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गोंदिया: 618 गांवों पर मंडरा रहा जलसंकट का खतरा, घंटों रहती बत्ती गुल- प्रशासन अलर्ट
- सिंचाई प्रकल्पों में इस वर्ष 54 प्रतिशत जल संग्रहण
- मंडरा रहा जलसंकट का खतरा
- धूप तपने की वजह से प्रकल्पों का जलस्तर कम हो रहा
डिजिटल डेस्क, गोंदिया. जिले के सिंचाई प्रकल्पों में इस वर्ष 54 प्रतिशत जल संग्रहण है। ग्रीष्मकाल की शुरुआत में ही अधिक धूप तपने की वजह से प्रकल्पों का जलस्तर कम हो रहा है। ऐसे में जिले के 618 गांवों में संभावित जल संकट का खतरा निर्माण हो रहा है। इसके लिए प्रशासन की ओर से प्रथम चरण का प्रारूप तैयार किया गया है। जिसे मंजूरी मिलना शेष है। संभावित जल संकट से जूझनेवाले गांवों में 1 हजार 196 उपाय योजना किए जाएंगे। जिस पर 973.14 करोड़ रुपए खर्च अपेक्षित हैं। जलापूर्ति विभाग द्वारा तैयार किए गए रिपोर्ट के अनुसार जिले में 618 गांवों में संभावित जल संकट निर्माण हो सकता है। भले ही यह आंकड़ा बड़ा है, लेकिन तीव्र जल संकट निर्माण नहीं होने की बात प्रशासन की ओर से कही जा रही है। संभावित जल संकट वाले गांवों में गोंदिया तहसील के 46, गोरेगांव के 153, सड़क अर्जुनी के 136, अर्जुनी मोरगांव के 39, तिरोड़ा के 151, सालेकसा के 55, देवरी के 12 एवं आमगांव तहसील के 26 गांवों का समावेश है। इस तरह कुल 618 गांवों में जल संकट से निपटने के लिए 1 हजार 196 कार्य किए जाएगे। जिसमें 298 गांवों में 399 हैंडपंप का निर्माण, 58 गांवों में 78 नल जलापूर्ति योजना की विशेष दुरुस्ती, 223 गांवों में 673 हैंडपंपों की विशेष दुरुस्ती, 223 गांवों के 673 हैंडपंपों का गहराईकरण एवं इनवेल बोअर, 19 गांवों में 46 अस्थायी नल योजना करने के कामों का समावेश है।
बता दें कि जिले में औसतन 1220 मिमी बारिश होती है। इस वर्ष जिले में बारिश अच्छी हुई। जिससे प्रकल्पों में जल संग्रहण है। लेकिन फरवरी माह से ही जिले में तेज धूप तप रही है। सिंचाई प्रकल्प के जल संग्रहण पर भू-जल स्तर निर्भर रहता है। इस वर्ष मार्च माह में 54 फीसदी जल संग्रहण है। लेकिन दिनोंदिन सूर्य अपने तीखे तेवर दिखा रहा है। जिले में ऐन समय पर पानी के लिए हाहाकार न हो, इसके लिए जलापूर्ति विभाग ने संभावित जल संकट एवं इसके लिए किए जानेवाले उपाय योजना की रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी के समक्ष मंजूरी के लिए भेजी है।
उचित नियोजन की ओर विशेष ध्यान
राजन चौबे, जिला आपदा व्यवस्थापन अधिकारी के मुताबिक राज्य के अनेक जिलों में जलसंकट का साया देखा जा रहा है। लेकिन गोंदिया जिले में फिलहाल जलसंकट का दृश्य नजर नहीं आ रहा है। लेकिन आगामी दिनों में स्थिति कैसे रहेगी? यह बताया नहीं जा सकता। जिससे जिला आपदा व्यवस्थापन कक्ष अलर्ट मोड पर आ गया है। पानी के उचित नियोजन की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
कामों पर अपेक्षित खर्च
तहसील के 46 गांवों में किए जानेवाले 55 कामों पर 75.94 लाख रुपए, गोरेगांव तहसील के 153 गांवों में 161 कामों पर 124.20 लाख रुपए, सड़क अर्जुनी तहसील के 136 गांवों में 371 कामों पर 233.84 रुपए, अर्जुनी मोरगांव के 39 गांवों में 39 कामों पर 35.86 लाख रुपए, तिरोड़ा तहसील के 151 गांवों में 340 कामों पर 359.38 लाख रुपए, सालेकसा के 55 गांवों में 184 कामों पर 86.80 लाख रुपए, देवरी तहसील के 12 गांवों में 13 कामों पर 12.24 लाख रुपए एवं आमगांव तहसील के 26 गांवों में 33 कामों पर 44.88 लाख रुपए अपेक्षित खर्च किए जा सकते हैँ।
सिंचाई के अभाव में सूख रहे धान के पौधे
तहसील के मुरपार में खरीफ की फसल के बाद किसानों ने बड़े पैमाने पर रबी की फसल लगाई है। महाराष्ट्र राज्य महावितरण कंपनी के उपविद्युत केंद्र रावणवाड़ी अंतर्गत काटी फीडर से 8 घंटे की लोडशेडिंग के अलावा घंटों बिजली गुल रहने की वजह से इन दिनों सिंचाई के अभाव में धान के पौधे सूख रहे हैं। विद्युत विभाग द्वारा काटी फीडर अंतर्गत आने वाले गांव के कृषि पंप धारकों को 8 घंटे लोडशेडिंग का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद भी 10-10 घंटे बिजली गुल रहती है। जिस वजह से इन दिनों किसान परेशान नजर आ रहा हैं। मुरपार के किसानों ने जानकारी देते हुए बताया कि सुबह 10 से शाम 6 बजे तक बिजली गुल रहती है। इसके बाद विद्युत आपूर्ति सेवा शुरू होती है, लेकिन गत 3 दिनों से मात्र 4 घंटे रात के समय ही विद्युत आपूर्ति सेवा शुरू रहने की वजह से धान के पौधों को किसान निजी पंपों से सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। जिस वजह से धान के पौधे सूखने के कगार पर आ गए हैं। दिन में 8 घंटे और रात मंे 10 घंटे इस प्रकार कुल काटी फीडर से चलने वाले कृषि पंपों की 18 घंटे बिजली गुल रहने की वजह से यह स्थिति निर्माण हुई है। किसान ने परिश्रम कर इसी प्रकार रबी अंतर्गत धान के पौधे की रोपाई तो कर दी लेेकिन अब धान के पौधे को सिचिंत करने के लिए असमर्थ होने की वजह से किसान के हाथों से अब रबी की फसल भी कहीं निकल न जाए। उप विद्युत केंद्र रावणवाड़ी के वरिष्ठ अधिकारियों से मुरपार व परिसर के किसानों ने मांग की है कि 8 घंटे की लोडशेडिंग के बाद तो कृषि पंप धारकों को नियमित बिजली आपूर्ति करें।
Created On :   7 March 2024 12:34 PM GMT