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मजदूर बदहाली में: अमरावती संभाग में मनरेगा की 166 करोड़ मजदूरी बकाया, मजदूरों पर भुखमरी की नौबत
- मेलघाट के सर्वाधिक 21,192 श्रमिक पाई-पाई को मोहताज
- यहां रोजगार के अभाव में बढ़ता है कुपोषण
- मजदूरी जमा नहीं हुई, बैंक के चक्कर लगाकर थक गए श्रमिक
त्रिदीप वानखड़े , अमरावती । रोजगार को तरस रहे अमरावती संभाग में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से हाथ को काम मिल रहा है। लेकिन इसके अंतर्गत मजदूरी करने वाले श्रमिकों को चार महीनों से दिहाड़ी नहीं मिली है। इस तरह कुल 46 हजार 850 मजदूरों की दिहाड़ी मजदूरी के कुल 166 करोड़ रुपए शासन पर बकाया है। जिससे मजदूरों पर भुखमरी की नौबत आन पड़ी है। जहां रोजगार के अभाव में कुपोषण बढ़ता है। ऐसे आदिवासी बहुल मेलघाट के सर्वाधिक 21,192 मजदूर अपने बैंक खातों में मजदूरी जमा हुई या नहीं, इसके लिए बैंक के चक्कर लगाकर थक गए है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना केंद्र सरकारी की महत्वकांक्षी योजना है। इस योजना के तहत काम मांगने वाले मजदूरों को स्थानीय स्तर पर अकुशल रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। जिसमें सौ दिनों तक रोजगार की गारंटी केंद्र सरकारी की होती है। इसके बाद राज्य शासन रोजगार उपलब्ध कराता है।
केंद्र सरकार पुरस्कृत मनरेगा के अंतर्गत मजदूरों को शासकीय कार्यों में जुटाकर मजदूरी दी जाती है। जिसके बाद संबंधित मजदूरों ने कितने दिन काम किए। उस हिसाब से मजदूरी की राशि सासन की ओर से सीधे उनके बैंक खातों में जमा की जाती है, लेकिन अप्रैल -2024 से मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल पाई हैं। जिससे प्रतिदिन बैंकों के चक्कर लगाकर थक चुके मजदूरों को अपना और अपने परिवार के पेट की आग बुझाने के लिए जैसे-तैसे उधारी में घर चलाने विवश होना पड़ रहा है। लेकिन अब उधार मिलना भी मुश्किल हो गया है। अमरावती जिला, अकोला, बुलडाना, वाशिम व यवतमाल जिला में कुल मिलाकर 46 हजार 850 मजदूरों पर भुखमरी की नौबत आन पड़ी है।
Created On :   8 Aug 2024 11:14 AM IST