Mumbai News: धमाकों के दोषी सलेम की समय से पहले रिहाई याचिका सरकारों से जवाब तलब, सालियान मामला विशेष बेंच को सौंपने का निर्देश, अंबानी पर जुर्माना, महाराष्ट्र सदन घोटाले की भी सुनवाई

धमाकों के दोषी सलेम की समय से पहले रिहाई याचिका सरकारों से जवाब तलब, सालियान मामला विशेष बेंच को सौंपने का निर्देश, अंबानी पर जुर्माना, महाराष्ट्र सदन घोटाले की भी सुनवाई
  • मुंबई बम धमाकों के दोषी अबू सलेम की समय से पहले रिहाई की याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों से मांगा जवाब
  • टेंडर में दो उम्मीदवार के टाई-ब्रेकर होने पर कम उम्र के उम्मीदवार को प्राथमिकता की शर्त भेदभावपूर्ण और तर्कहीन
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने रजिस्ट्री को दिशा सालियान मामले को विशेष बेंच को सौंपने का दिया निर्देश
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने तत्काल सुनवाई की मांग करने पर अनिल अंबानी पर 25 हजार का लगाया जुर्माना

Mumbai News. बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को 1993 के मुंबई बम धमाकों के मामले में मुख्य दोषियों में से एक गैंगस्टर अबू सलेम की याचिका पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। याचिका में सलेम ने समय से पहले अपने रिहाई का अनुरोध किया है। वह तलोजा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। 16 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति श्रीराम मोडक की पीठ ने सलेम की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि हम आप (सरकार) को बहुत कम समय देंगे। हम मामले की सुनवाई 16 अप्रैल को रखते हैं, लेकिन आप दोनों (केंद्र और राज्य सरकार) उससे पहले अपने जवाब दाखिल करने होंगे। पीठ ने अगली तारिख पर मामले पर बहस करने को कहा है। सलेम ने विशेष आतंकवादी और विध्वंसकारी गतिविधियां (टाडा) अदालत द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी है, जिसमें 10 दिसंबर 2024 को समय से पहले रिहाई की उस याचिका को खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान राज्य के अतिरिक्त लोक अभियोजक मनकुंवर देशमुख ने पीठ को बताया कि राज्य ने अभी तक अपना हलफनामा दाखिल नहीं किया है। इस पर पीठ ने कहा कि याचिका में अत्यधिक तत्परता है, लेकिन आप (राज्य) कोई तत्परता नहीं दिखा रहे हैं। हमने आप को हलफनामा दाखिल करने के लिए 21 दिन का समय दिया था, लेकिन आप ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। पीठ ने केंद्र सरकार के रुख पर भी नाराजगी व्यक्त की, क्योंकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह सुनवाई के लिए नहीं आए और न ही उन्होंने कोई हलफनामा दाखिल किया। याचिकाकर्ता के वकील फरहाना शाह के माध्यम से दायर अपनी याचिका में दावा किया है कि उसने जेल में 25 साल पूरे कर लिए हैं और 2005 में उसके प्रत्यर्पण के समय भारत और पुर्तगाल के बीच हस्ताक्षरित प्रत्यर्पण संधि के तहत अपनी रिहाई की मांग की है। सलेम ने अपनी याचिका में नवंबर 2005 से लेकर आज तक जेल में बिताए गए समय की गणना की है।

टेंडर में दो उम्मीदवार के टाई-ब्रेकर होने पर कम उम्र के उम्मीदवार को प्राथमिकता की शर्त भेदभावपूर्ण और तर्कहीन... बॉम्बे हाई कोर्ट

इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकारी ठेके को लेकर अपने एक अहम फैसले में कहा कि टेंडर में यह शर्त रखी गई है कि दो उम्मीदवारों में टाई-ब्रेकर की स्थिति में कम उम्र के उम्मीदवार को अधिक उम्र के उम्मीदवार पर वरीयता दी जाएगी, जो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत भेदभावपूर्ण और तर्कहीन है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम.एस.कार्णिक की पीठ ने शाहबाज मुमताज खान की याचिका पर अपने फैसले में कहा कि इस मानदंड का कोई औचित्य नहीं है कि एक ही समूह में एक युवा व्यक्ति को एक वृद्ध व्यक्ति से अधिक वरीयता दी जाएगी। पीठ ने यह भी कहा कि वर्तमान मामले में उद्देश्य स्पष्ट रूप से एक ऐसे आवेदक का चयन करना है, जो खुदरा दुकान चलाने के लिए सबसे उपयुक्त हो। हमें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) द्वारा अपनाए गए मानदंडों में कोई तर्क संगत नहीं दिखता है कि मूल्यांकन के उद्देश्य से एक ही समूह में वर्गीकृत 21 से 35 वर्ष की आयु के भीतर कम उम्र के व्यक्ति को बराबरी की स्थिति में उस समूह के अन्य लोगों पर वरीयता मिलनी चाहिए। पीठ ने याचिकाकर्ता की रिटेल आउटलेट्स के लिए सेवा प्रदाताओं के चयन के लिए आईओसीएल की नीति को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में दावा किया गया कि दो उम्मीदवारों के बीच बराबरी की स्थिति में, उम्र में कम उम्र वाले आवेदक को अन्य पर वरीयता मिलेगी। याचिकाकर्ता ने रिटेल आउटलेट्स पर सेवा प्रदाताओं के लिए आईओसीएल को अपना आवेदन दिया किया था। मेरिट सूची में उसने और दूसरे उम्मीदवार ने समान अंक प्राप्त किए, लेकिन बाद वाले को रैंक 1 पर रखा गया, जबकि याचिकाकर्ता को रैंक 2 पर रखा गया। याचिकाकर्ता की आयु 34 वर्ष थी और दूसरे उम्मीदवार की आयु 28 वर्ष थी। इसलिए सेवा अनुबंध कम आयु के उम्मीदवार को दिया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि निविदा की शर्त अपरिवर्तनीय विशेषता अर्थात आयु के आधार पर भेदभावपूर्ण थी। संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करने के कारण मानदंडों को रद्द कर दिया जाना चाहिए।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने रजिस्ट्री को दिशा सालियान मामले को विशेष बेंच को सौंपने का दिया निर्देश

उधर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को अपनी रजिस्ट्री को दिवंगत दिशा सालियान के पिता सतीश सालियान की याचिका को उचित बेंच के समक्ष रखने का निर्देश दिया। याचिका में उनकी बेटी की मौत की सीबीआई जांच और विधायक आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ के समक्ष सतीश सालियान ओर से वकील सुभाष झा की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील सुभाष झा ने दलील दी कि यह मामला महिलाओं के खिलाफ अपराध के अंतर्गत आता है। इसलिए इसे न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की अध्यक्षता वाली बेंच के पास जाना चाहिए। पीठ ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्री को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि याचिका को उचित बेंच के पास रखा जाए। बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की 8 जून 2020 को मालाड में एक इमारत की 14 वीं मंजिल से कथित तौर पर गिरने से मौत हो गई थी। मुंबई पुलिस ने आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया था। सालियन की मौत को बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जोड़ा जा रहा है। राजपूत को सालियन के 6 दिन बाद 14 जून 2020 को मृत पाए गए थे। सालियन के पिता सतीश सालियन ने अपनी याचिका में मुंबई पुलिस की जांच पर असंतोष व्यक्त किया है। उनका आरोप है कि यह कुछ प्रभावशाली हस्तियों को बचाने के लिए एक राजनीतिक रूप से प्रेरित कवर-अप है। उनकी बेटी के साथ सामूहिक दुराचार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने तत्काल सुनवाई की मांग करने पर अनिल अंबानी पर 25 हजार का लगाया जुर्माना

