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हैल्थ इज वैल्थ: बढ़ती उम्र में खुद को महसूस करें यंग, नियमित रूप से व्यायाम से बना जा सकता है सुपरकूल
- सकारात्मक, महत्वाकांक्षी और ऊर्जावान रहने के टिप्स
- तनाव की स्थिति में भी खुद को रखें सुपरकूल
- नियमित कसरत से बढ़ती उम्र के प्रभाव करें कम
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बदलते दौर में चिन्ता और तनाव न केवल चेहरे की चमक खत्म कर रहा होता है, बल्कि इससे शारीरिक और मानसिक रूप से भी नुक्सान पहुंचता है, एसे में खुद को शांत चित रखते हुए सुपरकूल बनना जरूरी है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे चेहरे ही नहीं, शरीर पर भी इसका असर दिखाता है। आईआईटी कानपुर के प्रतिष्ठित पूर्व छात्र और पुरस्कार विजेता शांतनु श्रीवास्तव ने चेहरे का तेज बरकरार रखने और फिटनेस का विश्लेषण किया। शांतनु के मुताबिक अपनी उम्र से कम दिखने और फिट रहने के लिए व्यावहारिक बदलाव जरूरी हैं। जो उन लोगों के लिए फायदेमंद हैं जो खुदको लेकर फ़िक्रमंद रहते हैं और सोचते हैं कि क्या कोई ऐसा तरीका है, जिससे फिट रहने के साथ ही अपनी उम्र से जवान दिखा जा सके।
शांतनु का कहना है कि जो लोग अपनी उम्र से कम उम्र का दिखना चाहते हैं, वे अमूमन सकारात्मक, महत्वाकांक्षी और ऊर्जावान श्रेणी के इंसान होते हैं। इन लोगों को प्रसन्नचित्त और सुपरकूल कहा जा सकता है। जैसे-जैसे उम्र चालीस और पचास और उससे अधिक होती है, उसका असर चेहरे पर दिखाता है। मसल्स कमज़ोर होने लगते हैं। सजगता, शक्ति और फ़ुर्ती में कमी आती है, हालांकि यह तो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन सुपरकूल रहकर प्रक्रिया को यथासंभव धीमा किया जा सकता है। इसके लिए कुछ बिन्दू ध्यान रखने वाले हैं, जैसे गुरुत्व, दिमाग और कोई अच्छी फेस क्रीम जिससे चेहरेस दिल और दिमाग में ताजगी बनी रह सकती है।
क्या है गुरुत्व
गुरुत्व वह है जो लगातार हर चीज़ को धरती की ओर खींचता है, और शरीर पर भी असर है। गुरुत्व बल स्किन और मसल्स को ढीला करता है। इसके तीन परिणाम दिखते हैं- झुर्रियां और मसल्स में कमजोरी। यही कारण है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ आपका चेहरा भी बदलने लगता है। नियमित रूप से व्यायाम करने रहने के साथ ही अच्छी नींद और अच्छा आहार लेने से इसका प्रभाव कम किया जा सकता है। यह शरीर पर नकारात्मक प्रभावों को कम करने का मूलमंत्र है।
नियमित व्यायाम करें
व्यायाम न करने से मसल्स तेज़ी से शिथिल और कमजोर होती हैं। शिथिलता की इस प्रक्रिया का मुक़ाबला करने में व्यायाम मददगार होता है। क्योंकि व्यायाम रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और मसल्स को बेहतर रखता है। इसके दिल फिट रहता है। मस्तिष्क को ऑक्सीजन की सही आपूर्ति होती है। तनाव का स्तर कम होता है। इससे एंडोर्फिन्स, डोपामाइन जैसे हेल्दी रसायन उत्पन्न होते हैं।
जीवन को खुशहाल बनाने के लिए फिटनेस एक शानदार सफ़र है
चालीस की उम्र के बाद, हर हफ़्ते लगभग 240 से 300 मिनट व्यायाम करें
पचास के बाद, इसकी अवधि हर हफ़्ते 200 से 240 मिनट तक रखें।
