पालतू पक्षी और जानवर की अवैध खरीद-फरोख्त को लेकर राज्य के पशुपालन विभाग से मांगा जवाब

पालतू पक्षी और जानवर की अवैध खरीद-फरोख्त को लेकर राज्य के पशुपालन विभाग से मांगा जवाब
  • हलफनामा दायर करने का निर्देश
  • जनहित याचिका पर सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को पालतू पक्षी और जानवर की अवैध खरीद-फरोख्त को लेकर राज्य के पशुपालन विभाग से जवाब मांगा है। अदालत ने पशु पालन विभाग को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका में दावा किया गया है कि दुकानों में पालतू जानवरों को अवैध रूप से बेचा जा रहा है। यह जानवरों के साथ क्रूरता है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को रखी है।

मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने बुधवार शिवराज पाटने की ओर से वकील संयुक्ता डे, वकील शालिनी डे और वकील ऐश डिंडे की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि जानवरों के अवैध खरीद-बिक्री करने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। अदालत ने राज्य पशुपालन विभाग को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है।

याचिका में दावा किया गया था कि दुकान न केवल अवैध रूप से पालतू जानवरों की बिक्री में शामिल हैं, बल्कि वे विदेशी पक्षियों और अन्य प्रजातियों की अवैध बिक्री में भी शामिल हैं। कोयल, जंगली मुर्गे, मैकॉ, हॉर्नबिल, मोर, मुनिया, पैराकेट्स, मैना और ऐसे अन्य पक्षी जो 1972 के वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित हैं, उन्हें दुकानों में खुलेआम बेचा जा रहा है। इन पक्षियों के पंखों को कैंची से काट दिया जाता है, ताकि वे उड़ न सकें। उन्हें छोटे-छोटे बक्सों और डिब्बों में पक्षियों के नवजात शिशुओं के हर जगह तस्करी की जाती है। पक्षियों और अन्य जानवरों के अलावा कछुए भी बेचे जाते हैं।

जानवरों को भयानक परिस्थितियों में रखा जाता है। उन्हें अपर्याप्त भोजन और पानी के साथ छोटे पिंजरों में बंद कर दिया जाता है। अधिकांश जानवर बीमार होते हैं और चिकित्सा उपचार के अभाव में संक्रामक रोगों से पीड़ित होते हैं। याचिका में जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम (पालतू जानवरों की दुकान) नियम 2018 के तहत लागू करने के लिए निर्देश देने की मांग की गयी है।

Created On :   6 Sept 2023 9:52 PM IST

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