मिशन: तीसरे विध्वंसक ‘इंफाल’ को एमएलडी ने किया नौसेना के सुपुर्द

तीसरे विध्वंसक ‘इंफाल’ को एमएलडी ने किया नौसेना के सुपुर्द
गणमान्यों की मौजूदगी में स्वीकृति दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए
डिजिटल डेस्क, मुंबई । माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमएलडी) ने पी15बी श्रेणी की गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर के तीसरे स्टील्थ विध्वंसक पोत इंफाल (यार्ड 12706) को भारतीय नौसेना को सौंप दिया है। शुक्रवार को एमडीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संजीव सिंघल, रियर एडमिरल संजय साधू, एमएलडी के कमांडिंग अधिकारी कैप्टन के के चौधरी समेत कई गणमान्य लोगों की मौजूदगी में स्वीकृति दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए। पोत का निर्माण स्वदेशी इस्पात डीएमआर 249ए से किया गया है और यह सबसे बड़े विध्वंशसकों में से एक है। पोत की लंबाई 164 मीटर जबकि क्षमता 7500 टन से अधिक है।
पोत समुद्री युद्ध के दौरान विभिन्न मिशनों को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम है। यह सतह से सतह पर मार करने वाले सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली बराक 8 मिसाइल से लैस है। पानी के अंदर युद्ध करने के लिए इसे खास तौर पर स्वदेशी एंटी सबमरीन वेपन व सेंसर, हैवी वेट टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर और रॉकेट लांचर से लैस किया गया है। पहले के पोतों की तुलना में इंफाल ज्यादा विध्वंसक है और इसका नौसेना टास्क फोर्स के फ्लैगशिप के रुप में इस्तेमाल किया जा सकता है। एमएलडी ने चार तय समय से चार महीने पहले ही इंफाल को भारतीय नौसेना को सौंप दिया। एमएलडी ने अपनी ओर से पोत के सभी तरह के परीक्षण पूरे कर लिए हैं जिसके बाद इसे नौसेना को सौंपा गया है। इस पर तैनात हथियारों का भी परीक्षण किया गया है। यह पहला पोत है जिसमें लंबी अवधि की दोहरी क्षमता वाली लंबी दूरी तक जमीनी हमले में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइलें तैनात की जाएंगी। साथ ही यह पहला पोत है जिसमें महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए आवास की व्यवस्था है।

72 फीसदी स्वदेशी सामग्री से निर्मित

पोत में 312 लोग सवार हो सकते हैं। यह एक बार में 4 हजार समुद्री मील का सफर तय कर सकता है साथ ही 42 दिन के मिशन को पूरा कर सकता है। इस पर हो हेलीकॉप्टर भी तैनात होंगे। यह 30 समुद्री मील यानी 55 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से सफर कर सकता है। पोत के निर्माण में 72 फीसदी स्वदेशी सामानों का इस्तेमाल किया गया है। पी15बी श्रेणी का पहला पोत विशाखापत्तनम 21 नवंबर 2021 को सेना में शामिल किया गया था। दूसरा पोत मोरमुगाओ 18 दिसंबर 2022 को सेना को मिला था। जबकि चौथे पोत सूरत की का निर्माण अंतिम चरण में है।

Created On :   20 Oct 2023 6:57 PM IST

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