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अभाव: बारिश में मेलघाट का जन जीवन प्रभावित, बिजली-सड़क और पानी के लिए तरसा रहा फॉरेस्ट
- 2 वर्ष से फॉरेस्ट की एनओसी नहीं मिली
- फॉरेस्ट का जिला प्रशासन के साथ समन्वय नहीं
- आदिवासियों का जीवन अंधेरे में
डिजिटल डेस्क, अमरावती । मानसून में मेलघाट का जन जीवन सर्वाधिक प्रभावित होता है। उसमें भी बिजली-पानी व सड़क निर्माण जैसे विकास कार्य केवल फॉरेस्ट की एनओसी के कारण दो वर्षों से रुके पड़े हैं। जिसको लेकर विधायक राजकुमार पटेल मंगलवार को आगबबूला हो उठे। अमरावती के सीसीएफ कार्यालय के गुराघाट सभागार में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प क्षेत्र संचालक के साथ हुई बैठक में पटेल ने साफ कहा कि फॉरेस्ट का जिला प्रशासन व शासन के साथ समन्वय नहीं रहने का खामियाजा समूचा मेलघाट भुगत रहा है। अब बहुत हो गया।
मेलघाट के विकास कार्यों में फॉरेस्ट की रुकावट अब किसी भी हाल में दूर होना चाहिए। इसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार को भेजे जा रहे प्रस्ताव तकनीकी दृष्टि से योग्य हों। हर तरह की दिक्कत दूर करने के लिए दिल्ली तक दबाव बनाने का प्रयास करेंगे। मध्य प्रदेश से मेलघाट के 70 गांवों में बिजली की व्यवस्था के लिए जारीदा में 6 करोड़ की लागत से 33 केवी क्षमता का बिजली सब स्टेशन डेढ़ वर्ष से बनकर तैयार है। लेकिन इस सब स्टेशन परिसर का केवल 5 प्रतिशत हिस्सा फॉरेस्ट की सीमा में आता है। केवल इसी कारण जारीदा का यह बिजली सब स्टेशन अब तक शुरू नहीं हो पाने से मेलघाट के 20 गांवों में बिजली नहीं है। बैठक में यह तथ्य सामने लाया गया कि सब स्टेशन परिसर में केवल एक-दो पेड़ ही फॉरेस्ट की सीमा में आ रहे हंै। जिसके कारण फॉरेस्ट के अडंगे के कारण मध्य प्रदेश से बिजली खींचकर लाने के बाद भी मेलघाट के गांव अंधेरे का सामना करने के लिए विवश हो रहे हैं।
इन गांवों में बिजली नहीं : मेलघाट विधानसभा क्षेत्र के भवई, रंगुबेली, कुंड, धोकड़ा, खामदा, किन्हीखेड़ा, चोपन, कोकमार, रक्षा, सुमिता, कुतीडा, चुनखड़ी, नवलगांव, खादीमल, मारीझड़प, मारीता, सर्वोखेड़ा, रेहतयाखेड़ा, बिच्चूखेड़ा, राईपुर, माखला में बिजली नहीं है। यह समस्या स्थायी तौर पर हल करने के लिए ही मध्य प्रदेश से बिजली खींचकर लाई गई, लेकिन केवल फॉरेस्ट की रुकावट के कारण जारीदा का सब स्टेशन डेढ़ वर्ष से शुरू होने की प्रतीक्षा में है। साथ ही महावितरण कंपनी के वरिष्ठ स्तर पर भी इसका फाइनल निरीक्षण ठंडे बस्ते में पड़ा है।
सड़कें अपने हाल पर आंसू बहा रहीं : इसी तरह जल जीवन मिशन और जलापूर्ति की अन्य योजनाओं के तहत पिछले 2 वर्षों से मेलघाट के 150 गांवों में शुद्ध पेयजल के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम अधूरा पड़ा है। केवल फॉरेस्ट की एनओसी नहीं मिलने के कारण पेयजल जैैसी जीवनावश्यक व्यवस्था पर अमल नहीं हो पा रहा है। मेलघाट में बदहाल हो चुके रास्तों को लेकर भी फॉरेस्ट का अडं़गा दूर होने का नाम नहीं ले रहा है। करोड़ों की निधि मंजूर है। वर्क आर्डर हो चुका है, लेकिन केवल और केवल फॉरेस्ट की एनओसी नहीं मिलने के कारण मेलघाट में बदहाल सड़कों के पुनर्निर्माण का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। 2-3 वर्षों से मेलघाट के 20 से 25 दुर्गम गांवों की सड़कें अपने हाल पर आंसू बहा रही हैं। वाहन दौड़ाना तो दूर की बात है, पैदल चलना भी मुश्किल हो।
Created On :   19 Jun 2024 9:54 AM GMT