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नियुक्ति: लंबे समय के बाद अमरावती को मिला नया आयुक्त , पीडब्ल्यूडी डाल रही डोरे
- 12 साल बाद आईएएस श्रेणी के आयुक्त मिले
- शहरवासियों की बढ़़ीं विकास की उम्मीदें
- अभी तक उन्हें पदभार नहीं सौंपा
डिजिटल डेस्क, अमरावती । अमरावती मनपा में पिछले 12 वर्ष के बाद सचिन कलंत्रे के रूप में आईएएस श्रेणी के अधिकारी को निगमायुक्त बनाया गया है। जिससे शहर विकास और शहर को गंदगी मुक्त करने की दिशा में निगमायुक्त ठोस कदम उठाएंगे। इस तरह की शहरवासियों की उम्मीदें बढ़ चुकी हैं। लेकिन मनपा में पिछले तीन वर्षो में लिए गए कुछ विवादास्पद निर्णय पर निगमायुक्त ठोस भूमिका न लें, इस उद्देश्य से मनपा के तीन अधिकारियों की तिकड़ी इन दिनों नये निगमायुक्त पर डोरे डाल रही है। इस तरह मनपा में फिर एक बार राजनीति ने जोर पकड़ लिया है। यही वजह है कि राज्य सरकार की ओर से मनपा उपायुक्त पद पर जुम्मा प्यारेवाले को फिर से पदभार देने के निर्देश होने के बाद भी अभी तक उन्हें पदभार नहीं सौंपा गया।
निगमायुक्त पर डोरे डालने वाली यह तिकड़ी मनपा में ‘पीडब्ल्यूडी’ के रूप में पहचानी जाती है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2010 से 2012 तक अमरावती मनपा के आयुक्त पद पर एन. नवीन सोना ने कार्यभार स्वीकारा था। वे आईएएस श्रेणी के अधिकारी थे। उसके बाद अमरावती मनपा में पदोन्नति पर आयुक्त पद पर अधिकारियों की नियुक्तियां हुई हैं। उसी में अमरावती मनपा से सेवानिवृत्त हुए डॉ. प्रवीण आष्टीकर और उसके बाद देवीदास पवार का कार्यकाल मनपा में काफी विवादास्पद रहा। विशेषकर संपत्ति कर वृद्धि और शहर में सफाई ठेके के साथ ही मनपा के आकृतिबंध में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर नियमबाह्य तरीके से की गई पदोन्नति के मामले विवादों में घिरे थे
पूर्व निगमायुक्त देवीदास पवार के कार्यकाल में मनपा के अधिकारी नरेंद्र वानखडे और योगेश पीठे को पदोन्नति देकर उन्हें उपायुक्त बनाया गया था। पीठे के पास उपायुक्त प्रशासन और वानखडे़ के पास सामान्य प्रशासन का कार्यभार सौंपा गया था। वानखडे की पदोन्नति पर नियुक्ति करते समय मनपा में नगरविकास विभाग की ओर से भेजे गए उपायुक्त जुम्मा प्यारेवाले को पदमुक्त कर उनके स्थान पर वानखडे़ की नियुक्ति की गई। इस कारण इन दोनों की नियुक्ति किसी भी समय रद्द करने के अधिकार निगमायुक्त को है। इसके अलावा भी मनपा में काफी विषय अनसुलझे रहे। इसी तरह शहर में लगाए गए अनधिकृत होर्डिंग, वाहन खरीदी घोटाला, शौचालय घोटाला आदि पर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ। संपत्ति कर के मुद्दे पर मनपा में कंपनी नियुक्त कर उस कंपनी को सभी निर्णय लेने के अधिकार दिए थे। यह कंपनी नियुक्त करने मनपा ने करोडों रुपए खर्च किए। जिसकी जांच हुई तो मनपा के अतिरिक्त आयुक्त देशमुख भी कार्रवाई के घेरे में आ सकते है। इस कारण वर्तमान में निगमायुक्त पर मनपा में ‘पीडब्ल्यूडी’ नाम से चर्चित तिकड़ी पिछले तीन दिनों से डोरे डाल रही है।
Created On :   6 July 2024 9:32 AM GMT