हज हाउस का निर्माण धार्मिक गतिविधि नहीं, धर्मनिरपेक्ष कृति है - बॉम्बे हाई कोर्ट

हज हाउस का निर्माण धार्मिक गतिविधि नहीं, धर्मनिरपेक्ष कृति है - बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट में पुणे हज हाउस को लेकर दायर रिट याचिका जनहित याचिका में बदली

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि हज हाउस धार्मिक गतिविधियों के लिए नहीं, बल्कि धर्मनिरपेक्षता के लिए होता है। हिंदुत्व समर्थक नेता मिलिंद एकबोटे ने पुणे में निर्माणाधीन हज हाउस को ध्वस्त करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है। अदालत ने इस मामले में पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) से दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश है।

मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने गुरुवार को सकल हिंदू समाज से जुड़े हिंदुत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे की ओर से वकील कपिल राठौर की दायर याचिका पर सुनवाई हुई।

खंडपीठ ने कहा कि आपको धार्मिक गतिविधि में राज्य की संलिप्तता और धर्मनिरपेक्ष गतिविधि के बीच अंतर करना चाहिए। हज हाउस का निर्माण एक धर्मनिरपेक्ष गतिविधि है। यह कोई धार्मिक गतिविधि नहीं है। खंडपीठ ने मिलिंद एकबोटे की रिट याचिका को यह देखने के बाद जनहित याचिका (पीआईएल) में बदल दिया कि इस मामले में उनकी कोई व्यक्तिगत रुचि नहीं थी।

याचिकाकर्ता कपिल राठौड़ ने कहा कि भूमि के उपयोग में बदलाव हुआ है, क्योंकि हज हाउस को दी गई भूमि पुणे के कोंढवा क्षेत्र और उसके आसपास के लोगों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए आरक्षित था। उन्होंने तर्क दिया कि हज हाउस के निर्माण के लिए भूमि का उपयोग बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि हज हाउस का निर्माण धार्मिक गतिविधि के अंतर्गत आता है और यह वर्तमान परिदृश्य में स्वीकार्य नहीं है। इससे केवल एक समुदाय को ही लाभ मिलता है। पंढरपुर में लाखों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन उनके लिए कुछ नहीं किया जाता है।

पुणे महानगरपालिका (पीएमटी) की ओर से पेश वकील अभिजीत कुलकर्णी ने कहा कि भूमि का उपयोग नहीं बदला गया है। इस स्थल पर विभिन्न समुदायों को अपनी सांस्कृतिक और सामुदायिक गतिविधियों के लिए जगह मिलती है। जबकि कपिल राठौड़ के अनुसार हज हाउस की दो मंजिलों का निर्माण पहले ही किया जा चुका है। अदालत ने पीएमसी को याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह सिर्फ हज हाउस मामले पर ध्यान केंद्रित करें। भूमि उपयोग में बदलाव कहां है? यदि आप मंदिर बनाएंगे, तो क्या इसका उपयोग हर कोई करेगा? कृपया पहले एक मामला बनाएं और निर्णय दिखाएं कि हज हाउस का निर्माण नहीं किया जा सकता है। आप ने कहा कि अपनी दलीलों में से कोई एक पैराग्राफ बताएं, जिसमें भूमि के उपयोग में बदलाव हुआ है। यह कानून की स्थापित स्थिति है कि धार्मिक गतिविधि में राज्य की संलिप्तता की अनुमति नहीं है।

राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने साल 2017 में कोंढवा में हज हाउस का उद्घाटन किया था। यह हज हाउस पीएमसी की परियोजना है। पीएमसी ने उस समय उसके लिए 1 करोड़ रुपए आवंटित किया था। अजित पवार ने परियोजना के लिए 3 करोड़ रुपए देने का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि यह धनराशि उनकी पार्टी के लोगों की विधानसभा और संसद निधि से आएगी। हज हाउस का निर्माण शुरू में साल 2007 में कोरेगांव पार्क में होना था, लेकिन वह पीएमसी ने यह परियोजना को कोंढवा में स्थानांतरित कर दिया था, क्योंकि यहां मुसलमानों की घनी आबादी है। हज हाउस का निर्माण 10000 वर्ग फीट भूमि पर किया जा रहा है। इस परियोजना में 1500 हज यात्रियों को ठहरने की व्यवस्था है।

Created On :   7 Sept 2023 9:07 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story