पेरिस ओलंपिक 2024: ब्रॉन्ज जीतने वाली मनु भाकर के मन में चल रहा था भगवद्गीता का ज्ञान, ऐतिहासिक जीत पर किया बड़ा खुलासा
- ऐतिहासिक जीत पर मनु ने किया बड़ा खुलासा
- मनु भाकर के मन में चल रहा था भगवद्गीता का ज्ञान
- मनु भाकर ने जाती ब्रॉन्ज मेडल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। इसी के साथ भारत ने पेरिस ओलंपिक 2024 में पहला मेडल जीत लिया है। वहीं, मनु भाकर भी ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली महिला निशानेबाज बन गई हैं। बता दें कि, भारत ने 12 साल बाद शूटिंग में ओलंपिक मेडल जीता है। इस बीच ब्रॉन्ज जीतने वाली 22 वर्षीय मनु ने बताया कि निशाना लगाते समय उनके दिमाग में गीता का ज्ञान चल रहा था।
मनु ने कहा, "मेडल जीतकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। भारत ने लंबे समय तक इस पदक का इंतजार कर रहा था। ऐसे में मेरी कोशिश जीत पर थी। भारत इस बार के ओलंपिक में बहुत सारे पदकों का हकदार है। इस हम बहुत सारी स्पर्धाओं में भाग ले रहे हैं। जिसके लिए सभी खिलाड़ी उत्सुक हैं। वास्तव में पूरी टीम ने कड़ी मेहनत की है। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से यह फीलिंग किसी ख्वाब से कम नहीं है। मैंने बहुत प्रयास किया। आखिरी तक मैं अपनी पूरी ऊर्जा के साथ लड़ती रही। हालांकि, यह ब्रॉन्ज है। लेकिन मैं वास्तव में आभारी हूं कि मैं भारत के लिए कांस्य जीत सकी। शायद अगली बार मैं बेहतर करूंगी।"
मन में चल रहा था गीता- मनु
मनु भाकर ने आगे कहा, "सच कहूं तो मैंने काफी गीता पढ़ी है। मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि बस कर्म पर ध्यान लगाओं, नतीजे की चिंता मत करो। जो तुम्हारा बस में है, उसे करो और बाकी चीजें छोड़ दो। भाग्य जो भी हो, आप उसके परिणाम को नियंत्रित नहीं कर सकते। इसलिए गीता में कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि कर्म पर ध्यान केंद्रित करो न कि कर्म के परिणाम पर । तो मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था। ऐसे में मैंने सोचा कि बस अपना काम करो, और बस कुछ छोड़ दो।"
पिछले ओलंपिक पर भी मनु ने रखा अपना पक्ष
बता दें कि, मनु टोक्यो ओलंपिक के साल 2021 में मेडल जीत नहीं पाई थीं। मनु से जब पूछा गया कि टोक्यो की निराशा से निपटने के लिए आपने क्या किया? इस पर मनु ने कहा, आप सिर्फ कोशिश करके अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकते हैं। उन्होंने आगे कहा- मैं कितना अच्छा महसूस कर रही हूं, बता नहीं सकती।
मनु ने कहा, "सभी दोस्तो, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों का मेरे साथ डटे रहने के लिए धन्यवाद। उन्हीं की बदौलत मैं यहां खडी हूं। आप सभी ने मेरी जिंदगी को इतना आसान बना दिया। मैं अपने कोच जसपाल सर, मेरे प्रोयोजकों ओजीक्यू और मेरे कोचों का धन्यवाद देना चाहूंगी।"
Created On :   28 July 2024 3:09 PM GMT