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हालात: अमरावती के तालाबों से नहीं निकाला जा रहा गाद , मछुआरों पर भुखमरी की नौबत
- पानी की कमी के कारण पलायन करने विवश हुए आदिवासी
- मछली व्यवसाय बुरी तरह हुआ प्रभावित
- गाद निकालने प्रशासन नहीं उठा रहा कदम
डिजिटल डेस्क, धारणी (अमरावती)। मेलघाट के कई गांवों में पेयजल के लिए जहां हाहाकार मचा है। वहीं तालाबों से गाद निकालने में जल संसाधन विभाग की घोर उपेक्षा के कारण स्थिति और खराब होने की आशंका है। वर्तमान में कई आदिवासी केवल पानी की कमी के कारण पलायन करने विवश हो रहे हैं । प्रशासन की इस घोर अनदेखी के कारण आदिवासी बहुल क्षेत्रों में मछली व्यवसाय भी प्रभावित हो गया है। जबकि मेलघाट में रोजगार के लिए पहले ही साधन उपलब्ध नहीं है।
मेलघाट के अनेक गांवों में लबालब भरे तालाबों से गाद निकालने का प्रयास नहीं किया गया। नतीजा यह है कि इस तालाब में दस से पंद्रह फीट तक गाद जमा हो गया हैं। इसी गाद के कारण भविष्य में यह तालाब शो पीस बन जाने के कारण पानी के अभाव में पूरा इलाका प्यासा है। जल संधारन विभाग की घोर लापरवाही के कारण अनेक तालाब सूखने की कगार पर हैं। फिलहाल मेलघाट के कई गांवों में जमीन में पानी नहीं होने और कई ट्यूबवेल के पाइप जाम होने के कारण जलापूर्ति योजना का भी बंटाधार हो गया है। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग बरसात के मौसम में जल जनित बीमारियों के फैलने की आशंका जता रहा है। क्योंकि नागरिक नदियों का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
मांडवा, जटपानी, खारी, गंभेरी, दहेंडा, राजपुर, गावंडोह, हतिदा आदि क्षेत्रों में कोई पेयजल संकट प्रति वर्ष गहराता जा रहा है। तालाब में गाद जमा होने से मछुआरों का व्यवसाय कम हो गया है। दीया, उतावली, कुंटगा, कलमखार, रत्नापुर आदि गांवों के नागरिक मछली पकड़ने के व्यवसाय पर निर्भर हैं। मेलघाट के बाजार में पारंपरिक तरीके से मछली बेचकर अपने परिवार का पेट पालने वाले लोगों की संख्या बड़ी है, लेकिन तालाब में गाद के कारण मछली पकड़ने में बड़ी बाधाएं आ रही हैं।
मछली पकड़ने वाले परिवारों पर भुखमरी की नौबत आन पड़ी हैं। सभी तालाब एक बार फिर से सुर्खियों में आ गये हैं। क्योंकि जिन गांवों में यह तालाब हैं। वहां गंभीर जल संकट है। तालाब वाले गांवों में पानी की सबसे ज्यादा कमी है। जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तालाब से गाद निकालने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहै है।
तेजी से घट रहा जलस्तर तालाबों से गाद निकालने की प्रक्रिया बीते कई सालों से बंद पड़ी है। पानी कम और गाद ज्यादा होने से तालाबों का जलस्तर तेजी से घटता जा रहा है । सफाई से ही तालाबों के करीब के गावों में जलसंकट से निजात मिल सकती है। -रामदास जयस्वाल, शिरपुर, धारणी
मरम्मत को दे रहे प्राथमिकता : जहां जल संधारण की निधि खर्च की जानी थी, वहा संबधित विभाग आनन-फानन में निधि का बंटाधार कर रहा है। गाद के लिए मशहूर मांडवा तालाब में मरम्मत के काम किए जा रहे हैं। पर गाद नहीं निकाली जा रही है। -संतोष गयाल, धारणी
Created On :   12 Jun 2024 3:40 PM IST