5 वर्षों में प्रदेश के 4 फीसदी लोग 10 से अधिक बार हुए दवाइयों के साइड इफेक्ट के शिकार

5 वर्षों में प्रदेश के 4 फीसदी लोग 10 से अधिक बार हुए दवाइयों के साइड इफेक्ट के शिकार
  • प्रदेश के 4 फीसदी लोग 10 से अधिक बार हुए दवाइयों के साइड इफेक्ट के शिकार
  • 5 वर्षों का आंकड़ा
  • सर्वे में हुआ खुलासा

डिजिटल डेस्क, मुंबई मोफीद खान। दवाइयों के साइड इफेक्ट के मामले हाल के दिनों में सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। इसी बीच एक चौंकानेवाला खुलासा भी हुआ है। यह खुलासा हाल ही में दवाइयों के साइड इफेक्ट को लेकर "लोकल सर्किल' द्वारा किए गए एक सर्वे में हुआ है।इस सर्वे में शामिल प्रदेश के 4 फीसदी लोग 10 से अधिक बार दवाईओं के साइड इफेक्ट के शिकार हुए है। ये वे दवाइयां है जिसे डॉक्टरों ने लिखा था। जबकि 32 फीसदी लोग ऐसे है जो एक से दो बार साइड इफेक्ट के शिकार हुए है। सर्वे में लोगों ने यह भी बताया कि इन दवाइयों से साइड इफेक्ट होने की जानकारी के बाद भी उनके डॉक्टरों ने उन्हें नहीं बताया।

देश में उत्पादित दवाईयों से होनेवाले साइड इफेक्ट को स्थानीय "लोकल सर्किल' नामक संस्था ने एक सर्वे किया है। देश के विभिन्न राज्यों पर यह सर्वे किया गया जिसमें महाराष्ट्र के लोग भी शामिल थे। संस्था के फाउंडर सचिन टपारिया ने बताया कि प्रदेश के मुंबई, ठाणे, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद,अकोला, गोंदिया, अहमदनगर, नांदेड़, अमरावती, जलगांव आदि शहरों में यह सर्वे किया गया था। इस सर्वे में 4,236 लोग शामिल हुए। इस सर्वे में साइड इफेक्टको लेकर दो सवाल पूछे गए थे। हर सवाल का अलग-अलग लोगों ने जवाब दिए है।

16 फीसदी लोगों ने कहा-साइड इफेक्ट के हुए शिकार

दवाइयों के साइड इफेक्ट को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब 2114 लोगों ने दिया। इसमें 33 फीसदी ने बताया कि उन्हें या उनके परिवार के किसी भी सदस्यों को बीते 5 वर्षों में दवाई का कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ है। जबकि 11 फीसदी ने बताया कि उन्हें या उनके परिवार के किसी भी सदस्य को बीते 5 वर्षों में 3 से 5 बार और 5 फीसदी ने बताया कि 6 से 9 बार उन्हें दवाई का साइड इफेक्ट हुआ है।

79 फीसदी चाहते है कि साइड इफेक्ट का हुआ दवाइयों पर उल्लेख

क्या दवाइयों के साइड इफेक्ट की जानकारी उत्पादकों द्वारा दवाइयों के पैकेट परदी जानी चाहिए? इस सवाल के जवाब में 2122 लोगों में से 79 फीसदी लोगों का कहना है कि दवाइयों पर साइड इफेक्ट का उल्लेख उत्पादकों द्वारा किया जाना चाहिए। जबकि 13 फीसदी ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है।

Created On :   7 Sept 2023 1:30 AM IST

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