Amravati News: 14 में 13 मंत्रियों को चखाया है हार का स्वाद, मेघे ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से नहीं लड़ा था चुनाव

14 में 13 मंत्रियों को चखाया है हार का स्वाद, मेघे ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से नहीं लड़ा था चुनाव
  • राम मेघे ने मंत्री बनने के बाद स्वास्थ्य संबंधी कारणों से नहीं लड़ा चुनाव
  • 1962 से लेकर वर्ष 2019 तक अमरावती जिले ने राज्य को 14 मंत्री दिए
  • 13 मंत्री हार का स्वाद चख चुके हैं

Amravati News : विजय धामोरीकर | महाराष्ट्र राज्य की स्थापना के बाद 1962 से लेकर वर्ष 2019 तक अमरावती जिले ने राज्य को 14 मंत्री दिए हैं, जिनमें से 13 मंत्री हार का स्वाद चख चुके हैं जबकि एक मंत्री स्वास्थ्य संबंधी कारणों से राजनीति से ही दूर हो गए। सन 1962 में राज्य में पहला विधानसभा चुनाव हुआ था जिसमें मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री पद पर रहे पी.के. उर्फ अण्णासाहेब देशमुख बडनेरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे और 21 हजार 950 वोटों से विजयी भी रहे। उसके बाद 1967 में हुए विस चुनाव में रिपाई के कृष्णराव श्रृंगारे ने उन्हें पराजित कर दिया। लेकिन 1972 के चुनाव में पी.के. देशमुख ने फिर कृष्णराव श्रृंगारे को पटखनी देकर अपनी हार का बदला ले लिया। लेकिन मंत्री रह चुके देशमुख इससे पूर्व के चुनाव में श्रृंगारे से हार का स्वाद तो चख चुके थे। इसके अलावा पूर्व मंत्री यशवंत शेरेकर और भाजपा के अरुण अडसड के बीच चांदुर रेलवे निर्वाचन क्षेत्र में हुई जुगलबंदी काफी चर्चा में रही थी। शेरेकर ने अडसड को 1980 और 1985 के चुनाव में पराजित किया। जबकि 1990 के विधानसभा चुनाव में अरुण अडसड पूर्व मंत्री यशवंत शेरेकर को पटखनी देने में सफल रहे।

इसी तरह का रोचक मुकाबला अचलपुर क्षेत्र में वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव में हुआ था। दरअसल 1999 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना कर चुके अचलपुर के निर्दलीय और सबसे कम उम्र के प्रत्याशी बच्चू कडू का सामना वर्ष 2004 में अचलपुर के दो पूर्व मंत्री वसुधा देशमुख और विनायकराव कोरडे के साथ हुआ था। यह चुनाव बच्चू कडू ने 56,471 वोटों से जीता था। उस समय वसुधा देशमुख काे 51,085 और विनायकराव कोरडे को 31,475 वोट मिले थे। अगर बडनेरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की बात करें तो यहां कांग्रेस के राम मेघे ने 1980 और 1985 में लगातार दो बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता। लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के कारण वे राजनीति से दूर हो गए और 1990 से राम मेघे चुनाव मैदान में ही नहीं उतरे। इसी तरह वलगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व मंत्री अनिल वऱ्र्हाडे 1995 के चुनाव में जीत की हैट्रिक करनेवाले थे। लेकिन शिवसेना के संजय बंड ने उन्हें यहां से पराजित कर दिया। वहीं वर्ष 2019 में हुए मोर्शी-वरुड़ विधानसभा क्षेत्र का चुनाव का नतीजा भी इसी तरह रोचक रहा। चुनाव के दो माह पहले महायुति ने डॉ.अनिल बोंडे को कृषि मंत्री का पद बहाल किया था। इस चुनाव में उनका मुकाबला स्वाभिमानी किसान संगठन के युवा उम्मीदवार देवेंद्र भुयार के साथ हुआ। देवेंद्र भुयार ने डॉ. अनिल बोंडे को कड़ी टक्कर देते हुए 96 हजार 152 वोटों से चुनाव जीत लिया। इस समय अनिल बोंडे को 86 हजार 361 वोट मिले थे। भुयार ने 9 हजार 791 वोटों से यह चुनाव जीता था।

अमरावती जिले से मंत्री बने नेता

मंत्री चुनाव हारे निर्वाचन क्षेत्र

पी.के. देशमुख 1962 बडनेरा

एन.यू. देशमुख 1967 दर्यापुर

मल्हारराव माहुरकर 1978 मोर्शी

रामू पटेल 1978 मेलघाट

यशवंत शेरेकर 1980 चांदुर रेलवे

सुरेंद्र भुयार 1980 अमरावती

राम मेघे 1985 बडनेरा

अनिल वरहाडे 1990 वलगांव

हर्षवर्धन देशमुख 1995 मोर्शी

जगदीश गुप्ता 1995 अमरावती

विनायक कोरडे 1995 अचलपुर

वसुधाताई देशमुख 1999 अचलपुर

डॉ. सुनील देशमुख 2004 अमरावती

डॉ. अनिल बोंडे 2019 मोर्शी-वरुड़

Created On :   28 Oct 2024 1:58 PM GMT

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