बॉलीवुड के 'राजा बाबू' गोविंदा के 56 वें जन्मदिन पर जानें उनके बारे में कुछ बातें।
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। अपनी डांसिग स्टाइल और कॉमेडी अभिनय से दर्शकों के दिलों मे खास पहचान बनाने वाले अभिनेता गोविंदा आज अपना 56वां बर्थ-डे सेलिब्रेट कर रहे हैं। 1986 में फिल्मों में डेब्यू करने वाले गोविंदा ने 90 के दशक में अपना जो जलवा बिखेरा वो आज भी कायम है।
उनके डांसिंग स्टाइल के कायल लोग आज भी हैं और उनके फैंस की कमी आज भी नहीं है। आज भी टीवी शो से लेकर किसी भी डांसिंग प्रोग्राम और सोशल मीडिया टिकटॉक आदि पर लोग गोविंदा के गानों पर थिरकते नजर आते हैं। उनके जन्मदिन के मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी खास बातें...
बॉलीवुड में गोविंदा के सबसे अच्छे दोस्त सतीश कौशिक हैं। गोविंदा के साथ सतीश कौशिक की जोड़ी कई फिल्मों नजर आ चुकी है। इन दोनों की खास दोस्तों की जोड़ी बड़े परदे पर हिट भी साबित हुई। इन फिल्मों में राजा जी (1999), स्वर्ग (1990), साजन चले ससुराल (1996), परदेसी बाबू (1998), क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता (2001) जैसी फिल्में शामिल है।
गोविंदा ने एक राजनीति पारी भी खेली। यह पारी बिल्कुल जल्दबाजी में हुई। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2004 में मुंबई के एक क्षेत्र से टिकट दिया। गोविंदा ने भाजपा के एक बड़े नेता राम नाईक को बड़े अंतर से हराकर जीत दर्ज की। जीतने के बाद गोविंदा की तनिक भी रुचि राजनीति में नहीं रही। धीरे-धीरे करके उन्होंने राजनीति से किनारा कर लिया।
गोविंदा को निर्देशक के रूप में डेविड धवन जैसा सच्चा संगी मिला। फिर यहां से शुरु हुई परफेक्ट टाइमिंग वाली कॉमेडी का सिलसिला। गोविंदा को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे अच्छे डांसरों में भी शुमार किया जाता है। गोविंदा के डांस का मजा लेना हो तो टीवी पर उनके गाने बिना आवाज के देखिए। उनके डांस में एक तरह की अजीब फुर्ती दिखती है जो हास्य पैदा करती है।
डेब्यू के लगभग 7 साल बाद 1993 में रिलीज हुई फिल्म 'राजा बाबू' से गोविंदा ने सफलता का पहला स्वाद चखा। इससे पहले गोविंदा ने तीस से ज्यादा फिल्में की। किसी फिल्म में वह सोलो हीरो रहे तो किसी में कई नायकों के साथ। भूमिकाएं भी अलग-अलग तरह की। 'हत्या' में तो उन्होंने निगेटिव किरदार तक निभा लिया। लेकिन कॉमेडी फिल्मों से उन्हें एक अलग पहचान मिली।
Created On :   21 Dec 2019 1:47 AM GMT