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राहत: अमरावती कृषि मंडी में पहली बार 10 हजार के करीब पहुंची तुअर, किसानों में हर्ष
- दाम बढ़ने की उम्मीद में कई किसानों ने घर पर जमा कर रखी तुअर
- जैसे-जैसे बढ़ रहे दाम आवक भी बढ़ी
- बेमौसम बारिश से उत्पादन में कमी
डिजिटल डेस्क, अमरावती । किसानों ने अब तुअर बेचने मार्केट में लाना शुरू कर दिया है। शुरुआती दौर में तुअर को मात्र 7 हजार से 7 हजार 800 तक के दाम मिल रहे थे। इस माह के शुरुआती 11 दिनों में तुअर के दाम 800 रुपए से बढ़कर शुक्रवार को अमरावती कृषि मंडी में तुअर को 8 हजार से लेकर तो 9 हजार 920 रुपए क्विंटल के दाम मिले। बावजूद इसके किसानों को आनेवाले दिनों में तुअर के दामों में और वृद्धि होने की उम्मीद है। अभी तक बड़ी मात्रा में किसानों ने नई तुअर अपने घर में जमा कर रखी है। इस वर्ष बेमौसम बारिश के चलते तुअर का उत्पादन घटने की आशंका जताई जा रही थी। हालांकि किसानों को तुअर का उत्पादन ज्यादा प्रमाण में होने की आशा थी। उस तुलना में उत्पादन कम हुआ। लेकिन विविध किसान संगठनांे द्वारा कपास और तुअर के दाम बढ़ाने की मांग को लेकर पिछले कुछ दिनों किए आंदोलन के चलते दाम बढ़ने की अपेक्षा में किसानों ने नई तुअर बाजार में बेचने नहीं लायी थी। 11 जनवरी को अमरावती कृषि उपज मंडी में तुअर के दाम 7 हजार 800 से 9 हजार 100 रुपए क्विंटल थे। लेकिन तुअर की आवक मात्र 309 क्विंटल की थी।
दूसरे दिन 12 जनवरी को तुअर के दामों में 100 रुपए से वृद्धि हुई और दूसरे दिन 374 क्विंटल की आवक रही। हर रोज 100 रुपए से तुअर के दामों में वृद्धि देखी गई। 18 जनवरी को बाजार में तुअर की खरीदी 8 हजार से 9 हजार 425 रुपए क्विंटल रही। लेकिन आवक 808 क्विंटल रही। शुक्रवार 19 जनवरी को तुअर की दामों में अचानक प्रतिक्विंटल 475 रुपए का उछाल देखा गया। तुअर के दाम 8 हजार से 9 हजार 900 रुपए क्विंटल पर पहुंचे गए । वहीं तुअर की आवक 736 क्विंटल रही।
शासकीय खरीदी को नहीं मिल रहा प्रतिसाद : इस वर्ष सरकार ने पीएसएफ 2023 के तहत तुअर खरीदी कार्यक्रम की घोषणा की थी अौर नाफेड के पोर्टल पर किसानों को तत्काल पंजीयन करने का आहवान भी किया था। किंतु सरकार द्वारा खरीदी की जानेवाली तुअर शासकीय दाम पर नहीं बल्कि बाजार में तुअर के जो दाम चल रहे है उसके आधार पर खरीदना निश्चित हुआ था। फिर भी किसानों ने खुले बाजार में तुअर बेचना पसंद किया। अमरावती खरीदी-बिक्री संघ के तहत अमरावती व भातकुली तहसील का समावेश है। यहां शासकीय खरीदी के लिए पंजीयन की मुहिम दिसंबर के तीसरे सप्ताह से शुरू हुई। किंतु अब तक अमरावती और भातकुली तहसील के मात्र 31 किसानों ने ऑनलाईन् पंजीयन किया। इस तरह की जानकारी खरीदी-विक्री संघ के संजय इंगले ने दी। बताया जाता है कि नाफेड को खेतीमाल बेचने के बाद किसानों को 10 से 15 दिन बाद पैसे मिलते हैं। लेकिन खुले बाजार में सुबह खेती माल बेचने के बाद दोपहर तक पैसे मिल जाते है। जिससे किसान नाफेड को खेती माल बेचने की बजाए खुले बाजार में बेचना पसंद कर रहा है।
Created On :   20 Jan 2024 6:28 PM IST