बॉम्बे हाईकोर्ट: रवींद्र वायकर के कथित संदिग्ध तरीके से लोकसभा चुनाव जीतने को चुनौती

रवींद्र वायकर के कथित संदिग्ध तरीके से लोकसभा चुनाव जीतने को चुनौती
  • उम्मीदवार भरत खिमजी शाह ने हाईकोर्ट में दाखिल किया याचिका
  • सोमवार को याचिका पर हो सकती है सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना के शिंदे गुट के नव निर्वाचित सांसद रवींद्र वायकर के कथित संदिग्ध तरीके से चुनाव जीतने को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार भरत खिमजी शाह शुक्रवार को अदालत में याचिका दाखिल किया। याचिका में 4 जून को हुई वोटों की गिनती और घोषित परिणाम पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। भरत शाह द्वारा वकील असीम सरोदे के जरिए अदालत में दाखिल याचिका में केंद्रीय चुनाव आयोग, मुंबई उप जिले के चुनाव अधिकारी, रवींद्र वायकर और राज्य के पुलिस महानिदेशक को पार्टी बनाया गया है। अदालत में सोमवार को याचिका पर सुनवाई हो सकती है। याचिका में दावा किया गया है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र और पारदर्शी माहौल में मुंबई के उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र में चुनाव और मतगणना कराने में विफल रहा है. इस निर्वाचन क्षेत्र में वोटों की गिनती 4 जून 2024 को नेस्को मतदान केंद्र पर हुई थी।

लगातार जीत की ओर बढ़ रहे अमोल कीर्तिकर को विजेता घोषित कर दिया गया था, लेकिन बाद में रवींद्र वायकर ने पोस्टल बैलेट की दोबारा गिनती की मांग की। दोबारा गिनती में रवींद्र वायकर को 48 वोटों से विजयी घोषित कर दिया गया। याचिका में मुख्य रूप से चुनाव अधिकारी कार्यालय में अस्थायी ड्यूटी पर तैनात दिनेश गुरव, प्राजक्ता वायकर-महाले और बाद में मंगेश पांडिलकर द्वारा मतगणना केंद्र के अंदर मतगणना के दौरान मोबाइल के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई गई है. जब चुनाव रिटर्निंग ऑफिसर वंदना सूर्यवंशी केवल 2 फीट की दूरी पर अपना मोबाइल इस्तेमाल कर रही थीं, तो प्राजक्ता वायकर-महाले ने आपत्ति क्यों नहीं जताई। दिनेश गुरव की चुनाव अधिकारी कार्यालय में अस्थाई नियुक्ति समेत याचिका में कई सवाल उठाए गए हैं, जिसकी जांच का अनुरोध किया गया है।

याचिका में यह भी दावा किया गया है कि पुलिस ने कानून के दायरे में रहकर अपनी भूमिका नहीं निभाई और 3 घंटे तक मतगणना केंद्र के बाहर एक अस्थायी नियंत्रण कक्ष में रखने और फिर 2 घंटे के लिए वनराई पुलिस स्टेशन ले जाने के बाद पुलिस ने मामले की जांच की, लेकिन यह पूरी अवधि रवींद्र वायकर के साले मंगेश पांडिलकर के संरक्षण में थी। उनके पास एक मोबाइल फोन था और वह लगातार मोबाइल पर काम कर रहे थे और फोन कॉल ले रहे थे।

Created On :   21 Jun 2024 4:12 PM GMT

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