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विरासत: छत्रपति शिवाजी महाराज के किले विश्व धरोहर में होंगे शामिल, यूनेस्को को भेजा प्रस्ताव
- केंद्र सरकार ने यूनेस्को को भेजा प्रस्ताव
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का खास आकर्षण
- छत्रपति शिवाजी महाराज के किले विश्व धरोहर में होंगे शामिल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. भारत सरकार ने यूनेस्को को छत्रपति शिवाजी महाराज के समय के मराठा साम्राज्य की सैन्य ताकत को दर्शाने वाले किलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। इसे मराठा मिलिट्री लैंडस्केप ऑफ इंडिया के नाम से भेजा गया है।
छत्रपति शिवाजी महाराज के किले विश्व धरोहर में होंगे शामिल
मराठा काल के इन किलों का निर्माण सत्रहवीं से उन्नीसवीं सदी के बीच हुआ था। ये किले मराठा सेना की असाधारण सैन्य प्रणाली और मजबूत किलेबंदी का पुख्ता सबूत हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने छत्रपति शिवाजी महाराज के इन किलों को साल 2024-25 की सूची में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिए जाने के लिए प्रस्ताव भेजा है। इनमें रायगढ़, शिवनेरी, तोरणा, लोहगढ़, साल्हेर, खंडेरी, प्रतापगढ़, पन्हाला, सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग और सुवर्णदुर्ग किला शामिल है।
केंद्र सरकार ने यूनेस्को को भेजा प्रस्ताव
पूरे देश में 42 विश्व धरोहर हैं जिनमें से 34 सांस्कृतिक श्रेणी और सात प्राकृतिक श्रेणी में आते है। महाराष्ट्र में छह विश्व धरोहर हैं, जिनमें से पांच सांस्कृतिक और एक प्राकृतिक है। सांस्कृतिक श्रेणी में अजंता और एलोरा की गुफाएं (1983), एलिफेंटा की गुफाएं (1987), छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (2004), विक्टोरियन गोथिक एंड आर्ट डेको एंसेंबल ऑफ मुंबई (2018) और प्राकृतिक श्रेणी में महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट (2012) शामिल है जो कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल तक फैले हैं।
मराठा सैन्य परिदृश्य
मराठा सैन्य परिदृश्य में बारह घटक शामिल हैं। जिनमें सलहेर किला, शिवनेरी किला, लोहगढ़, खंडेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजय दुर्ग, सिंधुदुर्ग और जिंजी किला हैं। जो मराठा शासन की रणनीतिक सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करती हैं।
भौगोलिक महत्व
सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला, कोंकण तट, दक्कन पठार और पूर्वी घाट जैसे विविध भौगोलिक क्षेत्रों में आने वाले किले परिदृश्य, इलाके और भौगोलिक विशेषताओं का अद्वितीय एकीकरण प्रदर्शित करते हैं। ये सैन्य वास्तुकला के लिए मराठा दृष्टिकोण को दर्शाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मराठा सैन्य विचारधारा की शुरुआत 17वीं शताब्दी में मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल के दौरान हुई। यह 1818 में पेशवा शासन समाप्त होने तक बाद के नियमों के माध्यम से जारी रहा। किले बहादुरी, रणनीति और वास्तुकला प्रतिभा के समृद्ध इतिहास का प्रतिनिधित्व करते हैं।
Created On :   30 Jan 2024 8:56 PM IST