Film Review: द सीक्रेट ऑफ देवकाली ; प्रकृति और संस्कृति की रक्षा का संदेश, अनुभवी कलाकारों के बीच नीरज चौहान करते है इम्प्रेस

द सीक्रेट ऑफ देवकाली ; प्रकृति और संस्कृति की रक्षा का संदेश, अनुभवी कलाकारों के बीच नीरज चौहान करते है इम्प्रेस
  • फिल्म समीक्षा 'द सीक्रेट ऑफ देवकाली'
  • कलाकार: नीरज चौहान, संजय मिश्रा, महेश मांजरेकर,भूमिका गुरुंग, अनुष्का चौहान, जरीना वहाब, प्रशांत नारायणन, अमित लेखवानी, मनन भारद्वाज
  • निर्देशक: नीरज चौहान
  • निर्माता: नीरज चौहान, प्रिंस चौहान
  • बैनर: चौहान प्रोडक्शन
  • लेखक : नेहा महेंद्र सोनी
  • अवधि : 2 घंटा 13 मिनट
  • रिलीज की तारीख: 18 अप्रैल 2025
  • रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐

प्रकृति से छेड़छाड़ मनुष्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है इसकी केवल झांकी कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान कुदरत ने दिखा दी है मगर इसके बावजूद इंसानों की आंख नहीं खुलती. सिनेमा के माध्यम से प्रकृति और पशु प्रेम की महत्ता का संदेश देने के लिये निर्देशक नीरज चौहान इस सप्ताह फिल्म 'द सीक्रेट ऑफ देवकाली' लेकर आए हैं. पिछले कुछ दिनों से बॉलीवुड फिल्मों में धार्मिक विषय और संस्कृति पर लीक से हटकर फिल्मों का निर्माण किया हैं , कांतारा के बाद द सीक्रेट ऑफ देवकाली भी प्रकृति, धर्म और संस्कृति का महत्वपूर्ण संदेश देने में कामयाब रहती हैं ।

कहानी

देवकाली गांव की कहानी दो कबीलों के लोगो के बीच की है जहाँ एक कबीला अहिंसा का पुजारी है तो दूसरा कबीला बहुत हिंसक है। देवकाली गांव में ऐसा माना जाता है कि जब भी कोई मासूम जीव को टॉर्चर करता है, माता खुद एक सुपर पॉवर के रूप मे प्रकट होती है और दुष्टों का नाश करती है। जब उस गांव में अत्याचार हद से बढ़ जाता है तो माधव (नीरज चौहान) के रूप में देवी जन्म लेती है ताकि दुष्टों को खत्म कर सके। यह कहानी एक ऐसे अभिशाप के बारे में भी है जिसके कारण देवकाली गांव में दशकों से किसी लड़की की शादी नहीं हुई.

अभिनय

इस फिल्म में जहां तक अभिनय का सवाल है, नीरज चौहान ने अपनी पहली फ़िल्म में अदाकारी से प्रभावित किया है. फिल्म मे उनके एंट्री सीन की बात करें या संजय मिश्रा के साथ उनके दृश्यों को, प्रशांत नारायणन के साथ टकराव का शॉट हो या फिर उनकी शारीरिक भाषा देखें, वह हर पहलू में अपना असर छोड़ जाते हैं. नीरज फिल्मों से पहले थियेटर करते रहे हैं इसलिए वह माधव के किरदार को खूबसूरती से पर्दे पर लेकर आते हैं नीरज के अलावा संजय मिश्रा, महेश मांजरेकर, प्रशांत नारायणन और भूमिका गुरुंग ने शानदार अभिनय किया है. टीवी अदाकारा भूमिका गुरुंग की य़ह पहली फिल्म है मगर उन्होंने यादगार भूमिका निभाने मे सफलता हासिल की है. संजय मिश्रा तो संजय मिश्रा हैं, अपने किरदार को वह जिस नेचुरल ढंग से निभाते हैं उसकी मिसाल नहीं मिलती. एक सीन मे वह बांसुरी बजाते हुए ट्रेंड बांसुरी वादक लगते हैं.

निर्देशन

बतौर निर्देशक नीरज चौहान की कहानी पर गहरी पकड़ है. उन्होंने दर्शकों को 2 घंटे 13 मिनट तक बांधकर रखा है. निर्देशक की सोच और कल्पना की तारीफ करनी चाहिए है. फिल्म का इंटरवल पॉइंट भी रोमांचक मोड़ पर आता है.। फ़िल्म कई दृश्यों में धीमी हैं लेकिन यह एक गंभीर

ओरिजिनल कॉन्सेप्ट व संवाद

लेखिका नेहा सोनी के ओरिजिनल कॉन्सेप्ट और संवाद फिल्म का प्लस पॉइंट हैं. एक दृश्य में माधव (नीरज) से पुजारी का यह संवाद दरअसल फिल्म के मैसेज को सामने लाता है "तुम लोगों को तो भगवान पे कोई विश्वास ही नहीं है, तुम भक्ति भी करते हो तो अपने स्वार्थ के लिए करते हो. कलयुग में तुम्हें अपने कर्मों का दंड भुगतना पड़ेगा. ये जो प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं इसके पीछे के संकेत को समझो." फिल्म मे जो सामाजिक संदेश दिया गया है वह दिल को छू लेता है. फिल्म सनातन धर्म के मूल्यों पर भी बात करती है.

बैकग्राउंड और इफ़ेक्ट

फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है जो हर सीन को उभार देता है. कहीं कहीं बिना किसी डायलॉग के बैकग्राउंड म्यूज़िक बड़ा प्रभाव छोड़ने मे कामयाब रहता है. फिल्म को एक अलग ही लाइटिंग मे फ़िल्माया गया है इसका कलर टोन आकर्षक है और नई दुनिया में ले जाने मे सफल रहता है.

फाइनल वर्डिक्ट

यह फिल्म आप मिस न करें. सीमित बजट में एक इंडिपेंडेंट फिल्म मेकर द्वारा एक बढ़िया कंटेंट क्रिएट किया गया है जिसे देखा जाना चाहिए. स्थापित कलाकारों का अभिनय प्रकृति और संस्कृति के रक्षा का अहम संदेश भी यह फ़िल्म देने में कामयाब रहती हैं ।

Created On :   18 April 2025 1:00 PM IST

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