बॉम्बे हाई कोर्ट ने उद्योगपति अनिल अंबानी पर अप्रैल 2022 में जारी टैक्स नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका में तत्काल सुनवाई की मांग करने पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। अदालत ने अंबानी के अनुरोध पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि टैक्स नोटिस 3 साल पहले जारी किया गया था। न्यायमूर्ति एम.एस.सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की पीठ के समक्ष अनिल अंबानी द्वारा दायर याचिका सुनवाई हुई। याचिका में आयकर अधिकारियों द्वारा अप्रैल 2022 में जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गई है। सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि ऐसी कृत्रिम तात्कालिकता पैदा करके तत्काल सुनवाई की इस सुविधा का लाभ नहीं उठाया जा सकता। जबकि याचिका में चुनौती केवल कारण बताओ नोटिस को दी गई है। याचिकाकर्ता ने अदालत में अंतिम समय में याचिका दायर की, जो 31 मार्च 2025 तक मूल्यांकन की समय-सीमा समाप्त हो गई।पीठ ने तत्काल सुनवाई के लिए याचिका को खारिज कर दिया और टाटा मेमोरियल अस्पताल को दो सप्ताह के भीतर 25 हजार रुपए की जुर्माना की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया। जब मामले की सुनवाई हुई, तो अंबानी के वकील ने अदालत को बताया कि याचिका वापस ले ली जाएगी। कर अधिकारियों ने उसी दिन आदेश जारी कर दिया था, जिस दिन याचिका की सुनवाई निर्धारित थी।

महाराष्ट्र सदन घोटाले का मामला

छगन भुजबल की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई 28 अप्रैल तक स्थगित

-पूर्व प्रधान सचिव के वकील गिरीश कुलकर्णी ने याचिका पर उठाए सवाल

-सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया की याचिका पर सुनवाई

वरिष्ठ संवाददाता। मुंबई

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सदन घोटाले का मामले में एनसीपी अजीत गुट के विधायक छगन भुजबल की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 28 अप्रैल तक स्थगित कर दिया। अदालत ने इस बात पर विचार किया कि रिहाई को चुनौती देने के लिए कानूनी तौर पर किसके पास अधिकार है? पूर्व प्रधान सचिव के वकील गिरीश कुलकर्णी ने सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया की याचिका पर सवाल उठाए।

न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे की एकलपीठ के समक्ष बुधवार को अंजलि दमानिया की याचिका सुनवाई हुई। इस दौरान मामले में आरोपी राज्य के पूर्व प्रधान सचिव की ओर से पेश वकील गिरीश कुलकर्णी ने याचिका दायर करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि अंजली दमानिया न तो शिकायतकर्ता हैं और न ही गवाह, तो क्या उन्हें याचिका दायर कर उनकी रिहाई को चुनौती देने का अधिकार है? ऐसे मामलों में केवल राज्य को ही हाई कोर्ट जाने का अधिकार है।

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पहले मामले को न्यायमूर्ति एस.एम.मोडक की पीठ को सौंपा था, जिसका उद्देश्य पहले यह निर्धारित करना था कि दमानिया को आदेश को चुनौती देने का कानूनी अधिकार है या नहीं। हालांकि न्यायमूर्ति मोडक वर्तमान में न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल के साथ खंडपीठ में बैठे हैं। दमानिया की ओर से पेश वकील रिजवान मर्चेंट ने अदालत से रजिस्ट्री को यह स्पष्ट करने का निर्देश देने का आग्रह किया कि कौन सी पीठ याचिका पर सुनवाई करेगी। हालांकि न्यायमूर्ति डिगे ने यह देखते हुए निर्णय को टाल दिया कि सुनवाई में लोक अभियोजक अनुपस्थित थे और अब मामले पर 28 अप्रैल को सुनवाई होगी।

Created On :   2 April 2025 9:03 PM IST

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