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ख्वाजा यूनुस हिरासत मौत मामला: सीआईडी ने पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वझे के सरकारी गवाह बनने का किया विरोध
- अदालत ने सीआईडी से मांगा था जवाब
- 19 जून को मामले की अगली सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। 2003 के ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत के मामले में राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी)ने मंगलवार को मुंबई पुलिस के बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वझे को सरकारी गवाह बनने का विरोध किया। वझे ने सेशन कोर्ट में याचिका दायर कर मामले में सरकारी गवाह बनाने की मांग की थी। इस मामले में वझे समेत चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। वझे एंटीलिया बम कांड और मनसुख हिरेन हत्या मामले में जेल में बंद हैं।
अतिरिक्त न्यायाधीश सचिन पवार के समक्ष दायर हस्तलिखित याचिका में वझे ने कहा था कि उन्हें ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत के मामले में कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। अभियोजन पक्ष ने कहीं भी नहीं कहा कि वह कथित हत्या में शामिल था, न ही यूनुस के शव की पहचान की गई है। वझे ने अदालत से अपना बयान दर्ज करने का अनुरोध किया था, जिसमें उन्होंने मामले के तथ्यों का पूर्ण और सच्चा खुलासा करने का दावा किया है। मंगलवार को सीआईडी ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर वझे के सरकारी गवाह बनाने का विरोध किया। अदालत ने 19 जून को मामले की सुनवाई रखी है।
क्या है पूरा मामला
सॉफ्टवेयर इंजीनियर ख्वाजा यूनुस को दिसंबर 2002 में घाटकोपर में हुए बम विस्फोट के बाद हिरासत में लिया गया था। उसे जांच के लिए औरंगाबाद ले जाया जा रहा था, तभी पुलिस वाहन अहमदनगर जिले में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस दौरान कथित रूप से यूनुस पुलिस हिरासत से भाग निकला। सीआईडी ने चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।
Created On :   21 May 2024 3:41 PM GMT