IND vs AUS Test Series: जिसकी रफ्तार के सामने ढेर हुई भारतीय बैटिंग लाइनअप, जानें क्या है पिंक बॉल की खासियत
- जिसकी रफ्तार के सामने ढेर हुई भारतीय बैटिंग लाइनअप
- पहले दिन 180 रनों पर सिमटी टीम इंडिया
- मिशेल स्टार्क ने झटके 6 विकेट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में आज यानी 6 दिसंबर से बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दूसरे मुकाबले की शुरुआत हुई। सीरीज का दूसरा मुकाबला डे-नाइट टेस्ट है जो कि लाल या सफेद नहीं गुलाबी गेंद से खेला जा रहा है। बताते चले, सीरीज का पहला टेस्ट नियमित रूप से टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल किए जाने वाले लाल गेंद से खेला गया था लेकिन दूसरा मैच पिंक बॉल से खेला गया था। इसे लेकर कई लोग ये जानने के लिए काफी उत्सुक हैं कि लाल और गुलाबी गेंद में आखिर फर्क क्या होता है। तो चलिए जानते हैं कि कैसे यह पिंक गेंद रेड गेंद से अलग होती है।
एडिलेड टेस्ट में इस्तेमाल किया गया गुलाबी गेंद केवल डे-नाइट टेस्ट में किया जाता है। क्योंकि रात को स्टेडियम के फल्ड लाइट के अंदर लाल गेंद के मुकाबले गुलाबी गेंद अच्छे से नजर आती है। पिंक बॉल की अच्छी विजिबिलिटी की वजह होती है इसके उपर की गई एक खास कोटिंग। यह स्पेशल कोटिंग होती है पोलीयूरीथेन नामक एक रसायन की, जो इस गेंद को चमकदार रखने में मदद करता है।
लंबे समय तक शाइन की वजह से लाल गेंद के मुकाबले यह स्विंग भी ज्याद होती है। बता दें, 40 ओवरों तक इसे काफी आसानी से स्विंग किया जा सकता है। इसी के साथ गेंद के पुराने होने के बाद रिवर्स स्विंग भी देखने को मिल सकती है। इन सभी चीजों के अलावा लाल और गुलाबी गेंद के धागों में भी फर्क होती है। रेड बॉल की सिलाई काले धागे से होती है जबकि गुलाबी गेंद की सिलाई बेहतर विजिबिलिटी की वजह से सफेद धागे से की जाती है।
मुकाबले के दौरान ज्यादातर खिलाड़ियों के लिए गुलाबी गेंद जितनी फायदेमंद होती है, वहीं कुछ के लिए यह उतनी ही दिक्कतों की वजह बन जाती है। जो खिलाड़ी कलर विजन की समस्या से ग्रसित होते हैं, उनके लिए इनसे खेलने में काफी परेशानी होती है।
Created On :   6 Dec 2024 11:32 PM IST