऐसा नहीं कह रहे हैं। इसके बाद पीठ ने कंपनी को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। इससे पहले कंपनी ने यह भी आरोप लगाया था कि एमएमआरडीए के कुछ अधिकारी व्यक्तिगत आर्थिक लाभ के लिए उस पर दबाव बना रहे थे। इन आरोपों के सामने आने के बाद राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पिछले महीने सिस्ट्रा-एमएमआरडीए विवाद की जांच के आदेश दिए थे। एमएमआरडीए ने दावा किया कि सिस्ट्रा द्वारा अनुबंध संबंधी और विनियामक उल्लंघन किया गया, जो कि प्रारंभिक लागत वृद्धि 4.27 फीसदी से बढ़कर शुल्क में 10 फीसदी तक पहुंच गया।

वरिष्ठ वकील अनिल सिंह बॉम्बे हाई कोर्ट में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) नियुक्त

इसके अलावा केंद्र सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सिंह को बॉम्बे हाईकोर्ट के लिए भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के रूप में नियुक्त किया है। उन्हें इस पद पर चौथी बार नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति वरिष्ठ वकील देवांग व्यास के इस्तीफे के बाद हुई है। उन्होंने निजी प्रैक्टिस करने के लिए जनवरी 2025 में गुजरात हाई कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के एएसजी के पद से इस्तीफा दे दिया था। सिंह को हाई कोर्ट में 40 से अधिक वर्षों से काम करने का अनुभव है। उन्होंने पहले 2014 से जुलाई 2023 तक एएसजी का पद संभाला था। अपने कार्यकाल के समाप्त होने के बाद सिंह ने अपने विस्तार की मांग नहीं की और अपनी निजी प्रैक्टिस में लौट आए। 2010 में सिंह को महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल के सदस्य के रूप में चुना गया था, जिसमें उन्होंने मुंबई से सबसे अधिक वोट हासिल किए थे। बाद में उन्हें 2011 में सर्वसम्मति से बार काउंसिल का अध्यक्ष चुना गया।

Created On :   10 March 2025 9:43 PM IST

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