Amrawati News: मेलघाट के श्वान कैनाइन पार्वोवायरस की चपेट में

मेलघाट के श्वान कैनाइन पार्वोवायरस की चपेट में
  • कई श्वानों की हुई मौत, संक्रमित श्वान वनक्षेत्र में गए
  • वन्यजीव भी आ सकते हैं इसकी चपेट में
  • वनक्षेत्र में जाने से रोकना होगा श्वानों को

Amrawati News श्वानों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जिनमें रेबीज़, वॉन विलेब्रांड रोग, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया, थ्रोम्बोसाइटोसिस, एकिनोकोकोसिस, सरकोप्टिक मांगे, लेप्टोस्पाइरोसिस, पार्वो वायरस आदि का समावेश है। मेलघाट के जंगलों में लावारिस श्वान पार्वोवाइरस की चपेट में आ गए। इसकी चपेट में आने से यहां कई श्वानों की मौत हो गई जिसका बदस्तूर सिलसिला जारी है। आवारा कुत्तों के मालिकों का पता नहीं चलने पर यह श्वान रस्ते पर दम तोड़ते दिखाई दे रहे है। यह संक्रमण से पसरनेवाली बीमारी है जो फिलवक्त श्वान में पसरी है। मेलघाट टॉयगर प्रोजेक्ट के जंगलों में संक्रमित श्वान का शिकार होने पर वन्यजीव भी इनकी चपेट में आने से इंकार नहीं किया जा सकता है। चूंकि कैनाइन पार्वोवायरस अत्याधिक संक्रामक है, इसलिए संक्रमित होने का संदेह या पुष्टि होने वाले श्वानों को संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिए अन्य श्वानों से अलग रखा जाना चाहिए। वन्यजीवों को अगर इस संक्रमण से बचाना है तो शहर के तमाम श्वानों को वनक्षेत्र में जाने से रोकना अनिवार्य हैं।

यह वायरस श्वानों, भेड़िये और लोमड़ियों जैसे अन्य की श्वेत रक्त कोशिकाओं और जठरांत्र संबंधी मार्ग पर हमला करता है। सभी श्वान कैनाइन पार्वोवायरस के प्रति संवेदनशील होते हैं, हालांकि कुछ श्वानों को दूसरों की तुलना में अधिक जोखिम होता है। इनमें 6 से 20 सप्ताह की आयु के पिल्ले, बिना टीकाकरण वाले या अधूरे टीकाकरण वाले कुत्ते और कुछ नस्लें शामिल हैं। यह वायरस गर्मी, ठंड, नमी और सूखने के प्रति प्रतिरोधी है और पर्यावरण में लंबे समय तक जीवित रह सकता है। संक्रमित कुत्ते के मल की थोड़ी मात्रा में भी वायरस हो सकता है और यह अन्य कुत्तों को संक्रमित कर सकता है। इसलिए उचित कीटाणुशोधन प्रथाओं को महत्वपूर्ण बनाता है।

क्या है पार्वो : कैनाइन पार्वोवायरस संक्रमण कैनाइन पार्वोवायरस टाइप 2 के कारण होने वाला एक अत्यधिक संक्रामक रोग है। इसके कई प्रकार हैं, और सभी समान लक्षण उत्पन्न करते हैं। वे जिस बीमारी का कारण बनते हैं उसे आम तौर पर “पार्वो” कहा जाता है।

कैनाइन पार्वोवायरस के क्या हैं लक्षण? : पार्वोवायरस संक्रमण के लक्षण हर कुत्ते में अलग-अलग होते हैं, जो संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है। कुत्तों में सुस्ती, भूख में कमी, उल्टी करना, गंभीर, अक्सर खूनी, दस्त, पेट में दर्द और सूजन, बुखार या शरीर का कम तापमान (हाइपोथर्मिया) जैसे कुछ महत्वपूर्ण संकेत हैं। इससे श्वान की मृत्यु हो सकती है।

कैनाइन पार्वोवायरस कैसे फैलता है? : कैनाइन पार्वोवायरस संक्रमित कुत्तों के साथ सीधे संपर्क, संक्रमित कुत्तों के मल के संपर्क या वायरस से दूषित सतहों के संपर्क से आसानी से फैलता है। घरेलू कुत्तों, जंगली कुत्तों और जंगली कैनिड्स के बीच संपर्क भी बीमारी फैलाने में भूमिका निभा सकता है।

उपाय योजना की जा रही है : पार्वोवायरस रोग में श्वानों के शरीर का पानी खत्म होने से इलाज करने के बाद भी दस में से आठ श्वानों की मौत हो रही है। इस पर उपाय-योजना की जा रही है। - मनोज आडे, तहसील पशुसंवर्धन अधिकारी, धारणी

Created On :   24 Jan 2025 11:26 AM IST

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