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Chandrapur News: बीत गए 400 वर्ष, चंद्रपुर के इस शिवलिंग की नहीं होती पूजा
- 11 फीट ऊंचे शिवलिंग की पुरातत्व विभाग ने अब तक नहीं ली सुध
- चंद्रपुर के नगर सेठ रायप्पा वैश्य ने शुरू किया था निर्माण
- मंदिर बनने से पहले ही हो गई मृत्यु, तब से अधूरा पड़ा है मंदिर
Chandrapur News महाशिवरात्रि पर्व पर महादेव मंदिर और शिवलिंग की बड़ी धार्मिक श्रद्धा के साथ पूजा पाठ की जाती है। इस दिन भक्त मंदिरों में लंबी कतार में खड़े रहकर पूजा के लिए इंतजार करते हैं किंतु चंद्रपुर के भिवापुर वार्ड में 16वीं शताब्दी का विशाल प्राचीन शिवलिंग हैं जो भक्तों की बाट जोह रहा है। आज भी इस शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती। इस शिवलिंग का चार सौ वर्ष पूर्व गोंड राजाओं के विशाल दुर्ग मंदिर और लोकोपयोगी कृतियों से प्रेरणा लेकर चंद्रपुर के नगर सेठ रायप्पा वैश्य ने अन्य मूर्तियों समेत निर्माण शुरू कराया था।
मंदिर बनने के पूर्व ही रायप्पा वैश्य की मृत्यु हो गई और मंदिर अधूरा रह गया। शिवलिंग 400 वर्षों से मौसम के थपेड़े खाकर भी मैदान में खुले आसमान के नीचे अपने जीर्णोद्धार का इंतजार कर रहा है। महाशिवरात्रि पर भी लोग यहां पूजा नहीं करते, लगभग 11 फीट ऊंचे इस शिवलिंग की एक अलग विशेषता है। इसके जल मार्ग के नीचे हाथी बना हुआ है जो कहीं भी नहीं देखा गया है। शिवलिंग के साथ या उसके पास हाथी का होना यह बहुत दुर्लभ है। यह विशाल प्राचीन शिवलिंग बच्चों के खेलकूद का एक साधन बन चुका है। प्रशासन व पुरातत्व विभाग को इसकी कोई सुध नहीं है।
2007 में प्रकाशित हुई किताब पर चित्र अंकित : लंदन के इतिहासकार व मुद्राशास्त्री बेरी टाबोर ने इस शिवलिंग स्थल को भेंट दी व उसके रखरखाव पर चिंता व्यक्त की। इसका महत्व भले ही चंद्रपुरवासियों को न हो परंतु भारतीय मुद्रा समिति के मुख पत्र नं. 43 अप्रैल 2007 को प्रकाशित हुई किताब के मुख्य पृष्ठ पर शिवलिंग का चित्र अंकित है। यह किताब मुंबई से प्रकाशित हुई है। -अशोकसिंह ठाकुर , इतिहासकार, चंद्रपुर
एक जलकुंड में 5 शिवलिंग : यहां पर गोंड रानी हिराई द्वारा निर्मित अंचलेश्वर गेट परिसर के शिवमंदिर में एक अद्भुत नजारा हैं। इस मंदिर में शिवलिंग की बजाय जलकुंड़ है। महशिवरात्रि पर्व पर श्रध्दालु इसकी पूजा अर्चना करते हैं। इस जलकुंड के भीतर पहले हमेशा जल प्रवाहित होता था। समय के साथ भक्तों ने इस जलकुंड़ में जलाभिषेक के साथ पुष्प, बेलपत्र डालना शुरु कर दिया जिससे प्रवाह दिखाई नहीं देता हैं। जलकुंड़ की सफाई करने पर छोटे छोटे पांच शिवलिंग के दर्शन होते हैं। इस प्रकार का शिवलिंग अपनी तरह में अनूठा हैं।
Created On :   25 Feb 2025 4:25 PM IST