लापरवाही: आपदा के समय ग्रामीणों को मदद मिलना मुश्किल, छुट्‌टी के दिन नहीं उठाते फोन

आपदा के समय ग्रामीणों को मदद मिलना मुश्किल, छुट्‌टी के दिन नहीं उठाते फोन
  • ग्रामीणों ने किया फोन तो प्रशासन मिला ‘पहुंच से बाहर’
  • प्रशासन के दावे खोखले साबित हो रहे
  • 11 पटवारियों ने फोन नहीं उठाया

राजेश चौबे, धामणगांव रेलवे (अमरावती)। तहसील प्रशासन के अधिकारी -कर्मचारी नॉट रिचेबल और पहुंच से बाहर रहने की बात दैनिक भास्कर द्वारा की गई पड़ताल में सामने आई। इससे आपदा के समय भी प्रशासन से मदद मिलने को लेकर नागरिकों में चिंता है।

जिन कर्मचारियों को लगता है कि वे पांच दिन के सप्ताह में सरकारी काम करना चाहते और बाकी दो दिन छुट्टी पर हैं, उनके मोबाइल फोन बंद करने का चलन दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि मानसून के मौसम में तहसील प्रशासन पहुंच से बाहर है। विदर्भ में तीन दिनों से मूसलाधार बारिश हो रही है। इससे कई स्थान प्रभावित हैं। तहसील में बारिश से राहत है, लेकिन बगाजी सागर बांध में जल भंडारण बढ़ गया है। अगर इस नदी नाले में बाढ़ आती है तो 17 गांवों में कभी भी पानी घुस सकता है। ऐसे समय में ग्रामीणों को प्रशासन से तत्काल मदद की जरूरत है। हालांकि, सवाल यह खड़ा हो गया है कि जब ग्राम स्तर के कर्मचारियों को मदद की जरूरत हो,

उनके मोबाइल फोन बंद हों तो वे किससे मदद मांगें। आपदा के दौरान तलाठी की प्रबंधन समिति, ग्राम सेवक, कृषि सहायक, मंडल अधिकारी, ग्राम जिला परिषद और निजी स्कूलों के प्रधानाध्यापक, सस्ता अनाज दुकानदार, महावितरण कर्मचारी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्वास्थ्य नर्स, पशु चिकित्सा अधिकारी भी सदस्य हैं। यह सदस्य शनिवार और रविवार की छुट्टियों के कारण अपने कर्तव्यों को भूल गए थे। शनिवार की छुट्टी के दौरान ग्रामवासियों द्वारा किए जाने वाले फोन पटवारी नहीं उठाते। ग्रामीणों ने जब फोन किया तो ऐसे 11 पटवारियों ने फोन नहीं उठाया। 9 ग्राम सेवकों के मोबाइल फोन ‘नॉट रिचेबल या पहुंच से बाहर ’ थे। गांव में बिजली आपूर्ति बाधित होने की शिकायत सुनने कोई तैयार नहीं है। पशु चिकित्सक भी नॉट रिचेबल ही मिलते हैं।

सरकारी नौकर के साथ ही इंसान भी हैं : कर्मचारियों का कहना है कि एक तरफ नौकरी, वहीं परिवार सैकड़ों किलोमीटर दूर रहता है। ऐसे में हम बूढ़े मां-बाप के साथ-साथ छोटे-छोटे बच्चों से भी मिलने जाते हैं। हम पांच दिन गांव में रहते हैं। कुछ ग्रामीण अपने काम पर नहीं आते बल्कि छुट्टियों के दिन छोटी-छोटी वजहों से मोबाइल फोन पर ज्यादा परेशान करते हैं। हम सरकारी नौकर के साथ ही इंसान भी हैं।हमंे भी सकारात्मक दृष्टि से देखा जाना चाहिए।

क्या कहते हैं ग्रामवासी : आपदा के दौरान कर्मचारियों को मुख्यालय पर रहना जरूरी है। अगर कर्मचारी छुट्टी पर गांव में नहीं है तो ठीक है, लेकिन मोबाइल फोन बंद रखना उचित नहीं है। कुछ ग्रामीण पूछते हैं कि ऐसे कर्मचारियों से क्या उम्मीद की जाए जो संकट के समय काम नहीं करते। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि छुट्टियों के दिनों में मासिक वेतन से कटौती की जानी चाहिए।

Created On :   24 July 2024 12:48 PM IST

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