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अवैध कारोबार: चाबी बनाने वालों ने पाचोरी को बना दिया हथियारों की खदान , 70 घर हैं गांव में
- मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र पुलिस ने सैकड़ों हथियार बरामद किए , लेकिन गांव तक नहीं पहुंची
- खंडवा से लेकर अमरावती तक छिपे दलालों की कुंडली खंगाली जा रही
- पुलिस और कई एजेंसी की रडार पर हैं
डिजिटल डेस्क, अमरावती। अमरावती के धारणी से सटे मध्य प्रदेश की सीमा पर खरनार थाना क्षेत्र के घने जंगलों में बसा पाचोरी गांव अवैध हथियार बनाने के लिए देश भर में जाना जाता है। जहां गिनती के 70 घर हैं। जिनमें हर व्यक्ति अवैध हथियार बनाए जाने के गैरकानूनी काम में शामिल होने की जानकारी है। आज तक मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र पुलिस ने कई तस्करों से सैकड़ों हथियार बरामद किए हैं, परंतु आज तक दोनों ही राज्यों की पुलिस गांव तक पहुंचने में नाकामयाब रही, लेकिन अवैध हथियारों की बढ़ती तस्करी को लेकर पाचोरी गांव पुलिस और कई एजेंसी के रडार पर है। खंडवा से लेकर अमरावती जिले तक छिपे बैठे दलालों की पुलिस कुंडली खंगालने में जुट गई है।
देश भर के तस्करों से जुड़े तार : जानकारी के अनुसार पाचौरी गांव के हर घर-घर में तमंचे बनाने का काम किया जाता है। जिसकी बदौलत गांव में आर्थिक संकट कभी नहीं मंडराता। 15 से 20 हजार रुपए में हथियारों की बिक्री की जाती है। विशेष तौर से मध्य प्रदेश के बैतूल से लेकर अमरावती जिले में अब तक पुलिस की विभिन्न कार्रवाई में बरामद हथियार पाचोरी गांव में बनाए गए पाए गए , लेकिन घने जंगलों के बीच बसे पाचोरी गांव में परिंदा भी पर नहीं मार सकता। जहां पुलिस तो दूर आम आदमी भी कदम नहीं रख सकता, लेकिन पाचोरी गांव के तार देश भर के हथियार तस्करों से जुड़े हैं। जिसे लेकर पिछले 10 सालों से लगातार हथियार तस्करी के मामले बढ़ते देखे गए हैं।
चर्चित गौरी हत्याकांड के तार भी यहीं से जुड़े : बता दें कि अमरावती जिले में भी ऐसे कई हथियारों के दलाल और तस्कर छिपे बैठे हैं, जो पाचाेरी गांव के काफी करीबी बताए जाते हैं। जबकि 5 सितंबर 2017 को बंगलुरु में हुए चर्चित पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपियों ने पाचोरी गांव से ही हथियार खरीदे थे। तब पहली बार एसटीएफ ने पाचोरी गांव के आसपास जाल बिछाकर इकबालसिंह और पातल्या बास्करे को गिरफ्तार कर 28 देसी पिस्तौल, 20 कारतूस और 6 मैगजीन बरामद की थीं।
खुफिया चेकपोस्ट भी तैयार की गई है : जानकारी के अनुसार पाचोरी गांव में विशेष तौर से सिकलगीर समुदाय के कुछ लोग गांव में बसे हैं।,जो शुरुआत में पहले ताले, चाबियां और लोहे से बने आदि उपकरण बनाने में महारत रखते हैं, लेकिन धीरे-धीरे हथियार बनाना शुरू किया। चाकू, गुप्ती, तलवार के साथ बंदूकों का व्यापार शुरू किया। जिससे गांव के लोगों को रुपए बड़ी मात्रा में मिलना शुरू हुए। गांव के आसपास के मार्गांे पर खुफिया चेकपोस्ट भी तैयार की गई है। चेकपोस्ट पर गांव के ही लोगों को तैनात किया गया है। जहां से जाने वाले हर वाहन की जांच की जाती है। लोगों की भी पूरी जांच की जाती है। उसके बाद ही गांव में घुसने दिया जाता है।
Created On :   16 May 2024 4:03 PM IST