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Johannesburg News: आशा और एकता का प्रतीक बना जोहान्सबर्ग का मंदिर, बीएपीएस ने किया उद्घाटन
![आशा और एकता का प्रतीक बना जोहान्सबर्ग का मंदिर, बीएपीएस ने किया उद्घाटन आशा और एकता का प्रतीक बना जोहान्सबर्ग का मंदिर, बीएपीएस ने किया उद्घाटन](https://www.bhaskarhindi.com/h-upload/2025/02/04/1400340-7.webp)
- बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर और सांस्कृतिक परिसर का उद्घाटन
- उद्घाटन दो दिवसीय भव्य समारोह के साथ किया गया
- दक्षिण अफ्रीका में हिंदू समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण
Mumbai News : जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका। बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर और सांस्कृतिक परिसर का उद्घाटन दो दिवसीय भव्य समारोह के साथ किया गया, जो दक्षिण अफ्रीका में हिंदू समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। समारोह की शुरुआत शनिवार, 1 फरवरी 2025 को नागर यात्रा (शोभायात्रा) के साथ हुई, सड़कों पर भक्तों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ पवित्र मूर्तियों की झांकी निकाली। इस भव्य यात्रा में भक्तों ने भजन-कीर्तन, नृत्य और वैदिक मंत्रोच्चारण के माध्यम से उत्सव मनाया, जिससे यह आयोजन भक्ति, एकता और आनंद का अद्वितीय संगम बन गया।रविवार को इन पवित्र मूर्तियों का प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हुआ, जिससे यह मंदिर आध्यात्मिकता और दिव्यता का केंद्र बन गया। यह मंदिर केवल एक भौतिक संरचना नहीं, बल्कि वर्षों की भक्ति, त्याग और समर्पण का साकार रूप है।
लिंपोपो नदी के तट से प्रारंभ हुई एक दिव्य यात्रा
बीएपीएस की दक्षिण अफ्रीका में आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत 20 मार्च 1960 को हुई, जब परम पूज्य योगीजी महाराज, जो बीएपीएस परंपरा के चौथे गुरु थे, ने प्रमुखस्वामी महाराज और महंतस्वामी महाराज के साथ लिंपोपो नदी के तट पर खड़े होकर इस भूमि को आशीर्वाद दिया था। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में सामाजिक समानता, आर्थिक स्थिरता और आध्यात्मिक उत्थान की भविष्यवाणी की थी और प्रार्थना की थी कि इस भूमि पर बीएपीएस के सत्संग केंद्रों का विस्तार हो।
इसके बाद, प्रमुखस्वामी महाराज ने 1974 से 2004 के बीच सात बार दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की और वहां के भक्तों को प्रेरित किया, मंदिरों की स्थापना की, और आध्यात्मिक आधार को मजबूत किया। उनके उत्तराधिकारी महंतस्वामी महाराज के नेतृत्व में यह दिव्य संकल्प पूर्ण हुआ है। नया मंदिर अफ्रीका में स्थित बीएपीएस के 35 मंदिरों में एक है, जिनमें 7 मंदिर दक्षिण अफ्रीका में स्थित हैं। बीएपीएस ने विश्वभर में 1,300 से अधिक मंदिरों की स्थापना की है, जो आध्यात्मिकता, संस्कृति और सेवा के प्रमुख केंद्र हैं।
भक्ति और निःस्वार्थ सेवा का प्रतीक
यह मंदिर केवल पत्थरों और सुंदर नक्काशी का ढांचा नहीं, बल्कि भक्ति, त्याग और एकता का प्रतीक है। सैकड़ों स्वयंसेवकों ने अपना समय, श्रम और संसाधन अर्पित कर इस दिव्य संकल्प को साकार किया।
Deputy President Paul Mashatile addresses the Official Opening of the first phase of the Bochasanwasi Akshar Purushottam Swaminarayan Sanstha (BAPS) Hindu Mandir (Temple) and Cultural Complex, in Northriding, Johannesburg, Gauteng Province.#GovZAUpdates pic.twitter.com/UXJaUDXpaW
— South African Government (@GovernmentZA) January 30, 2025
उद्घाटन समारोह में वरिष्ठ बीएपीएस संत या प्रवक्ता ने कहा कि “यह मंदिर हमारे गुरुजनों की दिव्य दृष्टि और भक्तों के निःस्वार्थ समर्पण का परिणाम है। यह आध्यात्मिक उत्थान, सांस्कृतिक संरक्षण और समाज सेवा का केंद्र बनेगा।”
बीएपीएस के मंदिर: विश्वभर में प्रेरणा के केंद्र
बीएपीएस द्वारा निर्मित कई ऐतिहासिक हिंदू मंदिर आज विश्वभर में लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर, अबू धाबी का बीएपीएस हिंदू मंदिर, लंदन का बीएपीएस मंदिर, और अमेरिका में न्यू जर्सी का अक्षरधाम मंदिर न केवल भव्य स्थापत्य के उदाहरण हैं, बल्कि मानव जीवन में शांति और आनंद स्थापित करने के माध्यम भी बन चुके हैं। ये मंदिर सद्गुणों पर आधारित जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए लोगों के हृदयों में आध्यात्मिकता की ज्योति जला रहे हैं।
आध्यात्मिक नींव: लिखित शास्त्री यज्ञपुरुषदास
बीएपीएस की नींव स्वामी यज्ञपुरुषदासजी, जिन्हें शास्त्रीजी महाराज के नाम से जाना जाता है, ने रखी थी। उनके द्वारा लिखित ‘लिखित शास्त्री यज्ञपुरुषदास’ ग्रंथों ने बीएपीएस के विस्तार को आध्यात्मिक आधार प्रदान किया।
प्रारंभिक मंदिरों की स्थापना के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, उनकी अटूट श्रद्धा और संकल्प शक्ति ने बीएपीएस को वैश्विक स्तर पर विस्तारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस महान धरोहर को सम्मानित करने के लिए, जोहान्सबर्ग मंदिर के उद्घाटन समारोह में एक विशेष प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें उनकी हस्तलिखित पांडुलिपियां, स्मारक प्रकाशन, और डिजिटल संग्रह प्रदर्शित किए गए, ताकि उनकी दिव्य शिक्षा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहे।
दक्षिण अफ्रीका को शांति और एकता का उपहार
बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर और सांस्कृतिक परिसर दक्षिण अफ्रीका के लिए एक अनुपम उपहार है, जो:
* शांति और सद्भाव का प्रतीक – विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोगों को एकता और आध्यात्मिकता में जोड़ता है।
* कला, संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र – हिंदू परंपराओं की समृद्ध धरोहर और उत्कृष्ट शिल्पकला को प्रदर्शित करता है।
* बहुसांस्कृतिक और अंतरधार्मिक संवाद का मंच – विभिन्न धर्मों के बीच सद्भाव और सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
जो यात्रा 1960 में योगीजी महाराज के आशीर्वाद से प्रारंभ हुई थी, वह आज भक्ति, संस्कृति और सेवा के केंद्र के रूप में साकार हुई है। यह मंदिर केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा की निरंतरता है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
Created On :   4 Feb 2025 8:48 PM IST