महाराष्ट्र में बीजेपी पर्दे के पीछे क्यों कर रही है राजनीति? CM और डिप्टी CM का पद दूसरी पार्टी के नेताओं को देने के पीछे की इनसाइड स्टोरी

महाराष्ट्र में बीजेपी पर्दे के पीछे क्यों कर रही है राजनीति? CM और डिप्टी CM का पद दूसरी पार्टी के नेताओं को देने के पीछे की इनसाइड स्टोरी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 288 सीटों वाले महाराष्ट्र में साल 2019 में विधानसभा के चुनाव हुए, जिसमें बीजेपी को जनता ने 105 सीटें दीं। इस दौरान बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं। तब, इन दोनों पार्टियों ने एक साथ विस चुनाव लड़ा था। सभी को ऐसा लगा रहा था कि राज्य में एनडीए गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर इन दोनों पार्टियों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। इसके बाद शिवसेना ने ढाई-ढाई साल सीएम की कुर्सी को लेकर बीजेपी से सलाह मशविरा किया। लेकिन तब भी बात नहीं बनी। फिर उद्धव ठाकरे ने बड़ा खेला करते हुए महाविकास अघाड़ी बना दिया। जिसके सूत्रधार एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार माने जाते हैं। इस गठबंधन का हिस्सा एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना बनी और राज्य में अपनी सरकार बनाई। इसके बाद एकनाथ शिंदे के बगावत के चलते राज्य में एमवीए की सरकार गिर गई। इस दौरान एकनाथ शिंदे शिवसेना के पाले से 40 विधायकों और एक दर्जन सांसदों को लेकर बीजेपी में शामिल हो गए।

शिंदे गुट की बगावत को लेकर चर्चा थी कि राज्य में बीजेपी की सरकार बनाने के लिए एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम का पद दिया जा सकता है। लेकिन उस वक्त सभी हैरान रह गए, जब बीजेपी ने महाराष्ट्र के सीएम पद के लिए एकनाथ शिंदे को चुना। इस दौरान बीजेपी ने 5 साल राज्य के सीएम रहे देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम का पद सौंप दिया। अब ठीक एक साल बाद राज्य में अजित पवार ने एनसीपी से बगावत किया है, इन्हें भी अब बीजेपी ने डिप्टी सीएम का पद सौंप दिया है। ऐसे में अब लोगों के जहन में एक सवाल उठ रहा है कि बीजेपी ऐसा क्यों कर रही है? अगर बीजेपी ऐसा कर भी रही है तो इससे पार्टी को क्या फायदा होगा? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।

बीजेपी की रणनीति और फायदा

दरअसल, साल 2022 में बीजेपी ने शिंदे गुट की बगावत को स्वीकार करके राज्य में शिंदे-फडणवीस की सरकार बनाई। इससे बीजेपी ने एकनाथ शिंदे के जरिए शिवसेना और उद्धव ठाकरे की विरासत भी बहुत हद तक कमजोर हुई। साथ ही बीजेपी ने शिवसेना की विरासत को हथियाने की भी कोशिश की है। साथ ही पार्टी को हिंदुत्व की छवि का भी तमगा हासिल हुआ है या फिर यूं कहे कि अब राज्य में बीजेपी हिंदू धर्म को लेकर एक अकेली पार्टी बची है। शिवसेना के एमवीए में शामिल होने के बाद से बीजेपी उस पर हिंदुत्व से समझौता करने का आरोप लगा रही है। साथ ही, इसी के जरिए बीजेपी शिवसेना से हिंदुत्व की छवि को भी धूमिल करने में लगी हुई है। इसके अलावा बीजेपी ने शिंदे गुट की बगावत को स्वीकार कर राज्य में असली शिवसेना को लेकर भी जंग तेज कर दी है। इन सभी के जरिए बीजेपी ने राज्य की हिंदुत्व वोट बैंक को अकेले हथियाने की सफल कोशिश की है। साथही इन सभी चीजों के जरिए पार्टी ने मराठा वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है।

एनसीपी पर बीजेपी की रणनीति

इधर, एनसीपी नेता अजित पवार को अपने पाले में करके बीजेपी ने मराठवाड़ा क्षेत्र में अपनी पैठ बढ़ाई है। महाराष्ट्र में बीजेपी शहरी क्षेत्र की पार्टी के तौर पर पहचानी जाती है। ऐसे में एनसीपी की इस फुट से बीजेपी को फायदा मिलना लगभग तय है। इन सभी मुद्दे पर भाजपा रणनीतिकारों का मत है कि भले ही अभी एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद और अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया गया है, लेकिन आने वाले समय में इन सभी चीजों का फायदा बीजेपी को मिलेगा। एनसीपी और शिवसेना की फुट का सीधा फायदा बीजेपी को ग्रामिण क्षेत्रों वाले विस सीटों पर भी मिलेगा। साथ ही, पार्टी की पकड़ ग्रामिण क्षेत्रों में भी बढ़ेगी, क्योंकि इन पार्टी में फुट का फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिलेगा। इसके पीछे राजनीतिक जानकार वोट बैंक में बटवारों को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि बीजेपी के पास एक सीमित वोट बैंक है। एनसीपी और शिवसेना जिन सीटों पर मजबूत थी, उन सीटों पर अब वोट बंटेंगे। एनसीपी और शिंदे गुट के वोट भी सीधे तौर पर बीजेपी के पास जाएगी, क्योंकि ये सभी गुट एनडीए गठबंधन का हिस्सा है।

Created On :   4 July 2023 9:28 PM IST

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