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बॉम्बे हाईकोर्ट: मराठा समाज को 10 फीसदी आरक्षण पर तत्काल रोक लगाने से अदालत का इनकार
- 13 जून को मामले की अगली सुनवाई
- मराठा समाज को आरक्षण का मामला
- वकील सदावर्ते ने आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से संपन्न होने की दी दलील
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट में मराठा समाज को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के खिलाफ वकील जयश्री पाटिल समेत दायर कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। मंगलवार को वकील गुणवंत सदावर्ते ने अदालत से 10 फीसदी आरक्षण पर रोक लगाने का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने उन्हें कोई राहत नहीं दी। मामले की अगली सुनवाई 13 जून को रखी गई है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को वकील जयश्री पाटील समेत दायर कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता पाटील की ओर से पेश हुए वकील गुणरत्न सदावर्ते ने दलील दी कि मराठा समाज को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से काफी संपन्न है। राज्य सरकार ने राजनीतिक दबाव में मराठा समाज को 10 फीसदी आरक्षण दिया है। यह सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं देने के फैसले के खिलाफ है। खंडपीठ ने सदावर्ते के आरक्षण पर तत्काल रोक लगाने के अनुरोध को अस्वीकर कर दिया।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने फाइव स्टार होटल में जैन तीर्थंकरों की दुर्लभ और प्राचीन मूर्तियों की नीलामी पर लगाई रोक
इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई के फाइव स्टार होटल में जैन तीर्थंकरों की प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियों की नीलामी पर रोक लगा दिया है। याचिका में दावा किया गया कि 16 अप्रैल की शाम 6.30 बजे जैन तीर्थंकरों की दुर्लभ और प्राचीन मूर्तियों की नीलामी होनी थी। यह नीलामी उनकी (जैन समाज) भावनाओं को आहत करने वाला है। जैन तीर्थंकरों (भगवान महावीर) की पत्थर एवं धातु की प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियां आखिर नीलामी करने वालों के पास कहां से आई? इसकी जांच की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ के समक्ष अशोक सलेचा की ओर से वकील सुनंदा कुंभाट और वकील सिद्ध विद्या की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील सुनंदा कुंभाट ने दलील दी कि फाइव स्टार होटल में निलामी के लिए लाए गए जैन तीर्थंकरों की प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियां जैन समाज की आस्था से जुड़ी हुई हैं। इस पर तत्काल रोक लगाई जाए। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियों को अपने अधिकार में ले लेना चाहिए। इस बात की जांच की जाए कि जैन तीर्थंकरों की प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियां नीलामी करने वालों के पास कहां से आई? यह कहीं तस्करी करने वाले गिरोह का हिस्सा तो नहीं हैं। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की दलीलों को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि जब तक इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है, तब तक जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां नीलाम नहीं की जानी चाहिए। अदालत ने केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी समेत नीलामी करने वालों से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
Created On :   16 April 2024 9:41 PM IST