व्यायाम के इन मिनटों को लगभग 4 से 5 दिन या सप्ताह में विभाजित करें।
अच्छी नींद जरूरी है।
आपके शरीर को जितनी नींद की ज़रूरत है, इसे सुनिश्चित करें कि डेली रूटीन में सोने के लिए जरूरी घंटे ज़रूर मिलें। प्रतिष्ठित फ्रेंडशिप ऑर्डर ऑफ वियतनाम पुरस्कार से सम्मानित शांतनु कहते हैं कि वे खुद रोज़ाना 7 से 8 घंटे सोते हैं और सभी को ऐसा ही करने की सलाह देते हैं। संभव हो दोपहर में लगभग 20 मिनट झपकी लेनी चाहिए। जो मसल्स और दिमाग को आराम देने में बहुत मदद करती है। यदि नियमित सफ़रते हैं, तो नींद की कमी होना स्वाभाविक है। इसके बारे में ज़्यादा चिंता न करें। ध्यान रखें कि सफ़र में रोज़ाना कितनी नींद ले रहे हैं, उसके औसत साप्ताहिक नींद के घंटों में कमी नहीं होनी चाहिए।
स्वस्थ आहार लें
स्वस्थ, संतुलित और पौष्टिक आहार का सिद्धांत तीसरा और अहम हिस्सा है। स्वस्थ आहार के लिए अपने विवेक का प्रयोग करें। किसी विशेषज्ञ से सलाह लें, मसल्स के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और बोन्स के लिए कैल्शियम का उपयोग करें। आहार सप्लीमेंट्स भी उपयोगी होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर इन्हें भी लिया जा सकता है। किसी क्वालिफाइड डॉक्टर या डाइटिशियन की सलाह जरूर लें।
दिमाग: आप कैसे दिखते हैं, इसमें दिमाग की अहम भूमिका है। आप उतने ही युवा दिखते हैं, जितना आप खुदको युुवा सोचते हैं। आपकी उम्र बढ़ रही है, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप ख़ुद को बूढ़ा समझने लगें और सुस्त हो जाएं। आपकी उम्र चाहे जो भी हो, स्वस्थ शरीर और मेंटल मेकअप के ज़रिए अपना व्यक्तित्व और आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं।
ध्यान: सुबह और शाम 15 मिनट ध्यान करना बेहतर है। इसे घर या कहीं और भी कर सकते हैं, ध्यान करते समय सेल फोन दूर या साइलेंट मोड पर रखें। ध्यान करते समय विचारशून्य चेतन में रहें।
सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोच मानसिक रूप से स्वस्थ और आत्म-प्रेरित रखने के लिए अहम भूमिका निभाती है। सकारात्मक सोच का अर्थ मुस्कुराता चेहरा और हरदम अच्छे मूड में रहने का दिखावा करना नहीं है, बल्कि यह जानना है कि हर समस्या का हल होता है, जिसे खोजना संभव है। क्रोध या ईर्ष्या जैसे नकारात्मक विचार के अनावश्यक बोझ को दूर करें, अपनी असफलताओं को स्वीकार करना और उनसे सीखना, दयालु और मददगार बनना, जैसे कुछ तरीक़े हैं, जिनसे आप अपने और आस-पास सकारात्मक माहौल बनाने में मदद कर सकते हैं।
सन-स्क्रीन : अगर उम्र बढ़ने के साथ आपकी स्किन रूखी हो जाए, तो मॉइस्चराइज़र, टोनर, सन-स्क्रीन आपकी स्किन की कोमलता को पोषित और संरक्षित करने में मददगार हो सकते हैं।
कुछ टिप्स:
रोज़ाना रात को सोने से पहले मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करें। इसे लगाने से पहले चेहरा साबुन से अच्छी तरह धो लें।
दिन में केवल एक बार चेहरे पर साबुन लगाएं। हाथ-पैर और नाखून पर भी मॉइस्चराइज़र लगाना चाहिए।
कम से कम पैरों, कंधों और गर्दन की मालिश से ब्लड-सर्कुलेशन में सुधार होता है।
Created On :   10 Jan 2024 7:22 PM IST