Pune News: अब तेंदुआ या अन्य किसी हिंसक पशु के आते ही एआई कैमरा बजाएगा सायरन

  • जुन्नर वन विभाग ने विकसित की कृत्रित बुद्धिमत्ता पर आधारित प्रणाली
  • हिंसक वन्य पशुओं के अलावा अन्य कोई पशु आने पर यह सायरन नहीं बजेगा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-09 16:26 GMT

Pune News : जिले के वन क्षेत्र में तेंदुओं की अधिकता है। ये तेंदुए अक्सर अपने शिकार की खोज में मानव बस्ती का रुख कर लेते हैं क्योंकि मानव बस्तियों में इन मांसाहारी वन्य पशुओं को मवेशियों के साथ ही कुत्तों के रूप में आसान शिकार मिल जाता है। कई बार ये तेंदुए मनुष्यों को भी अपना शिकार बना लेते हैं। इस कारण जंगल के करीब की बस्तियों में सदैव ही तेंदुओं का खतरा बना रहता है। वन विभाग भी इन तेंदुओं और अन्य वन्य प्राणियों से मवेशियों और मनुष्यों को बचाने के लिए पिंजरा लगाकर उन्हें पकड़ने जैसे अनेक उपाय करते रहता है। अब जुन्नर विभाग ने तेंदुओं को पकड़ने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स (एआई) तकनीक की मदद ली है। इसके तहत एआई तकनीक पर आधारित कैमरे लगाए जाएंगे। कैमरे के दायरे में तेंदुआ या अन्य वन्य प्राणी आता है तो तुरंत कैमरा फोटो लेकर क्लाउड पर भेजेगा। फोटो में पशु की पहचान होगी, यदि यह तेंदुआ या अन्य हिंसक पशु होगा तो कुछ ही पलों में पुष्टि होते ही तेज सायरन बजेगा। प्रयोग के रूप में ये कैमरे कुछ स्थानों पर लगाए जा रहे हैं। सफलता मिलने पर इसे बढ़ाया जाएगा। महाराष्ट्र में इस तरह का यह पहला प्रयोग है।

हिंसक वन्य पशुओं के अलावा अन्य कोई पशु आने पर यह सायरन नहीं बजेगा

सिमू सॉफ्ट टेक्नोलॉजी, पुणे के एमडी सुनील चौरे और उनकी टीम यह तकनीक विकसित कर रही है। चौरे के अनुसार एआई अल्गोरिथम पर आधारित सेंसर और कैमरे विकसित किए गए हैं। ये कैमरे विशेष रूप से उन स्थानों पर लगाए जांएगे जहां तेंदुओं सहित अन्य हिंसक पशुओं का विचरण अधिक होता है। इन कैमरों की जद में आने पर यह कैमरा उस वन्य पशु की तस्वीर लेगा और डेटा में स्टोर जानकारी के आधार पर उस वन्य पशु की पहचान करेगा। यदि वह पशु तेंदुआ या अन्य हिंसक पशु होगा, तो तुरंत ही सायरन बजना शुरू हो जाएगा। सायरन बजते ही लोग सावधान हो जाएंगे। इससे किसान अपने मवेशियों को समय रहते बचा सकेंगे। चौरे ने बताया कि कैमरे की रेंज में हिंसक वन्य पशुओं के अलावा अन्य कोई पशु आने पर यह सायरन नहीं बजेगा।

इस प्रकार काम करेगी तकनीक

1. कैमरा और सेंसर : वन क्षेत्र और मानव बस्ती के उन स्थानों पर कैमरे तथा सेंसर लगाए जाएंगे, जहां तेंदुओं सहित हिंसक पशुओं का विचरण होता है। ये कैमरे उनकी रेंज में आए वन्य पशुओं की तस्वीर क्लिक करेंगे ओर एआई प्रणाली को भेजेंगे।

2. एआई अल्गोरिदम : एआई अल्गोरिदम उस तस्वीर या वीडियो का विश्लेषण करेगा कि वह तेंदुए या हिंसक वन्य पशु की है अथवा नहीं। इसके बाद तेंदुए और हिंसक पशु की पुष्टि होने पर यह डेटा स्थानीय प्रशासन तक पहुंचाया जाएगा और संबंधित क्षेत्र में तेज सायरन बजेगा। इससे प्रशासन और नागरिक सतर्क होंगे और जरूरी कदम उठाए जा सकेंगे।

स्मिता राजहंस, सहायक वन संरक्षक, जुन्नर विभाग के मुताबिक जुन्नर में अनेक किसानों के घर खेतों में ही हैं। इन घरों से 100 मीटर के दायरे में तेंदुआ कैद होने पर सिर्फ तीन सेकंड में ही तस्वीर क्लाउड में पहुंचेगी और सायरन बजने लगेगा। इससे प्रशासन और नागरिकों को सतर्क होने में मदद मिलेगी। समय पर मदद कार्य किए जा सकेंगे।

अमोल सातपुते, उप वन संरक्षक, जुन्नर वन विभाग के मुताबिक ‘एआई’ के माध्यम से तेंदुओं और अन्य वन्य पशुओं की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकेगी। इससे उनका अध्ययन करने में भी मदद होगी। तेंदुओं की आदतें, उनकी जीवन शैली के बारे में अधिक जानकारी मिल सकेगी। जुन्नर के एआई तेंदुआ पहचान प्रकल्प के कारण तेंदुओं को मानव के सहजीवन में सुधार लाया जा सकता है। साथ ही नागरिकों की सुरक्षा भी होगी और तेंदुओं के भी संरक्षण में मदद होगी।


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