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विश्व पार्किंसंस दिवस: ध्यान, नृत्य और संगीत थेरेपी से कारगर इलाज, बीमारी का प्रभाव भी होता है कम
- रोगी के साथ उनकी देखभाल करनेवालों के लिए भी है ऊर्जा का स्रोत
- क्लीनिकल अध्ययन में मिली सफलता
- मरीजों के साथ परिजन भी थे शामिल
डिजिटल डेस्क, मुंबई. नृत्य और संगीत सिर्फ मनोरंजन का जरिया है, इस नजरिए को बदलना होगा। एक अध्ययन के मुताबिक पार्किंसन जैसी बीमारी में नृत्य-संगीत थेरेपी कारगर साबित हो रही है। अध्ययन में यह भी सामने आया कि इस थेरेपी के प्रयोग से मरीजों के जीवन में काफी सुधार देखा गया है। मरीजों की देखभाल करनेवाले परिजनों ने भी इस थेरेपी को लेकर अपने जीवन में बदलाव महसूस किया है। इस संबंध में क्लिनिकल अध्ययन किया गया था। जिसमें मरीजों और उनकी देखभाल करनेवालों को शामिल किया गया था। हर साल 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसन दिन मनाया जाता है। इस बीमारी के इलाज में नृत्य, संगीत और ध्यान थेरेपी किस तरह से कारगर साबित हुई है इसका खुलासा मुंबई के एक नामी अस्पताल ने बुधवार को अपनी एक शोध रिपोर्ट में किया है। अध्ययनकर्ता डॉ. परेश दोशी ने बताया कि ध्यान के साथ नृत्य और संगीत थेरेपी पार्किंसन रोग के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है। इससे न सिर्फ मरीज के जीवन में सुधार हुआ है बल्कि उनकी देखभाल करनेवालों की जिंदगी में बेहतर सुधार देखा गया है।
28 लोगों पर किया गया अध्ययन
डॉ. परेश ने बताया कि जसलोक अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर में हल्के से मध्यम पार्किंसन पीड़ित 28 लोगों पर यह अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन के लिए मरीजों को दो श्रेणी में बांटा गया। एक श्रेणी में 13 ऐसे मरीज थे, जिन्हें सिर्फ दवा पर रखा गया था। जबकि दूसरी श्रेणी में 15 ऐसे मरीज थे जिनका इलाज संगीत, नृत्य और ध्यान थेरेपी से किया गया। इन 28 लोगों पर छह महीने तक अध्ययन किया गया था।
यह दिखा बदलाव
डॉ. परेश ने बताया कि जो समूह सिर्फ दवा पर ही निर्भर थे उनमें पार्किंसन का जोखिम बढ़ता पाया गया। जबकि दूसरे समूह के मरीज जिन्हें नृत्य, संगीत और ध्यान की थेरेपी दी जा रही थी उनमें काफी सुधार देखा गया। मरीजों के व्यवहार, चिंता, अवसाद, चलने-फिरने और स्मृति कार्यों में सुधार पाया गया है। इसके साथ ही इन मरीजों की देखभाल करनेवालों में तनाव लगभग कम हो गया है।
जीवन में आया बदलाव
मरीज कृष्णा कदम ने बताया कि इस थेरेपी से मेरे जीवन में काफी बदलाव आया है। पहले मुझे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब मैं खुद ही अपने आपको संभाल लेता हूं। नींद भी अच्छी आती है, चिड़चिड़ापन भी दूर हो गया है।
Created On :   11 April 2024 6:00 AM IST