उपाय योजना: इस वर्ष भी गडचिरोली के 212 गांवों पर बाढ़ का संकट 100 से अधिक गांवों का टूटेगा संपर्क

इस वर्ष भी गडचिरोली के 212 गांवों पर बाढ़ का संकट 100 से अधिक गांवों का टूटेगा संपर्क
  • प्रशासन का नियोजन कार्य अंतिम चरण में
  • बाढ़ग्रस्त गांवों के लिए बनाया प्लान
  • राशन और दवाइयों की आपूर्ति की प्रक्रिया लगभग पूर्ण

डिजिटल डेस्क, गडचिरोली। प्रति वर्ष की तरह इस बार भी बारिश के मौसम में जिले के 212 गांव के नागरिकों को बाढ़ का सामना करना पड़ेगा। सड़क व नदी, नालों में पुल का अभाव होने से इनमें से 100 से अधिक गांवों का पूरे चार महीने तक दुनिया से संपर्क भी कटा रहेगा। इस बीच बाढ़ग्रस्त गांवों के नागरिकों के लिए जिला प्रशासन ने अभी से नियोजन कार्य शुरू कर दिया है। इन सभी गांवों के लोगों के लिए तीन माह का राशन लगभग पहुंचा दिया गया है। वहीं संबंधित गांवों के सरकारी अस्पतालों में दवाइयों का आवंटन भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया है। बाढ़ स्थिति से निपटने के लिए जिला आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा भी नियोजन कार्य पूर्ण करने की जानकारी मिली है। विभाग ने जिलेभर के लिए 300 आपदा मित्र तैयार कर रखे हैं। साथ ही अपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए एसडीआरएफ की टीमें भी नियुक्त कर ली गयी है।

बता दें कि, समूचे प्रदेश के एकमात्र गड़चिरोली जिले में सर्वाधिक 78 प्रतिशत जंगल उपलब्ध है। इस कारण हर वर्ष यहां अधिक बारिश दर्ज होती है। जिले में गोदावरी, इंद्रावती, प्राणहिता, वैनगंगा, पामुलगौतम, पर्लकोटा, कठानी, खोब्रागड़ी, विलौचना जैसी बड़ी नदियां होकर दर्जनों की संख्या छोटे-बड़े नाले मौजूद हैं। जिले से सटे छत्तीसगढ़ राज्य में भी बड़ी नदियां होकर इन नदियों का जलस्तर बढ़ जाने से भी जिले में बाढ़ की स्थिति निर्माण होती है। बारिश के चलते हर वर्ष जिले के भामरागढ़ तहसील में सर्वाधिक आपदाएं निर्माण होती हंै।

तहसील मुख्यालय से सटे पर्लकोटा नदी पर अब तक बड़े पुल का निर्माणकार्य पूर्ण नहीं हो पाया है जिसके कारण इस वर्ष भी बाढ़ का पानी भामरागढ़ शहर में घूसने की संभावना व्यक्त की जा रही है। हर वर्ष भंडारा जिले के गोसीखुर्द बांध से भी जिले की नदियों में पानी छोड़ा जाता है। इस पानी के कारण भी जिले में बाढ़ की स्थिति निर्माण होती हैं। जिले में वर्ष 1986, 1994 और 2022 में बाढ़ की भीषण स्थिति निर्माण हुई थी। वर्ष 2022 में बाढ़ के कारण 18 लोगांे को अपनी जान गंवानी थी। वहीं 212 पशुधन की मृत्यु भी हुई थी। इस बाढ़ से 425 पक्के मकान धराशायी हुए थे। उधर 294 गौशालाएं भी तबाह हुईं थी। इस वर्ष भी औसतन सर्वाधिक बारिश की संभावना व्यक्त की गयी है। जिसके लिए जिला प्रशासन ने बचाव कार्य की सारी तैयारी पूर्ण कर ली है।

Created On :   4 Jun 2024 4:40 PM IST

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