Chandrapur News: चंद्रपुर जिले की प्यास बुझाने वाले जलाशयों का जलस्तर हो रहा कम

चंद्रपुर जिले की प्यास बुझाने वाले जलाशयों का जलस्तर हो रहा कम
  • चंदई में 19 प्रतिशत ही बचा पानी
  • गर्मी में गहरा सकता है जलसंकट

Chandrapur News गर्मी की आहट के साथ पतझड़ के दिन शुरू हो गए हैं। इसी तरह जिले की प्यास बुझाने वाले 10 जलाशयों का जलस्तर कम हो रहा है। यह जलाशय अब आधे हो रहे हैं जिससे आनेवाले दिनों में जलसंकट की स्थिति निर्माण होने की आशंका जताई जा रही है। इसका सर्वाधिक असर ग्रामीण क्षेत्र में होने की बात कही जा रही है। जिले में कुल दस जलाशय हैं जिसमें से दो बड़े तथा आठ मध्यम हैं।

बड़े जलाशयों में आसोलामेंढा व इरई बांध तो, मध्यम जलाशयों में घोड़ाझरी, नलेश्वर, चंदई, चारगांव, अमलनाला, लभानसराड, पकडीगुड्डम व डोगरगांव का समावेश है। इन जलाशयों के माध्यम से जिले की प्यास बुझाई जाती है। इसमें से इरई बांध से चंद्रपुर शहर को जलापूर्ति होती है। वर्तमान स्थिती में चंदई बांध में केवल 19.95 प्रतिशत जलभंडारण है। इसी तरह घोडाझरी 37.74 प्रश., नलेश्वर 45.57 प्रश, चारगांव 36.52 प्रश., अमलनाला 64.26 प्रश.,लभानसराड 51.76 प्रश.,पकड्डीगुड्डम 40.79 प्रश., डोंगरगांव 67.58 प्रश. जलभंडारण है। जबकि बड़े जलाशय आसोलामेंढा में 40.97 प्रश., इरई बांध में 72.89 प्रश., पानी बचा है जिससे आनेवाले दिनों में पानी के लिए भटकने की नौबत आ सकती है।

ग्रीष्मकाल के शुरुआती दिनों में बांधों की यह हालत है, तो आनेवाले दिनों में किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा क्या? ऐसा सवाल उपस्थित हो रहा है। जबकि इसका सर्वाधिक असर मवेशियों पर हो सकता है। ग्रीष्मकाल में मवेशी ज्यादातर बांधों के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं। वे कुंआ, बोरवले का सहारा नहीं ले सकते। हर वर्ष ग्रीष्मकाल में जिले ज्यादातर तहसीलों के गांवांे में जलसंकट की स्थिति निर्माण होती है। ऐसे में उन गांवों में टैंकर से जलापूर्ति की जाती है। जिले में पानी की सबसे बड़ी समस्या अतिदुर्गम पहाड़ी जिवती क्षेत्र में हर वर्ष निर्माण होती है। यहां के लोगों को पानी के लिए कोसों दूर जाकर पानी लाना पड़ता है। एैसे में अब जिले के जलाशयों का भी जलभंडारण काफी हद तक कम हुआ है।

Created On :   25 Feb 2025 4:33 PM IST

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